देखौ गुरु! ई बनारस है, मोदी हों या अखिलेश, इहां सबको मत्था टेकना पड़ता है…

ग्राउंड रिपोर्ट: होली के पहले बनारस में चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है और यहां का माहौल देखकर लगता है कि इस बार की होली कुछ ज़्यादा ही लाजवाब होने वाली है.

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ग्राउंड रिपोर्ट: होली के पहले बनारस में चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है और यहां का माहौल देखकर लगता है कि इस बार की होली कुछ ज़्यादा ही लाजवाब होने वाली है.

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बनारस में भाजपा की एक रैली. (फोटो अमित सिंह)

बनारस में चुनावी चकल्लस का दौर चल रहा है. अगर हम बनारस की भाषा में कहें तो ‘भौकाल टाइट’ करने का दौर चल रहा है. और हां गुरु बनारसी सबका भौकाल टाइट रखते हैं. ‘गुरु’, ‘भौकाल’, ‘बनारसी’, ‘टशन’, ‘फक्कड़’ ऐसे शब्द हैं जो वाराणसी में घूमते वक़्त आपके कान में यूं ही सुनाई देते रहेंगे.

बनारसी भौकाल पर चर्चा करते हुए कैंट में पान की दुकान चलाने वाले राम मनोहर चौरसिया बताते हैं, ‘देखौ गुरु! ई बनारस है, इहां सबको मत्था टेकना पड़ता है. हम बनारसी इसी भौकाल में खुश रहते हैं. और देखो अखबार में खबर आई है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है. लेकिन बनारस में सबको बोलने को मिलता है. देखो अखिलेश, मायावती, राहुल, नरेंद्र मोदी सब आकर बनारस में अपना भौकाल दे रहे हैं. और बनारसी सबका भौकाल समझ रहे हैं.’

चौरसिया आगे कहते हैं, ‘देखौ बनारसी को सबको कनफ्यूज करने में बड़ा मजा आता है. सबकी रैली, रोड शो में बनारसी दिख रहा है. अब जनता, मीडिया देखकर बताएं कि बनारसी किसको वोट दे रहा है. अरे, बनारसी इतना खाली होता है कि सड़क पर एक साड़ खड़ा हो जाता है तो घंटों जाम लगा रहता है, तो ई तो लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है. सीएम, पीएम आएं है हमारी गलियों में तो बनारस जय बोलेगा ही.’

माहौल ये है कि हर पार्टी के बड़े नेताओं, कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों से बनारस के होटल फुल हैं. आप अगर होटल लेना चाहें तो होटल मालिक पहले पूछ लेता है कि चुनाव के काम से आए हैं तो हमारे यहां कमरा नहीं है. चुनाव वाले बहुत भीड़ करते हैं. ऊपर से पुलिस वाले बड़ा परेशान कर रहे हैं.

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बनारस शहर में सपा की रैली. (फोटो: अमित सिंह)

शनिवार से बनारस की हर गली राजनीतिक परिचर्चा का गढ़ बनी हुई. सब बस यही चर्चा कर रहे हैं कि वोट किसको दिया जाए और कौन सी सड़क बंद है या किस सड़क पर जाम है.

वाराणसी के एक हिस्से में सुबह भाजपा नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो तो दूसरे हिस्से में दोपहर बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा नेता व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का रोड शो. शहर से थोड़ा बाहर मायावती की रैली.

कार्यकर्ताओं की भीड़ हर तरफ. हर रैली में एक-दूसरे के उपर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को भी एक रोड शो कर रहे हैं.

शनिवार को प्रधानमंत्री के रोड शो में शामिल भाजपा कार्यकर्ता राकेश सिंह कहते है, ‘प्रधानमंत्री जी बनारस में हैं. अब भाजपा सब पर भारी पड़ रही है. सभी सीटें निकाल लेगी. अखिलेश सरकार में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी. केंद्र में जब से नरेंद्र मोदी की सरकार आई है बनारस बदल रहा है. आप घाट जाकर देख लीजिए, बनारस की गलियां देख लीजिए. सब साफ हैं हमें दावा करने की जरूरत नहीं है. आप किसी से पूछ लीजिए बताएगा बनारस बदल गया है. अब तो 24 घंटे बिजली का भी वादा पीएम कर गए हैं.’

