गुड़गांव में सिख समुदाय के कुछ सदस्यों ने गुरुद्वारों में नमाज़ पढ़ने की अनुमति देने के धर्मस्थल प्रबंधन समिति के निर्णय का विरोध किया. गुड़गांव मुस्लिम काउंसिल के सदस्य अल्ताफ़ अहमद ने कहा कि गुरुपर्व के चलते इस बार किसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए वहां न जाने का फ़ैसला किया गया था, अगले सप्ताह इस बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
गुड़गांव: हरियाणा के गुड़गांव में पांच गुरुद्वारों की देखरेख करने वाली एक समिति ने प्रार्थना के लिए अपने परिसर की पेशकश की थी, लेकिन शुक्रवार को किसी भी गुरुद्वारे में नमाज नहीं अदा की गई.
वहीं, गुरुद्वारा सिंह सभा में सिख समुदाय के कुछ सदस्यों ने वहां मुस्लिमों को नमाज अदा करने की अनुमति देने के धर्मस्थल प्रबंधन समिति के फैसले का विरोध किया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लगातार दूसरे सप्ताह मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने एक विक्रेता अक्षय यादव की सेक्टर 12 में खाली दुकान पर शुक्रवार की नमाज अदा की.
सेक्टर 12 में एक दुकानदार अक्षय यादव ने नमाज के लिए अपने खाली परिसर मुहैया कराया है. दोपहर करीब दो बजे दुकान के शटर खुले. व्यवसायी यादव शहर से बाहर थे.
गुरुद्वारा सिंह सभा में नमाज अदा करने का विरोध करने वाले सिख समुदाय के लोगों ने कहा कि अगर गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने गुरुद्वारा परिसर में नमाज अदा करने के फैसले को आगे बढ़ाया तो वे इसका विरोध करेंगे.
वहीं, संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के सदस्य दोपहर करीब 12 बजे गुरुद्वारे पहुंचे और लोगों को ‘गुरु तेग बहादुर-हिंद की चादर’ नामक किताबें वितरित कीं. ये लोग वहां अपराह्न दो बजे तक रहे.
प्रबंधन समिति के प्रवक्ता दया सिंह ने कहा, ‘हमने जुमे की नमाज के लिए पास के स्कूल और गुरुद्वारे के बेसमेंट में एक खुली जगह की पेशकश की थी, लेकिन मुस्लिम भाइयों ने नमाज अदा नहीं करने का फैसला किया. वे गुरुपरब के अवसर पर कोई विवाद नहीं चाहते थे.’
जमीयत उलेमा हिंद, गुरुग्राम के अध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद सलीम और गुरुग्राम मुस्लिम काउंसिल के सह-संस्थापक अल्ताफ अहमद सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए धन्यवाद देने के वास्ते शुक्रवार दोपहर समिति के सदस्यों से मुलाकात की.
दुकान पर नमाज अदा करने वाले पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब ने कहा, ‘जब गुरुद्वारे ने अपने परिसर की पेशकश की, तो कट्टरपंथियों ने उन पर दबाव डाला. कल रात, हमें इसका पता चला और महसूस किया कि गुरुद्वारा दबाव में था. उन्होंने शुरू में कहा कि हम पास के एक स्कूल में नमाज पढ़ सकते हैं. लेकिन कोई गड़बड़ हुई तो… जनता गुरुद्वारे पर होगी. हमने उनसे कहा कि हम उन्हें असुविधा नहीं होने देंगे. इसलिए हम नमाज के बाद उनका शुक्रिया अदा करने गए.’
गुड़गांव मुस्लिम काउंसिल के अल्ताफ अहमद ने एक बयान में कहा, ‘गुरुवार से दक्षिणपंथी समूहों के सदस्य मुसलमानों को जुमे की नमाज अदा करने से रोकने के लिए गुरुद्वारा समिति पर दबाव बनाने के लिए निंदनीय रणनीति का इस्तेमाल कर रहे थे … चूंकि आज एक बड़ा त्योहार था. सिख समुदाय के भक्तों की भारी भीड़ की थी और हम सुरक्षा को खतरे में नहीं डालना चाहते थे. इसलिए गुरुद्वारा साहिब और गुड़गांव मुस्लिम काउंसिल की कमेटी ने शुक्रवार सुबह फैसला लिया कि इस हफ्ते गुरुद्वारे में नमाज नहीं पढ़ी जाएगी.’
अल्ताफ ने कहा, ‘ईसाइयों ने भी समर्थन बढ़ाया है. अक्षय यादव, सिखों और ईसाइयों की ओर से अपने स्थानों को नमाज के लिए खोलना दयालुता है. लेकिन हम जानते हैं कि यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है. मुसलमानों को यह सुनिश्चित करने के तरीके खोजने होंगे कि गुड़गांव की बड़ी आबादी यहां या तो सरकारी या निजी जमीन से नमाज अदा कर सके, जहां हम सम्मान के साथ प्रार्थना कर सकते हैं.’
गुड़गांव प्रशासन ने पूर्व में स्थानीय निवासियों की आपत्तियों का हवाला देते हुए शहर के 37 सार्वजनिक मैदानों में से आठ में जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति रद्द कर दी थी.
पुलिस ने कहा कि सेक्टर 37 में 15-20 लोगों ने एक खेल के मैदान में नमाज अदा करने में बाधा डाली.
पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि वे उस जगह पर क्रिकेट खेलना चाहते थे. मौके पर पहुंची पुलिस उन्हें सेक्टर 10 थाना ले गई और मामले पर चर्चा की.
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से कहा था कि वे अगले सप्ताह से उस जगह पर नमाज की अनुमति नहीं देंगे. यह जगह उन स्थानों की सूची में है जहां पहले प्रशासन द्वारा नमाज अदा करने के लिए सहमति व्यक्त की गई थी.
संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के कानूनी सलाहकार कुलभूषण भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने गुरुद्वारा सिंह सभा में ‘गुरु तेग बहादुर-हिंद की चादर’ नामक 2,500 पुस्तकों का वितरण किया और गुरु नानक देव को श्रद्धांजलि दी.
उन्होंने कहा, ‘हम वहां नमाज के लिए अपने परिसर की पेशकश करने के गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के फैसले के विरोध में नहीं गए थे. हम परिसरों के अंदर नमाज की पेशकश करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो. हम सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करने की प्रथा के खिलाफ हैं.’
भारद्वाज ने कहा, ‘अगर कोई मुस्लिमों को नमाज के लिए अपने गैराज, घर या पूजा स्थल में खुली जगह दे रहा है, तो यह उनकी अपनी पसंद है. हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है.’
हालांकि, नमाज के लिए गुरुद्वारा परिसर की पेशकश किए जाने के फैसले को लेकर सिख समुदाय में सभी की राय एक जैसी नहीं है.
स्थानीय निवासी जवाहर सिंह ने कहा, ‘वे गुरुद्वारे में नमाज नहीं पढ़ सकते. श्री गुरु ग्रंथ साहिबजी इसकी इजाजत नहीं देते. प्रबंधक (प्रबंधन) समिति ने उन्हें नमाज पढ़ने की इजाजत दी, लेकिन हम इसके पक्ष में नहीं हैं.’
गुरचरण सिंह ने कहा, ‘सभी धर्मों के लोगों का स्वागत है लेकिन गुरुद्वारे में केवल गुरबानी हो सकती है और कुछ नहीं. गुरुद्वारे की संपत्ति का इस्तेमाल ऐसे किसी भी उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की ‘मर्यादा’ के खिलाफ हो.’
जवाहर सिंह ने दावा किया कि प्रबंधन समिति ने सिख संगत से कहा है कि वह 21 नवंबर को उत्सव खत्म होने के बाद फैसले की समीक्षा करेगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, समिति के प्रवक्ता दया सिंह ने कहा कि वे गुरुद्वारे के गर्भगृह में किसी भी रस्म (सिख धर्म के तहत अनुमत के अलावा) की अनुमति नहीं देते हैं, लेकिन नमाज के लिए इस्तेमाल किए जा रहे बेसमेंट और पार्किंग क्षेत्र जैसे अन्य खाली स्थानों पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
दया सिंह ने कहा, ‘समिति ने नमाज के लिए जगह देने का फैसला किया है क्योंकि मुसलमानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा था; उन्हें यहां नमाज अदा करने देंगे. गुरुपर्व के कारण शुक्रवार को उन्होंने (मुसलमानों) ने किसी भी संघर्ष से बचने के लिए खुद नमाज पढ़ने से इनकार कर दिया. हम अगले सप्ताह नमाज पर (अंतिम) निर्णय लेंगे.’
Committee had decided to offer space for Nawaz if Muslims were facing problems; will let them offer Namaz here.Due to Gurpurb, they (Muslims) themselves refused to offer namaz to avoid any conflict.We'll take (final)decision on namaz next week: Daya Singh, Gurudwara Member(19.11) https://t.co/wGyaWciuW3 pic.twitter.com/nUm3n3jDxt
— ANI (@ANI) November 20, 2021
वहीं, सेक्टर 29 स्थित लेजर वैली मैदान में करीब चार किलोमीटर दूर शुक्रवार की नमाज बिना किसी व्यवधान के हुई. बताया गया कि शुक्रवार को बड़े मैदान में तीन स्थानों पर करीब 4,000 लोगों ने नमाज अदा की.
नमाज अदा करने के बाद एक शख्स ने कहा, ‘स्थानीय लोगों ने 2013 में यहां नमाज अदा करना शुरू किया था. वे यहां इसलिए आते हैं क्योंकि पास में कोई मस्जिद नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया है. हमें खुले में नमाज अदा करने के लिए मजबूर किया जाता है. लोग इस मैदान में शौच करते हैं. कोई भी शौच के पास बैठकर प्रार्थना नहीं करना चाहेगा. यह हमारी ‘मजबूरी’ है.’
मुफ्ती मुर्शाद रहमान ने कहा, ‘पूरा मुद्दा रिहायशी इलाकों में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करने का है. यह आवासीय समाजों से दूर एक विशाल मैदान है. यहां प्रार्थना से किसी को असुविधा नहीं होती है. यहां कोई विवाद नहीं है.’
मालूम हो कि गुड़गांव में दक्षिणपंथी समूहों के विरोध के बीच गुरुद्वारा कमेटी ने नमाज अदा करने के लिए अपने परिसर देने की पेशकश की थी. मुस्लिम समुदाय को नमाज के लिए सदर बाजार, सेक्टर 39, सेक्टर 46, मॉडल टाउन और जैकबपुरा में पांच गुरुद्वारों के स्थान मुहैया कराने की पेशकश की गई है.
हिंदुत्ववादी समूहों के समर्थक और सदस्य पिछले दो महीने से अधिक समय से प्रत्येक शुक्रवार को गुड़गांव में नमाज स्थलों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसमें से एक सेक्टर 12 है, जहां मुसलमान प्रशासन से अनुमति लेकर सार्वजनिक भूमि पर नमाज अदा करते आए हैं.
प्रशासन ने बीते तीन नवंबर को 37 निर्धारित स्थलों में से आठ स्थानों पर नमाज अदा करने की अनुमति रद्द कर दी थी. इस बीच संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति ने सेक्टर-12ए में उस स्थान पर गोवर्धन पूजा का आयोजन किया था, जहां पिछले कुछ दिनों से नमाज करने का विरोध किया जा रहा है.
खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में भाजपा नेता कपिल मिश्रा और कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद को आमंत्रित किया गया था.
साल 2018 में भी गुड़गांव में खुले में नमाज अदा कर रहे मुस्लिमों पर लगातार हमले हुए थे. कुछ लोगों ने सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा कर रहे मुस्लिमों पर हमला किया था और उनसे कथित तौर पर जय श्रीराम के नारे लगवाए थे.
इस हमले के बाद गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद जैसे हिंदुत्ववादी नेताओं ने हरियाणा में मुस्लिम युवकों के खिलाफ भूमि जिहाद के आरोप भी लगाए गए थे. खुले स्थानों पर नमाज को राज्य की मंजूरी बताते हुए नरसिंहानंद ने कहा था, ‘यह गुड़गांव को नष्ट करने की साजिश है, क्योंकि यह एक नया आर्थिक केंद्र है.’
द वायर ने अपनी रिपोर्ट में पहले भी बताया था कि हिंदुत्ववादी नेता और संगठन इन विरोधों के केंद्र में रहे हैं और इन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं.
इन विरोधों की अगुवाई कर रहे भारत माता वाहिनी के अध्यक्ष दिनेश भारती का दावा था कि खुले में नमाज अदा करना अंतरराष्ट्रीय साजिश है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)