जो पुजारी बच्चों के साथ छेड़खानी करता है, उसकी प्रार्थना कौन-सा भगवान स्वीकार करता होगा: अदालत

केरल के मल्लपुरम ज़िले के मंजेरी क़स्बे का मामला. एक महिला को उसके तीन बच्चों के साथ पति ने छोड़ दिया था, जिसके बाद पुजारी ने उन्हें सहारा दिया था. हालांकि पुजारी पीड़ित परिवार की बड़ी लड़की के साथ लगातार बलात्कार करता आ रहा था. मानसिक रूप से कमज़ोर इस महिला और उसके बच्चों को पुलिस ने एक मार्च, 2013 को भटकते हुए पाया था, जिसके बाद इस घटना का खुलासा हुआ.

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(फोटो साभार: swarajyamag.com)

केरल के मल्लपुरम ज़िले के मंजेरी क़स्बे का मामला. एक महिला को उसके तीन बच्चों के साथ पति ने छोड़ दिया था, जिसके बाद पुजारी ने उन्हें सहारा दिया था. हालांकि पुजारी पीड़ित परिवार की बड़ी लड़की के साथ लगातार बलात्कार करता आ रहा था. मानसिक रूप से कमज़ोर इस महिला और उसके बच्चों को पुलिस ने एक मार्च, 2013 को भटकते हुए पाया था, जिसके बाद इस घटना का खुलासा हुआ.

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कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने एक लड़की से बलात्कार के जुर्म में एक पुजारी को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए टिप्पणी की, ‘हमें आश्चर्य होता है कि कौन सा भगवान ऐसे पुजारी की प्रार्थना/पूजा-अर्चना स्वीकार करता होगा, जिसने बार-बार एक नाबालिग से उसके भाई-बहनों के सामने छेड़खानी की.’

जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस जियाद रहमान एए की पीठ ने मंजेरी (मल्लपुर जिला) के निवासी मधु (पुजारी) को अधिकतम सजा सुनाते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति अपनी पत्नी एवं बच्चों का परित्याग कर देता है, तब मंडराते गिद्ध न केवल परित्यक्त महिला, बल्कि बच्चों को भी अपना शिकार बनाते हैं.

अदालत ने आरोपी की अपील पर यह टिप्पणी की, जिसे नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने को दोषी ठहराया गया था.

अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘जब कोई व्यक्ति अपनी पत्नी एवं बच्चों का परित्याग कर देता है तब मंडराते गिद्ध न केवल परित्यक्त महिला बल्कि बच्चों को भी अपना शिकार बनाते हैं. इस मामले में हमने एक ऐसे पुजारी को देखा, जिसने ऐसी ही एक महिला और उसके तीन बच्चों को अपने पास रखा, सिर्फ इसलिए ताकि परिवार की बड़ी लड़की के साथ बार-बार छेड़छाड़ कर सके, वह भी उसके भाई-बहनों की मौजूदगी में. हमें आश्चर्य होता है कि कौन-सा भगवान एक ऐसे पुरोहित की पूजा और प्रसाद को स्वीकार करता होगा?’

हाईकोर्ट पोक्सो अदालत के आदेश के विरुद्ध सुनवाई कर रहा है.

अदालत ने कहा, ‘बलात्कार का अपराध साबित हो जाने के बाद आरोपी धारा 376 (1) के तहत दोषी करार देने के लायक है. आरोपी का पीड़िता के साथ विशेष संबंध तथा अभिभावक के दर्जे पर गौर करते हुए हमारा मत है कि अपीलकर्ता को अधिकतम सजा सुनाई जाए.’

अभियोजन के अनुसार, मानसिक रूप से गंभीर तौर पर कमजोर एक मां और उसके तीन बच्चों को पुलिस ने एक मार्च, 2013 को भटकते हुए पाया था. पूछताछ के दौरान सबसे बड़ी लड़की ने पुलिस के सामने खुलासा किया था कि उसकी मां जिस व्यक्ति के साथ रह रही थी, वह एक साल से उसका यौन उत्पीड़न कर रहा था.

अदालत ने कहा कि आरोपी मंदिर का पुजारी नशे में घर आता था, मां एवं बच्चों के साथ मारपीट करता था और बड़ी लड़की पर उसके भाई-बहनों के सामने यौन हमला करता था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अदालत ने कहा, ‘मां की मानसिक स्थिति, समाज के लिए शर्म की बात है. तीन बच्चों के साथ छोड़ दी गई महिला, जिसके पास भोजन या शरण लेने का कोई साधन नहीं, उसके तनाव से समझा जा सकता है कि बच्चों को अकेले ही शारीरिक, मानसिक और यौन प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा. उक्त परिस्थितियों में कोई भी मां समझदार नहीं रह सकती.’

अदालत ने कहा कि मेडिकल जांच में यौन हमले की पुष्टि हुई है और लड़की का भाई इस अपराध का गवाह भी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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