तलोजा जेल को हेनी बाबू के लिए समय पर इलाज सुनिश्चित करना चाहिए: बॉम्बे हाईकोर्ट

एल्गार परिषद मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू को आंख के संक्रमण का उपचार पूरा होने के बाद मुंबई के एक निजी अस्पताल से वापस तलोजा जेल भेजा जाएगा. अदालत ने निर्देश दिया कि उनके जेल में आने के बाद जब भी आवश्यक हो, उन्हें मेडिकल देखभाल दी जाए.

डीयू प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी. (फोटो: Special Arrangement)

एल्गार परिषद मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू को आंख के संक्रमण का उपचार पूरा होने के बाद मुंबई के एक निजी अस्पताल से वापस तलोजा जेल भेजा जाएगा. अदालत ने निर्देश दिया कि उनके जेल में आने के बाद जब भी आवश्यक हो, उन्हें मेडिकल देखभाल दी जाए.

डीयू प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी (फोटो: Special Arrangement)

मुंबई: एल्गार परिषद माओवादी मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू को यहां स्थित एक निजी अस्पताल से बुधवार को छुट्टी दी जाएगी, जहां मई से उनका उपचार चल रहा है.

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय में कहा कि हेनी बाबू को बुधवार को अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी और उन्हें तलोजा जेल वापस भेजा जाएगा.

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जामदार की पीठ ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल द्वारा सौंपी गई बाबू की चिकित्सा रिपोर्ट को रिकॉर्ड में दर्ज किया और आरोपी को बुधवार को तलोजा जेल वापस भेजने की राज्य सरकार की दलील को स्वीकार किया.

हेनी बाबू की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी और वकील पायोशी रॉय ने अदालत को बताया कि निजी अस्पताल के मुताबिक हेनी बाबू को छुट्टी दी जा सकती है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रॉय ने कहा कि अस्पताल के अनुसार, प्रोफेसर छुट्टी के लिए तैयार हैं, लेकिन उनकी आंख में अभी भी कुछ सूजन है और उन्हें दक्षिण मुंबई के चिकित्सा केंद्र में नियमित जांच के लिए ले जाना चाहिए.

आरोपी को इस साल मई में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था. हेनी बाबू की आंख में सूजन का उपचार चल रहा था और बाद में उन्हें कोविड भी हो गया था.

हेनी बाबू की पत्नी डॉ. जेनी रोवेना द्वारा दायर एक याचिका के बाद अदालत ने 19 मई को हेनी बाबू को ब्रीच कैंडी अस्पताल में अपने खर्च पर भर्ती होने की अनमुति प्रदान की थी.

मंगलवार को जस्टिस शिंदे की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि हेनी बाबू के जेल में वापस आने के बाद जब भी आवश्यक हो, उसे चिकित्सा देखभाल प्रदान की जानी चाहिए.

जस्टिस शिंदे ने कहा कि शिक्षाविद को उनकी आंखों की जांच के लिए शहर के सरकारी जेजे अस्पताल ले जाया जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर ब्रीच कैंडी अस्पताल भी ले जाया जाना चाहिए.

महाराष्ट्र सरकार की मुख्य लोक अभियोजक अरुणा पई ने उच्च न्यायालय से कहा कि यदि हेनी बाबू को भविष्य में परामर्श के लिए निजी अस्पताल ले जाया जाता है, तो उन्हें चिकित्सा खर्च स्वयं वहन करनी होगी.

हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह की चिकित्सा परामर्श का खर्च राज्य के अधिकारियों द्वारा वहन किया जाना चाहिए.

पीठ ने कहा, ‘मान लीजिए कि कुछ इलाज उपलब्ध नहीं है (जेजे अस्पताल में), आप (जेल अधिकारी) उसे परामर्श के लिए ब्रीच कैंडी ले जा सकते हैं. संविधान का अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित) सभी पर समान रूप से लागू होता है. सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं जो कहते हैं कि इलाज (विचाराधीन कैदियों का) राज्य की जिम्मेदारी है.’

अदालत ने कहा, ‘अगर सिस्टम में सुधार किया जा सकता है और बुनियादी ढांचे (जेल) प्रदान किए जा सकते हैं तो हम केवल सुझाव दे सकते हैं, आखिरकार, यह राज्य के हाथ में है.’

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘केवल एक चीज है, उन्हें (हेनी बाबू) समय पर इलाज मिलना चाहिए.’

बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी (54 वर्ष) को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एलगार परिषद मामले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर 28 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया था. एनआईए ने दलील दी है कि हेनी बाबू के भाकपा (माओवादी) से संबंध हैं.

गौरतलब है कि पुणे के ऐतिहासिक शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से पहले एल्गार परिषद का सम्मेलन आयोजित किया गया था.

पुलिस के मुताबिक, इस कार्यक्रम के दौरान दिए गए भाषणों की वजह से जिले के कोरेगांव-भीमा गांव के आसपास एक जनवरी 2018 को जातीय हिंसा भड़की थी.

इस मामले में देश के नामी 16 शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, कवि और वकीलों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सुधीर धावले, शोमा सेन, महेश राउत, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा हैं.

मामले में एक आरोपी स्टेन स्वामी का मेडिकल आधार पर जमानत का इंतजार करते हुए बीते पांच जुलाई को न्यायिक हिरासत में निधन हो गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq