कांग्रेस नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष पीएल पूनिया ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अनुसूचित जाति उप योजना और जनजातीय उप योजना के फंड के अन्य कामों में इस्तेमाल की बात कही है. उनका कहना है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लाभार्थियों के लिए कुछ घर बनाने के बाद फंड अन्य और अल्पसंख्यकों के लिए स्थानांतरित कर दिया गया.
पटना: कांग्रेस नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के पूर्व अध्यक्ष पीएल पूनिया ने केंद्र सरकार पर प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) और जनजातीय उप योजना (टीएसपी) के फंड का अन्य कामों में इस्तेमाल का आरोप लगाया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए पूनिया ने बिहार में सभी तीन वित्तीय वर्ष का उदाहरण दिया.
पूनिया वित्त वर्ष 2018-19, 2019-20 और 2020-21 की अवधि के दौरान जारी 2,421.94 करोड़ रुपये का उल्लेख किया. इस दौरान अनुसूचित लाभार्थियों के लिए केवल 78 घर बने और अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों लिए 54 घर बने जबकि बाकी के फंड को अन्य और अल्पसंख्यकों के लिए स्थानांतरित कर दिया गया.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आने वाले पीएमएवाई पोर्टल के अनुसार, बिहार में 2018-19 में किसी भी घर के निर्माण को मंजूरी नहीं दी गई थी, जबकि केंद्र ने एससीएसपी रणनीति के तहत वित्तीय वर्ष के लिए 1,354.80 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.
साल 2019-20 में एससी लाभार्थियों के लिए स्वीकृत 61 घरों में से कुल 39 का निर्माण किया गया था. इस वित्तीय वर्ष में केंद्र ने एससीएसपी योजना के तहत 749.40 करोड़ रुपये का वितरण किया, जबकि “अन्य” के तहत 12,85,854 घरों और अल्पसंख्यकों के लिए 1,89,785 घरों के निर्माण को मंजूरी दी गई.
साल 2020-21 में एससी लाभार्थियों के लिए स्वीकृत 61 घरों में से 39 का निर्माण किया गया था, जबकि 39.59 करोड़ रुपये का वितरण किया गया था. इस वित्त वर्ष के दौरान, 2,25,696 घरों के निर्माण को अन्य के लिए मंजूरी दी गई थी, जबकि अल्पसंख्यकों के लिए यही संख्या 29,653 घर थी.
इन तीन वित्तीय वर्षों के लिए 278.14 करोड़ रुपये की संचयी राशि का वितरण किया गया था, जबकि टीएसपी के तहत आदिवासियों के लिए 150 स्वीकृत घरों में से 54 का निर्माण किया गया था.
भुगतान करने के लिए 17 अक्टूबर, 2019 को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा एक पत्र जारी किया गया और लेखा अधिकारी स्पष्ट रूप से कहते हैं, ‘यह दोहराया जाता है कि जिलों को लक्ष्य आवंटित करते समय, राज्य को मंत्रालय द्वारा निर्धारित फार्मूले का पालन करना चाहिए. यह स्पष्ट किया गया है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक के लिए निर्धारित लक्ष्यों को सामान्य श्रेणी में नहीं भेजा जा सकता है. पर्याप्त औचित्य होने पर केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लक्ष्यों को आपस में जोड़ा जा सकता है.’
पूनिया ने कहा, ‘योजना आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, न तो राज्य और न ही केंद्र सरकार एससीएसपी और टीएसपी के प्लान हेड को बदल सकते हैं. ऐसा करने की शक्तियां केवल संसद के पास हैं. हमें आश्चर्य है कि केंद्र ऐसे नियमों को कैसे कमजोर कर रहा है.’
इसी बारे में पूछे जाने पर बिहार ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी ने कहा, ‘जैसा कि हमने 2014 के बाद से अच्छी संख्या में एससी/एसटी घरों का निर्माण किया था, हमारी प्राथमिकता सूची (एससी/एसटी के लिए 60 प्रतिशत) समाप्त हो गई थी.’
हालांकि, पुनिया ने कहा कि एक बार प्राथमिकता सूची समाप्त हो जाने के बाद राज्य सरकार को केंद्र को सूचित करना होगा और एससीएसपी और टीएसपी निधियों के तहत वितरण तुरंत रोकना होगा. उन्होंने कहा, ‘लेकिन इस फंड को किसी भी हालत में किसी अन्य श्रेणी में नहीं डाला जा सकता है.’
पूनिया ने आगे कहा, ‘यह बहुत दुख की बात है कि क्रमशः 1976 और 1980 के से जारी एससीएसपी और टीएसपी की अवधारणाओं से केंद्र पीछे हट रहा है. केंद्र अब केवल एक सूची डाल रहा है जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्होंने एससी और एसटी के लिए काम किया है… फंड हेड का परिवर्तन एक प्रमुख मुद्दा. हम जल्द ही इस मामले को संसद में उठाने जा रहे हैं.’
एससी/एसटी फंड में परिवर्तन के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा, ‘इसे परिवर्तन नहीं कहा जा सकता है. हमने इसका इस्तेमाल केंद्र की मंजूरी से किया है.’
दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता राजीव कुमार के अनुसार, ग्रामीण विकास मंत्रालय के उप महानिदेशक (ग्रामीण आवास) गया प्रसाद ने कहा कि एससी या एसटी फंड के प्लान हेड को बदला नहीं जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘केवल संसद इसे बदल सकती है और वह भी एक कैबिनेट नोट के बाद.’
पूनिया की आपत्तियों के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा, ‘बिहार के मामले में इसके मुख्य सचिव ने इसके मुख्य सचिव ने हमें एससी/एसटी लाभार्थियों की प्राथमिकता सूची के बारे में लिखा था.’
योजना आयोग के दिशानिर्देशों और मंत्रालय के 2019 के पत्रों के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा, ‘ये दिशानिर्देश व्यापक दृष्टिकोण के लिए हैं. हमारी तरफ से फंड विनियमित होते हैं.’
पीएमएवाई (ग्रामीण) योजना के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी 2011) के आंकड़ों पर आधारित थी. बिहार सरकार द्वारा 2,85,709 पात्र एससी/एसटी परिवारों सहित कुल 27,48,163 आवासहीन परिवारों की पहचान की गई, जिनमें से एससी और एसटी समुदायों के 2,75,880 लाभार्थी परिवारों के साथ 26,78,748 घरों को मंजूरी दी गई है.
पीएमएमवाई (ग्रामीण) के तहत 17,73,055 घरों का निर्माण पूरा हो चुका है, जिनमें से 2,23,443 घर एससी/एसटी लाभार्थियों के लिए हैं (एससी/एसटी परिवारों के लिए स्वीकृत घरों का 81 प्रतिशत).