वहीं दूसरी तरफ अखिलेश और राहुल की रैली में शामिल कार्यकर्ता इसके उलट आरोप लगा रहे हैं. सपा कार्यकर्ता लाल बहादुर कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री डर गए हैं. गठबंधन के चलते उनकी हवा टाइट है. प्रधानमंत्री समेत केंद्र के सारे मंत्री बनारस टिक गया है. बिना परमिशन के रोड शो निकाल रहे हैं. उन्हें डर था हमारे रोड शो को देखकर जनता का मूड कहीं बदल न जाए. देखो हमारी रोड शो में भीड़. जनता 11 बजे से सड़कों के किनारे खड़ी है. कोई टस से मस न हो रहा है. और बनारस का विकास सपा सरकार ने किया है जिसे मोदी जी अपना बता रहे हैं. मोदी जी ने तो बनारस को क्योटो बनाने का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं किया. सिर्फ सफाई करते रहे पर वो भी सिर्फ दिखावा निकला.’

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बनारस में बच्चों पर भी चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है. (फोटो: अमित सिंह)

वैसे भी बनारस में आपको देश-दुनिया के हर टॉपिक पर चर्चा करते हुए लोग मिल जाएंगे, लेकिन जब बात बनारस के विकास पर की जाए तो बड़े ही फक्कड़पन से जवाब मिलता है.

अस्सी घाट पर हमने शाम की गंगा आरती में आए कुछ लोगों से वाराणसी के विकास के बारे में जब पूछा तो राम प्रकाश कहते हैं, ‘ई बनारस पौराणिक शहर है. अगर आप धार्मिक न हो तब भी जाने इसे अन्नपूर्णा देवी का आशीर्वाद मिला है. यहां कोई भूखा नहीं सोता है. अगर पेट भरा है तो फिर बनारसी को किस बात की चिंता है. विकास की बात वहां कीजिए जहां लोगों का पेट नहीं भरा हो. बनारस में सबका पेट भरा है और सब आकर यहां सर झुका कर जाते हैं. हम इसी में खुश हैं. बनारसी ज्यादा का भूखा नहीं है.’

सारे ज़रूरी मुद्दों के ऐसे फक्कड़पन भरे जवाब आपको सिर्फ बनारस में ही मिल सकते हैं.

अस्सी घाट पर ही कुछ छात्र भी घूम रहे थे. हमने उनसे बात की तो बैचलर आॅफ फाइन आर्ट की छात्रा रितिका सिंह ने बताया, ‘देखिए, चुनाव में महिलाओं, छात्राओं के लिए कुछ मुद्दा नहीं है. डिंपल को छोड़कर कोई महिलाओं की कोई बात नहीं कर रहा है, लेकिन इस सरकार में कानून व्यवस्था बहुत ही खराब रही है. हम इससे संतुष्ट नहीं हैं.’

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बनारस का चुनावी रंग. (फोटो: अमित सिंह)

पहली बार वोट डालने जा रहीं रितिका बहुत उत्साहित हैं लेकिन वो कहती हैं, ‘हमारे बनारस में युवाओं को लेकर कोई बात नहीं कर रहा है. पहली बार वोट डालने वाले बड़ी संख्या में हैं. इनकी पढ़ाई और रोजगार की बात नेताओं को करनी चाहिए.’

बनारस शहर में नोटबंदी पर भी चर्चा हो रही है. ज्यादातर दुकानदार इस बात से नाराज़ दिख रहे थे. मदनपुरा में परचून की दुकान चलाने वाले राम प्रकाश कहते हैं, ‘नोटबंदी से हमारी बिक्री पर बहुत फर्क पड़ा है. बिक्री आधी हो गई है, लेकिन हमारे लिए इससे बड़ा मुद्दा कानून-व्यवस्था है.’

मदनपुरा मुस्लिम बाहुल्य इलाका है. यहां पर पीएम के रोड शो के दौरान हमारी मुलाकात अशफाक से होती है. उनका कहना था, ‘हम तो इसलिए खड़े हो गए ताकि पीएम को देख सकें. आजकल खाली हैं प्रधानमंत्री ने नोटबंदी करके हमारे धंधे को चौपट कर दिया है. हमारे पास तीन करघे हैं. बुनकरी का काम करते हैं लेकिन अब माल बचा नहीं है. नया आॅर्डर मिल नहीं रहा है तो घूम-घूमकर रैली कर रहे हैं.’

फिलहाल, बनारस की गलियों में ऐसी तमाम चर्चाएं चल रही हैं. होली के पहले ही बनारस में रंग, गुलाल और फूलों की होली खेली जा रही है. चटखारे लेकर बताया जा रहा है कि इस बार बनारसी होली पर चुनावी रंग चढ़ गया है तो इस बार की होली तो लाजवाब होने वाली है. हार-जीत का डर सबको है इसलिए पहले से ही होली मना ली जा रही है.