बंगाल में चुनाव बाद हिंसा: हत्या और रेप के मामलों की सीबीआई करेगी जांच, एसआईटी का भी गठन

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद कथित हिंसा के संबंध में अन्य आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन का भी आदेश दिया है. पीठ ने कहा कि सीबीआई और एसआईटी जांच अदालत की निगरानी में की जाएंगी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस आरोप को ख़ारिज कर दिया कि एनएचआरसी द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण थी.

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कलकत्ता हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/Kolkata Calling)

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद कथित हिंसा के संबंध में अन्य आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन का भी आदेश दिया है. पीठ ने कहा कि सीबीआई और एसआईटी जांच अदालत की निगरानी में की जाएंगी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस आरोप को ख़ारिज कर दिया कि एनएचआरसी द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण थी.

कलकत्ता हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/Kolkata Calling)

कोलकाता/नई दिल्ली: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद कथित हिंसा के मामले में हत्या एवं बलात्कार जैसे गंभीर मामलों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद कथित हिंसा के संबंध में अन्य आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का भी आदेश दिया. पीठ ने कहा कि दोनों जांच अदालत की निगरानी में की जाएंगी.

उसने केंद्रीय एजेंसी से आगामी छह सप्ताह में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा. एसआईटी में महानिदेशक (दूरसंचार) सुमन बाला साहू, कोलकाता पुलिस आयुक्त सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार जैसे आईपीएस अधिकारी होंगे.

अदालत ने कहा, ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की समिति की रिपोर्ट के अनुसार सभी मामले, जिनमें महिलाओं के खिलाफ बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के आरोप या किसी व्यक्ति की हत्या के आरोप शामिल हैं, उन्हें जांच के लिए सीबीआई को भेजा जाएगा.’

अदालत ने राज्य को मामलों के सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया ताकि वह जांच कर सके. हाईकोर्ट ने कहा, ‘अदालत की निगरानी में यह जांच होगी और जांच के दौरान किसी के द्वारा किसी भी तरह की बाधा पैदा करने को गंभीरता से लिया जाएगा.’

हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़ितों के मुआवजे की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया और राज्य सरकार के इस आरोप को खारिज कर दिया कि एनएचआरसी द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण थी.

राज्य सरकार ने कहा था, ‘समिति का गठन राज्य की सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ पूर्वाग्रह से भरा हुआ है. समिति के सदस्यों का भाजपा या केंद्र सरकार के साथ करीबी संबंध हैं. ऐसे सदस्यों को जान-बूझकर चुना गया है, जो सत्तारूढ़ व्यवस्था के खिलाफ एक अंतर्निहित पूर्वाग्रह रखते हैं और तदनुसार पश्चिम बंगाल राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में राज्य के खिलाफ एक नकारात्मक रिपोर्ट देने की प्रवृत्ति रखते हैं.’

बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर एनएचआरसी की समिति ने 13 जून को मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के मामलों पर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी है. रिपोर्ट में राज्य सरकार पर हिंसा के पीड़ितों के प्रति भयानक उदासीनता दिखाने का आरोप लगाया गया था.

एनएचआरसी ने रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में कानून व्यवस्था के बजाय शासक के कानून की झलक दिखाई देती है. इसके साथ ही एनएचआरसी ने हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.

रिपोर्ट में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक चुनावी एजेंट और तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं सहित 123 नेताओं को आरोपी और संदिग्ध बताया गया है और उन्हें कुख्यात अपराधी या गुंडे बताया गया है. इस रिपोर्ट में टीएमसी के जिन दो नेताओं के नाम शामिल हैं, उनमें राज्य में मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक और विधायक सौकत मुल्लाह हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एफआईआर में 9,304 आरोपी नामजद हैं, लेकिन सिर्फ 14 फीसदी को ही गिरफ्तार किया गया और इन 14 फीसदी में से 80 फीसदी को पहले ही जमानत मिल चुकी है.

सात सदस्यीय समिति के तहत कई टीमों ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले 20 दिन के भीतर राज्य में 311 स्थलों का दौरा किया था. समिति को विभिन्न स्रोतों से 15,000 से अधिक पीड़ितों के बारे में 1,979 शिकायतें मिली थीं.

बता दें कि राज्य में आठ चरणों में हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने 292 में से 213 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा 77 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी.

अदालत के आदेश ने स्पष्ट किया कि अराजकता की भारत में कोई जगह नहीं: भाजपा

पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के गंभीर मामलों की सीबीआई से जांच कराने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि अदालत ने कड़ा संदेश दिया है कि भारत के किसी हिस्से में अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आत्मविश्लेषण करने के लिए कहा.

भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अदालत के आदेश का हवाला देकर कहा कि विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद हुई हिंसा में राज्य पुलिस ने लोगों की शिकायतों को नहीं सुना. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपराधियों को कथित तौर पर संरक्षण दिया.

उन्होंने आरोप लगाया कि पहली नजर में आरोपी तृणमूल कांग्रेस के मालूम होते हैं.

भाटिया ने कहा, ‘हाईकोर्ट ने एक कड़ा संदेश दिया है. यह मील का पत्थर होना चाहिए, क्योंकि अदालत ने साफ कर दिया है कि अराजकता की भारत में कोई जगह नहीं है.’

ममता बनर्जी को ‘असफल मुख्यमंत्री’ करार देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार ने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की और उनसे अब कानून के अनुरूप अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह करने को कहा.

उन्होंने कहा, ‘अदालत के फैसले का सारांश यही है कि दो मई (मतगणना के दिन), कानून-व्यवस्था (पश्चिम बंगाल) गई. लोकतंत्र में नागरिकों की रक्षा की जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार की होती है, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि ममता बनर्जी इसमें विफल रहीं.’

भाटिया ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री राज्य की जनता को हिंसा से बचाने में विफल रहीं और फिर उन्हें न्याय भी नहीं दिला सकीं, क्योंकि राज्य पुलिस ने प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की.

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री के लिए यह आत्मचिंतन का समय है. उम्मीद है कि उच्च न्यायालय के आदेश का संज्ञान लेते हुए वह आत्मचिंतन जरूर करेंगी और पीड़ितों को इंसाफ जरूर दिलाएंगी.’

उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से स्पष्ट होता है कि इन मामलों में जो आरोपी हैं वह सत्ताधारी दल के हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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