मनरेगा में अनियमितताओं को लेकर केंद्र सरकार ने झारखंड से रिपोर्ट मांगी

झारखंड ग्रामीण विकास विभाग की सामाजिक लेखापरीक्षा इकाई ने मनरेगा के अपने ताजा ऑडिट में कई अनियमितताएं पाई थीं. इस दौरान सामने आया था कि 1.59 लाख से अधिक श्रमिकों का रिकॉर्ड में नाम दर्ज था, लेकिन कार्यस्थल पर केवल 40,629 श्रमिक काम करते मिले थे.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

झारखंड ग्रामीण विकास विभाग की सामाजिक लेखापरीक्षा इकाई ने मनरेगा के अपने ताजा ऑडिट में कई अनियमितताएं पाई थीं. इस दौरान सामने आया था कि 1.59 लाख से अधिक श्रमिकों का रिकॉर्ड में नाम दर्ज था, लेकिन कार्यस्थल पर केवल 40,629 श्रमिक काम करते मिले थे.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

रांची: झारखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के हालिया सोशल ऑडिट में पाई गई अनियमितताओं के लेकर केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्य सरकार को पत्र लिखा और कहा कि वह ऐसे सभी मामलों में कड़ी कार्रवाई करे.

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत संचालित मनरेगा के निदेशक धर्मवीर झा ने झारखंड मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी. को पत्र लिखकर मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है, जिसमें मामले में दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) और अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानकारी मांगा जाना शामिल है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, राज्य को सात फरवरी तक इस संबंध में जानकारी उपलब्ध करानी है.

गौरतलब है कि 14 जनवरी को इंडियन एक्सप्रेस ने ही अपनी एक रिपोर्ट में यह मसला उठाया था और खुलासा किया था कि झारखंड ग्रामीण विकास विभाग की सामाजिक लेखापरीक्षा इकाई ने मनरेगा के अपने ताजा ऑडिट में कई अनियमितताएं पाई थीं.

ऑडिट में सामने आया था कि 1.59 लाख से अधिक श्रमिकों का रिकॉर्ड में नाम दर्ज था, लेकिन कार्यस्थल पर उनमें से 75 फीसदी गायब थे.

साथ ही पाया गया था कि काम करने के लिए मशीनों का उपयोग किया गया था, जबकि यह योजना लोगों को रोजगार देने के लिए बनाई गई है. लेकिन, ठेकेदारों ने मशीन से काम लिया और योजना के लाभार्थियों के साथ ऐसा सौदा किया कि उनका नाम मस्टर रोल पर चढ़ा दिया गया और बदले में खाते में हस्तांतरण होने वाली राशि का हिस्सा-बांट कर लिया गया.

ऑडिट के दौरान पाया गया था कि ठेकेदारों ने रोजगार खोज रहे स्थानीय लोगों के बजाय ठेका मजदूरों (कांट्रेक्ट लेबर) से काम कराया.

अपने पत्र में झा ने लिखा है कि 14 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को ध्यान में रखकर ऐेसे सभी प्रकरणों में कड़ी कार्रवाई की जाए.

पत्र में कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी कदाचार में लिप्त पाया जाता है तो उनके खिलाफ तीन सप्ताह में कार्रवाई की जाए. साथ ही कहा गया है कि जो भी कार्रवाई हो, उससे संबंधित दर्ज एफआईआर, अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू और बंद करने सबंधी और जो वसूली की जानी है या की गई है, इस बारे में भी सही जानकारी शामिल होनी चाहिए.

इसके साथ ही, ऑडिट के नतीजों पर की जा रही कार्रवाई पर नजर रखने वाली प्रणाली और अनियमितताओं को रोकने या कम करने के लिए जो व्यवस्थागत बदलाव और जांच की गईं, इस संबंध में भी पत्र में दिशा-निर्देश दिए गए हैं.

बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में राज्य की 4,332 पंचायतों में से 1,118 में दो चरणों में ऑडिट किया गया था. इस दौरान 26,000 कार्यस्थलों पर ऑडिट टीम को ऑनलाइन पंजीकृत 1.59 लाख नामों में से केवल 40,629 लोग काम करते मिले थे.