दिल्ली हाईकोर्ट ने दंपति को तलाक़ की मंज़ूरी दी, कहा- नपुंसकता के झूठे आरोप लगाना क्रूरता है

दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के तलाक़ के आदेश को बरक़रार रखते हुए कहा कि पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं और व्यक्ति की छवि पर असर डालने के साथ उसकी मानसिक स्थिति को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित कर सकते हैं.

(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के तलाक़ के आदेश को बरक़रार रखते हुए कहा कि पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं और व्यक्ति की छवि पर असर डालने के साथ उसकी मानसिक स्थिति को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित कर सकते हैं.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक दंपति के बीच तलाक के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा है कि किसी जीवनसाथी के खिलाफ नपुंसकता के झूठे आरोप लगाना क्रूरता के समान है.

इस मामले में अलग रह रही पत्नी ने अपने पति पर यौन संबंध नहीं बना पाने का आरोप लगाया था.

उच्च न्यायालय ने पति के वकील की इस दलील को स्वीकार किया कि पत्नी द्वारा लिखित बयान में लगाए गए आरोप गंभीर हैं और व्यक्ति की छवि पर असर डालने के साथ उसकी मानसिक स्थिति को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित कर सकते हैं.

जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संजीव नरूला की पीठ ने कहा, ‘इसलिए इस विषय पर कानून को देखते हुए हमें निचली अदालत के निष्कर्षों और टिप्पणियों में कोई कमी नजर नहीं आती कि अपीलकर्ता (पत्नी) के लिखित बयान में नपुसंकता से संबंधित आरोप स्पष्ट रूप से कानून के तहत परिभाषित क्रूरता की अवधारणा में आते हैं.’

उच्च न्यायालय ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक देने की पति की याचिका पर निचली अदालत के आदेश के खिलाफ महिला की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया.

दंपति का विवाह जून 2012 में हुआ था. महिला की यह पहली शादी थी जबकि पुरुष उस समय तलाकशुदा था.

पति ने इस आधार पर शादी को समाप्त करने की गुहार लगाई थी कि महिला की कथित तौर पर यौन संबंधों में रुचि नहीं है और विवाह के लिए उसकी अनुमति महिला की कथित मानसिक अवस्था से संबंधित तथ्यों को छिपाकर ली गई है. व्यक्ति ने कहा कि यदि उसे इन बातों की जानकारी होती तो वह विवाह के लिए कभी राजी नहीं होता.

इसके बाद महिला ने अपनी प्रतिक्रिया में आरोप लगाया कि उनका पति नपुंसकता की समस्या से पीड़ित है और विवाह नहीं चल पाने का असल कारण यही है, इसके अलावा उनके सास-ससुर झगड़ालू हैं और दहेज की मांग करते हैं.

महिला ने यह आरोप भी लगाया था कि दहेज मांगने के साथ ही ससुरालवालों ने उनके साथ क्रूरता भरा व्यवहार किया तथा उसके पति ने सास-ससुर के सामने ही उनके साथ बुरी तरह मारपीट की.

महिला ने उच्च न्यायालय से निचली अदालत के तलाक मंजूर करने के आदेश को रद्द करने की मांग की थी तथा वैवाहिक अधिकार बहाल करने की मांग की और कहा कि वह इस वैवाहिक गठजोड़ को बचाना चाहती है.

इस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला के आरोपों को निचली अदालत ने विशेषज्ञ की गवाही के आधार पर खारिज कर दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि महिला ने इस पूरी मुकदमेबाजी के दौरान नपुंसक होने के आरोपों को बार-बार दोहराया है और इन झूठे आरोपों, जो कि साबित नहीं किए जा सके, के कारण व्यक्ति को गहरी चोट और पीड़ा पहुंचती है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में दोनों को साथ रहने के लिए कहना खतरनाक होगा.

न्यायालय ने कहा, ‘यह भी स्पष्ट है कि झूठे आरोपों के कारण हुई मानसिक पीड़ा, दुख और कष्ट के चलते प्रतिवादी (पुरुष) को अपीलकर्ता (महिला) के आचरण को ध्यान में रखते हुए उनके साथ रहने के लिए कहा नहीं जा सकता है.’

कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को झूठे आरोपों के परिणामों से बरी कर देने या इसे सनसनीखेज बनाने से न्याय के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq