किसानों को प्रदर्शन का अधिकार, पर अनिश्चितकाल के लिए सड़क ब्लॉक नहीं कर सकते: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चुनौती लंबित है, फिर भी न्यायालय विरोध के अधिकार के विरुद्ध नहीं है लेकिन अंततः कोई समाधान निकालना होगा. इस पर किसान संगठनों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि रोड को किसानों द्वारा नहीं, बल्कि पुलिस द्वारा ब्लॉक किया गया है.

/
New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चुनौती लंबित है, फिर भी न्यायालय विरोध के अधिकार के विरुद्ध नहीं है लेकिन अंततः कोई समाधान निकालना होगा. इस पर किसान संगठनों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि रोड को किसानों द्वारा नहीं, बल्कि पुलिस द्वारा ब्लॉक किया गया है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट  ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते.

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि कानूनी रूप से चुनौती लंबित है, फिर भी न्यायालय विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन अंततः कोई समाधान निकालना होगा.

पीठ ने कहा, ‘किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते. आप जिस तरीके से चाहें विरोध कर सकते हैं लेकिन सड़कों को इस तरह अवरुद्ध नहीं कर सकते. लोगों को सड़कों पर जाने का अधिकार है लेकिन वे इसे अवरुद्ध नहीं कर सकते.’

किसान संगठनों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि रोड किसानों द्वारा नहीं, बल्कि पुलिस द्वारा ब्लॉक किया गया है.

लाइव लॉ के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘रोड को हमने (किसानों) ब्लॉक नहीं किया है. इसे पुलिस ने अवरुद्ध कर रखा है. हमें मना करने के बाद भाजपा ने रामलीला मैदान में रैली की थी. ये सब चुनिंदा तरीके से क्यों हो रहा है.’

दवे ने कहा कि समस्या की जड़ रामलीला मैदान में प्रदर्शन करने की अनुमति न देना है, यदि प्रशासन इसकी अनुमति दे दे, तो किसान वहां से रामलीला मैदान आ जाएंगे.

इस पर जस्टिस कौल ने कहा, ‘आपको किसी भी तरह से प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन रोड को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए.’

फिर दवे ने कहा, ‘मैं उस रोड पर छह बार गया हूं. मेरा मानना है कि दिल्ली पुलिस इसका बेहतर समाधान कर सकती है. उन्हें रामलीला मैदान में आने की इजाजत दी जाए.’

वरिष्ठ वकील ने यह भी कहा कि इस मामले को मौजूदा दो जजों की पीठ द्वारा नहीं सुना जाना चाहिए, इसे उसी तीन जजों की पीठ के पास भेजा जाए, जो इसी तरह के मामलों को सुन रहे हैं. हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर आपत्ति भी जताई.

कोर्ट ने कहा कि वह पहले मामले की रूपरेखा तय करेगा और इस पर फैसला करेगा कि क्या इसे दूसरी पीठ को भेजा जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने किसान यूनियनों से इस मुद्दे पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को सात दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

न्यायालय नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया है कि किसान आंदोलन के कारण सड़क अवरुद्ध होने से आवाजाही में मुश्किल हो रही है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा सड़क बाधित किए जाने का जिक्र करते हुए सवाल किया था कि राजमार्गों को हमेशा के लिए बाधित कैसे किया जा सकता है.

इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा था कि जब तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी गई है, तो किसान संगठन किसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की एक अन्य पीठ ने कहा था कि कानूनों की वैधता को न्यायालय में चुनौती देने के बाद ऐसे विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है.

मालूम हो कि कई किसान संगठन पिछले करीब एक साल से तीन कानूनों- किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, 2020 के पारित होने का विरोध कर रहे हैं.

इन कानूनों का विरोध पिछले साल नवंबर में पंजाब से शुरू हुआ था, लेकिन बाद में मुख्य रूप से दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैल गया.

द वायर  ने पहले अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि पुलिस और सुरक्षा बलों ने किसानों को दिल्ली में आने और अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक विरोध करने से रोकने के लिए राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया है.

दूसरी ओर, प्रदर्शनकारियों ने शिविर इस तरह से लगाया है कि यातायात के लिए पर्याप्त जगह खाली हो सके, विशेषकर एम्बुलेंस और आवश्यक सेवाओं पर प्रदर्शन का प्रभाव न पड़े.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन कानूनों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.

अब तक किसान यूनियनों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध जारी है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर कायम हैं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से अब तक कोई बातचीत नहीं हो सकी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq