अदालत ने केंद्र से पूछा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से अधिक पर दिल्ली को कम ऑक्सीजन क्यों

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफ़नामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी. इस बीच केंद्र ने राज्यों से शुक्रवार को कहा कि वे उपलब्ध ऑक्सीजन को महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और निजी अस्पतालों समेत सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की समीक्षा करवाएं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफ़नामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी. इस बीच केंद्र ने राज्यों से शुक्रवार को कहा कि वे उपलब्ध ऑक्सीजन को महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और निजी अस्पतालों समेत सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की समीक्षा करवाएं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से बीते बृहस्पतिवार को पूछा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों मिल रही है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी को कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए आवश्यक मात्रा में भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है?

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि अदालत दिल्ली को अधिक ऑक्सीजन दिलाना चाहती है और यह भी कि अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आवंटित कोटे की कीमत पर दिल्ली को ऑक्सीजन आंवटित हो.

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है, जबकि उसे 480 और 490 मीट्रिक टन ही आवंटित किया गया है और केंद्र ने इसे बढ़ाया भी नहीं है.

मेहरा और वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय आवंटन योजना के अनुसार, महाराष्ट्र को प्रतिदिन 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है, जबकि उसे 1661 मीट्रिक टन आवंटित किया गया है. इसी तरह मध्य प्रदेश ने 445 मीट्रिक टन की मांग की थी, लेकिन उसे 543 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया गया. इसी तरह कई अन्य राज्यों के साथ भी यही स्थिति है.

वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव मामले में न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) हैं.

अदालत ने कहा कि यदि दी गई सूचना सही मान ली जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार इस पर अपना रुख बताने की आवश्यकता है और अदालत ने केंद्र सरकार को इस पर जवाब देने के लिए एक दिन का समय दे दिया.

उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र को या तो इस पर स्पष्टीकरण देना होगा या ‘इसमें संशोधन’ करना होगा.

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफनामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी.

मेहता ने कहा, ‘ऐसे राज्य हैं जिन्हें मांग से कम आपूर्ति की गई है. हम इसकी तर्कसंगत व्याख्या करेंगे.’

सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी से जब पूछा कि दिल्ली को कम और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों दी जा रही है, इस पर मेहता ने कहा कि मध्य प्रदेश की आबादी राष्ट्रीय राजधानी से अधिक है.

इस पर अदालत ने अधिकारी से कहा, ‘फिर आप मध्य प्रदेश के कोटे से काटकर इसे दिल्ली को दे दीजिए. यह मध्य प्रदेश में कुछ जिंदगियों की कीमत पर होगा, लेकिन दिल्ली के लिए भी तो होना चाहिए.’

अदालत ने कहा, ‘इसे इस तरह मत लीजिए कि हम दिल्ली के लिए कुछ अतिरिक्त करने के लिए कह रहे हैं. इसे इस तरह से पेश मत कीजिए. हम ऐसा नहीं चाहते. हम बस तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर आपसे ऐसा कह रहे हैं. आप इस पर भावुक नहीं हो सकते. आपको इस पर कदम उठाने की जरूरत है. आप इससे भाग नहीं सकते.’

वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत के समक्ष एक सूची रखी, जिसमें विभिन्न राज्यों द्वारा की गई ऑक्सीजन की मांग और उन्हें की गई आपूर्ति का ब्योरा था. उन्होंने कहा कि केवल दिल्ली को उतनी मात्रा नहीं मिली है, जितनी उसने मांगी है, जबकि अन्य को उनकी मांग जितना या उससे ज्यादा मिल रहा है.

अदालत ऑक्सीजन संकट और कोविड-19 वैश्विक महामारी से जुड़े अन्य मामलों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन आपूर्ति से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था, ‘इस न्यायालय की राय में यह विभिन्न राज्यों को ऑक्सीजन का कोटा आवंटित करने वाली केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि उसके निर्देशों का अनुपालन हो और अंतरराज्यीय आवागमन के मामले में जहां ऑक्सीजन पहुंचना है वहां ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो.’

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पतालों के नर्सिंग होम में हुईं मौतों के संबंध में रिपोर्ट दाख़िल करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि वह ऑक्सीजन सिलेंडरों और कोविड रोगियों के इलाज से जुड़ीं महत्वपूर्ण दवाओं की कालाबाज़ारी रोके तथा ऑक्सीजन वितरण से जुड़े मुद्दे का समाधान करे.

हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों को मुआवज़ा देना होगा और इसकी ज़िम्मेदारी राज्य की है.

केंद्र ने राज्यों को दी सलाह, ऑक्सीजन को महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें

देश के विभिन्न भागों में जीवनरक्षक गैस ऑक्सीजन की कमी के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राज्यों से कहा कि वे उपलब्ध ऑक्सीजन को महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और निजी अस्पतालों समेत सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की समीक्षा करवाएं.

स्वास्थ्य एवं पिरवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस महामारी की शुरुआत से ही सरकार ने ऑक्सीजन वाले बिस्तरों की प्रमुख क्लीनिकल मदद के रूप में पहचान की थी.

उन्होंने कहा कि सरकार ने अप्रैल -मई 2020 में ही राष्ट्रीय स्तर पर 102,400 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद लिए थे और उन्हें राज्यों के बीच बांट दिया गया था.

अग्रवाल ने कहा, ‘हम राज्यों से अपील कर चुके हैं कि उपलब्ध ऑक्सीजन को एक महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और ऑक्सीजन का तार्किक उपयोग भी सुनिश्चित करें.’

केंद्र द्वारा आक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाए जाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए अग्रवाल ने कहा कि नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की कीमत तय करने के लिए निर्देश जारी किए हैं.

उन्होंने बताया कि देशभर में 162 प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (पीएसए) संयंत्रों को अनुमति दी गई है, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 154 मीट्रिक टन है. इनमें से 52 संयंत्र पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं तथा 87 की आपूर्ति हो गई है और इन्हें जल्द से जल्द चालू करने का काम जारी है.

अग्रवाल ने बताया कि राज्यों को 8,593 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आवंटित की गई है.

उन्होंने बताया, ‘127,000 ऑक्सीजन सिलेंडरों का आर्डर 21 अप्रैल को जारी किया गया गया था और इनकी आपूर्ति एकाध दिन में होने वाली है. इनमें 54,000 जंबो सिलेंडर और 73,000 सामान्य सिलेंडर हैं.’

उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त 551 पीएसए संयंत्र को मंजूरी दे दी गई है और इन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा. ये संयंत्र विभिन्न जन स्वास्थ्य केंद्रों में स्थापित किए जाएंगे .

अग्रवाल ने साथ ही बताया कि राज्यों को सलाह दी गई है कि वे आक्सीजन का तार्किक इस्तेमाल सुनिश्चित करें और मरीजों को अनावश्यक रूप से ऑक्सीजन न दें. साथ ही उन निजी स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों पर भी निगरानी रखें, जो घरों पर कोविड केयर पैकेज मुहैया कराने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडरों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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