कोविड-19: कर्नाटक हाईकोर्ट ने टीकाकरण में असमानता पर केंद्र और राज्य सरकार से जांच करने को कहा

कर्नाटक सरकार ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड की सप्लाई की कमी की वजह से 14 मई को 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान रोक दिया था. राज्य इस आयुवर्ग के सिर्फ़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक उपलब्ध करा रहा है, जबकि निजी अस्पतालों में 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए पहली खुराक उपलब्ध है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

कर्नाटक सरकार ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड की सप्लाई की कमी की वजह से 14 मई को 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान रोक दिया था. राज्य इस आयुवर्ग के सिर्फ़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक उपलब्ध करा रहा है, जबकि निजी अस्पतालों में 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए पहली खुराक उपलब्ध है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

बेंगलुरुः कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को ऐसे समय पर सरकारी केंद्रों पर 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए कोरोना की पहली खुराक की अनुपलब्धता पर चिंता जताई, जब निजी सेक्टर में इसी आयुवर्ग के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है.

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर अपना रुख साफ करने को कहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार से संविधान के अनुच्छेद 14 के संदर्भ में मामले की जांच करने को कहा है, जो कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है.

कर्नाटक सरकार ने भारत बायोटेक से कोवैक्सीन और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से कोविशील्ड की सप्लाई की कमी की वजह से 14 मई को 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान रोक दिया था.

अभी राज्य सिर्फ 18 से 44 आयुवर्ग के फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज उपलब्ध करा रहा है ताकि अन्य लाभार्थियों के लिए दूसरी डोज के भंडारण का संरक्षण किया जा सके. हालांकि, निजी सेक्टर में 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए पहली डोज उपलब्ध है.

20 मई को अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार से 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम में असमानता को लेकर सवाल पूछा था.

चूंकि राज्य सरकार ने फैसला किया था कि उस समूह के केवल फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पहली खुराक मिलेगी, इस पर अदालत ने 20 मई को पूछा था, ‘सवाल यह है कि क्या निजी एजेंसियों को पहली खुराक देने की अनुमति दी जा सकती है.’

हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य को निजी एजेंसियों को उचित निर्देश जारी करने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह स्वास्थ्य के अधिकार और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के उल्लंघन का मामला है.

हाईकोर्ट ने कहा, ‘हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि केंद्र सरकार को भी इस मुद्दे पर एक निर्णय लेना होगा कि क्या कर्नाटक राज्य में मौजूदा स्थिति के संदर्भ में निजी एजेंसियों को वैक्सीन की पहली खुराक देने की अनुमति दी जा सकती है.’

20 मई के आदेश का पालन करते हुए कर्नाटक सरकार ने 24 मई को निजी अस्पतालों को एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें उन्हें सिर्फ 45 से अधिक समूह के पात्र लाभार्थियों को ही दूसरी खुराक देने के लिए कोवैक्सीन वैक्सीन का उपयोग करने के लिए कहा गया था.

हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते हजारों अन्य लोगों को अपनी दूसरी खुराक नहीं मिलने की संभावना को देखते हुए 18-44 आयु वर्ग के टीकाकरण के राज्य सरकार के कदम पर भी सवाल उठाया था.