तीन तलाक़ के अलावा इस्लाम में अलग होने के और भी तरीके हैं

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीन तलाक़ को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. इस्लाम में तीन तलाक़ केे अलावा संबंध विच्छेद के और भी तरीके प्रचलन में हैं.

/

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीन तलाक़ को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. इस्लाम में तीन तलाक़ केे अलावा संबंध विच्छेद के और भी तरीके प्रचलन में हैं.

muslim women reuters
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

इस्लाम में तलाक़ के तीन तरीके ज्यादा प्रचलन में हैं. इनमें से एक है तलाक़-ए-अहसन. जानकारों के मुताबिक तलाक़-ए-अहसन में शौहर बीवी को तब तलाक़ दे सकता है जब उसका मासिक चक्र न चल रहा हो (तूहरा की समयावधि). इसके बाद तकरीबन तीन महीने की समयावधि जिसे इद्दत कहा जाता है, में वह तलाक़ वापस ले सकता है. यदि ऐसा नहीं होता तो इद्दत के बाद तलाक़ को स्थायी मान लिया जाता है. लेकिन इसके बाद भी यदि यह जोड़ा चाहे तो भविष्य में शादी कर सकता है और इसलिए इस तलाक़ को अहसन (सर्वश्रेष्ठ) कहा जाता है.

दूसरे प्रकार के तलाक़ को तलाक़-ए-हसन कहा जाता है. इसकी प्रक्रिया की तलाक़-ए-अहसन की तरह है लेकिन इसमें शौहर अपनी बीवी को तीन अलग-अलग बार तलाक़ कहता (जब बीवी का मासिक चक्र न चल रहा हो) है. यहां शौहर को अनुमति होती है कि वह इद्दत की समयावधि खत्म होने के पहले तलाक़ वापस ले सकता है. यह तलाक़शुदा जोड़ा चाहे तो भविष्य में फिर से शादी कर सकता है. इस प्रक्रिया में तीसरी बार तलाक़ कहने के तुरंत बाद वह अंतिम मान लिया जाता है. तलाक़शुदा जोड़ा फिर से शादी तब ही कर सकता है जब बीवी किसी दूसरे व्यक्ति से शादी कर ले और उसे तलाक़ दे. इस प्रक्रिया को हलाला कहा जाता है.

तीसरे प्रकार को तलाक़-ए-बिद्दत कहा जाता है. इसमें तलाक़ की उस प्रक्रिया की बुराइयां साफ-साफ दिखने लगती हैं जिसमें शौहर एक बार में तीन तलाक़ कहकर बीवी को तलाक़ दे देता है. तलाक़-ए-बिद्दत के तहत शौहर तलाक़ के पहले ‘तीन बार’ शब्द लगा देता है या ‘मैं तुम्हें तलाक़ देता हूं’ को तीन बार दोहरा देता है. इसके बाद शादी तुरंत टूट जाती है. इस तलाक़ को वापस नहीं लिया जा सकता. तलाक़शुदा जोड़ा फिर हलाला के बाद ही शादी कर सकता है.

इस्लामी जानकार कहते हैं कि तलाक़-ए-बिद्दत या एक साथ तीन बार तलाक़ कहकर तलाक़ देने की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी कि जहां जोड़े के बीच कभी न सुधरने की हद तक संबंध खराब चुके हैं या दोनों का साथ रहना बिल्कुल मुमकिन नहीं हैं वहां तुरंत तलाक़ हो जाए. इस्लाम में प्रचलित चारों सुन्नी विचारधाराएं- हनफी, मलिकी, हंबली और शाफेई इस प्रक्रिया पर सहमति जताती हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक़-ए-बिद्दत की प्रक्रिया को ही असंवैधानिक घोषित किया है.

Jaipur: A Muslim woman shopping for the upcoming Eid-ul-Fitr festival at Ramganj Bazar in Jaipur on Thursday. PTI Photo(PTI6_22_2017_000148B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

जानने वाली बात यह है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत तकरीबन 22 मुस्लिम देशों ने अपने यहां सीधे-सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से तीन बार तलाक़ की प्रथा खत्म कर दी है. इस सूची में तुर्की और साइप्रस भी शामिल हैं जिन्होंने धर्मनिरपेक्ष पारिवारिक कानूनों को अपना लिया है. ट्यूनीशिया, अल्जीरिया और मलेशिया के सारावाक प्रांत में कानून के बाहर किसी तलाक़ को मान्यता नहीं है. ईरान में शिया कानूनों के तहत तीन तलाक़ की कोई मान्यता नहीं है.

हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका में तकरीबन 10 फीसदी मुस्लिम आबादी है. वहां का कानून तुरंत तलाक़ वाले किसी नियम को मान्यता नहीं देता. मिस्र पहला देश था जिसने 1929 में कानून-25 के जरिए घोषणा की कि तलाक़ को तीन बार कहने पर भी उसे एक ही माना जाएगा और इसे वापस लिया जा सकता है. 1935 में सूडान ने भी कुछ और प्रावधानों के साथ यह कानून अपना लिया. आज ज्यादातर मुस्लिम देश- ईराक से लेकर संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, कतर और इंडोनेशिया तक ने तीन तलाक़ के मुद्दे पर इस विचार को स्वीकार कर लिया है.

पाकिस्तान में भी तीन तलाक़ की प्रथा नहीं है. वहां कोई भी व्यक्ति ‘किसी भी रूप में तलाक़’ कहता है तो उसे यूनियन काउंसिल (स्थानी निकाय) के चेयरमैन को इस बारे में जानकारी देते हुए एक नोटिस देना होगा और इसकी कॉपी अपनी बीवी को देनी होगी. यदि कोई व्यक्ति ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे एक साल की सजा हो सकती है. 5000 रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है.

चेयरमैन को नोटिस देने के 90 दिन बाद ही तलाक़ प्रभावी माना जाएगा. नोटिस पाने के 30 दिन के भीतर चेयरमैन को एक पंच परिषद बनानी होगी जो तलाक़ के पहले सुलह करवाने की कोशिश करेगी. यदि महिला गर्भवती है तो तलाक़ 90 दिन या प्रसव, जिसकी समयावधि ज्यादा हो, के बाद ही प्रभावी होगा.

संबंधित महिला तलाक़ होने के बाद भी अपने पूर्व पति से शादी कर सकती है और इसके लिए उसे बीच में किसी तीसरे व्यक्ति से शादी करने की जरूरत नहीं है. बांग्लादेश में भी यही कानून लागू है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq