आधार कार्ड न होने के चलते टीका लगाने, आवश्यक सेवाएं देने से मना नहीं कर सकते: यूआईडीएआई

देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच आधार कार्ड के अभाव में इलाज, दवा या अन्य आवश्यक सेवाएं न मिलने की ख़बरों के बीच यूआईडीएआई ने कहा है कि यदि किसी के पास किसी कारण से आधार कार्ड नहीं है तब भी उसे आधार अधिनियम 2016 की धारा 7 के तहत सेवा प्रदान करने से इनकार नहीं किया जा सकता.

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(फोटो: पीटीआई)

देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच आधार कार्ड के अभाव में इलाज, दवा या अन्य आवश्यक सेवाएं न मिलने की ख़बरों के बीच यूआईडीएआई ने कहा है कि यदि किसी के पास किसी कारण से आधार कार्ड नहीं है तब भी उसे आधार अधिनियम 2016 की धारा 7 के तहत सेवा प्रदान करने से इनकार नहीं किया जा सकता.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने शनिवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को टीका लगाने, दवा देने, अस्पताल में भर्ती करने या उपचार उपलब्ध कराने से सिर्फ इस वजह से इनकार नहीं किया जा सकता कि उसके पास आधार कार्ड नहीं है.

इसने स्पष्ट किया कि कोई भी आवश्यक सेवा उपलब्ध कराने से इनकार करने के लिए आधार कार्ड का बहाना नहीं किया जाना चाहिए.

देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच यूआईडीएआई का बयान का काफी मायने रखता है.

यूआईडीएआई ने एक बयान में कहा कि आधार के मामले में भली-भांति स्थापित एक अपवाद है जिसका 12 अंकों के बायोमीट्रिक आईडी की अनुपस्थिति में सेवा और लाभ प्रदायगी सुनिश्चित करने के लिए पालन किया जाना चाहिए.

नवभारत टाइम्स के अनुसार, यूआईडीएआई ने कहा कि यदि किसी नागरिक के पास किसी कारण से आधार कार्ड नहीं है या यह सत्यापित नहीं है, तो ऐसे में अस्पतालों, टीकाकरण और इलाज से जुड़ा कोई भी विभाग आधार अधिनियम 2016 की धारा 7 के तहत सेवा प्रदान करने से इनकार नहीं किया जा सकता.

बयान में आगे यह भी कहा है कि किसी जरूरी सेवा न देने के बहाने के तौर पर आधार का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है.

इन खबरों के बीच कि आधार कार्ड न होने की वजह से कई लोगों को अस्पताल में भर्ती होने जैसी आवश्यक सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है, यूआईडीएआई ने स्पष्ट किया कि आधार न होने की वजह से किसी भी व्यक्ति को टीका, दवा उपलब्ध कराने, अस्पताल में भर्ती करने या उपचार उपलब्ध कराने से इनकार नहीं किया जा सकता.

यूआईडीएआई ने कहा कि अगर कोई अस्पताल आधार के बगैर इलाज देने से इनकार करे, तो उसकी शिकायत संबंधित वरिष्ठ अधिकारी अथवा igms.irda.gov.in इस लिंक पर जाकर इरडा से की जा सकती है.

गौरतलब है कि कई राज्यों में वैक्सीन लेने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य  है. बीते दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया था कि क्या कोरोना का टीका लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है?

इस मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता ने राज्य सरकार और केंद्र से पूछा भी था कि जिन लोगों के पास आधार नहीं है, उन्हें वैक्सीन कैसे लगेगी.

वहीं कोर्ट की तरफ से उन कैदियों का भी मुद्दा उठाया गया है जो जेल में बंद हैं और उनका आधार कार्ड नहीं बनवाया गया है.

इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने 13 मई को वैक्सीन के लिए आधार कार्ड की शर्त को खत्म कर दिया. यानी राज्य में स्थाई या अस्थाई रूप से रहने वाले 18 से ऊपर की उम्र के लोगों को टीके के लिए आधार दिखाना जरूरी नहीं होगा.

दैनिक भास्कर के मुताबिक, प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया है कि राज्य में रहने वाले 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लोग आधार कार्ड के अलावा मकान का रेंट एग्रीमेंट, बैंक पासबुक, बिजली का बिल, किसी कंपनी में काम करते हैं तो उस कंपनी का नियुक्ति पत्र आदि देकर टीका लगवा सकते हैं.

इससे पहले के नियमों के अनुसार सिर्फ उन्हीं लोगों को टीका लगवाने की अनुमति थी, जिनके पास उत्तर प्रदेश का आधार कार्ड था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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