आपका किसान कंकाल और कटोरा लिए दिल्ली आ गया है

सूखे के चलते तमिलनाडु में पिछले चार महीने में 400 किसानों ने आत्महत्या कर ली है. राज्य के किसान कर्ज माफी और सूखा राहत पैकेज की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

सूखे के चलते तमिलनाडु में पिछले चार महीने में 400 किसानों की मौत हो गई है. राज्य के किसान कर्ज माफी और सूखा राहत पैकेज की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

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दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करते तमिलनाडु के किसान. (फोटो: कृष्णकांत)
‘तमिलनाडु में पिछले 140 सालों में सबसे खराब सूखा पड़ा है. पिछले चार महीने में करीब 400 किसानों ने खुदकुशी कर ली है. उनकी फसलें बर्बाद हो गई थीं. सूखा राहत के नाम पर सरकार ने हमें तीन हजार रुपये दिए हैं. इतने में हमारा गुजारा कैसे चलेगा. हम यहां पर उन किसानों का कंकाल लेकर यहां दिल्ली आए हैं जिन्होंने पिछले दिनों आत्महत्या की है. हम यह दिखाना चाहते हैं कि केंद्र सरकार हमारी मदद करने में असफल रही है. हमारे हाथ में कटोरा है जो यह बताता है कि हम किसानों के पास अब कुछ नहीं बचा है.’ ये बातें तमिलनाडु से दिल्ली प्रदर्शन करने आए किसानों के नेता पी. अय्याकन्नु ने बताई.

गौरतलब है कि तमिलनाडु के 170 से ज्यादा किसान केंद्र सरकार से राज्य के किसानों के लिए कर्ज माफी और सूखा राहत पैकेज की घोषणा करने की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करते किसान. (फोटो: कृष्णकांत)
किसानों के संगठन डीटीएनआईवीएस के अय्याकन्नु ने बताया, ‘हमने अपना विरोध प्रदर्शन तीन दिन पहले शुरू किया था लेकिन कोई भी हमारे मुद्दों को सुनने को तैयार नहीं है. हम लोग प्रदर्शन खत्म करने की योजना तब तक नहीं बना रहे जब तक केंद्र हमें बातचीत के लिए नहीं बुलाता है. हम 100 दिन तक भूख-हड़ताल के लिए तैयार हैं. हमारे पास प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प नहीं है.’

हमारी बात अभी अय्याकन्नु से चल ही रही थी कि प्रदर्शन कर रहे एक किसान रामालिंगा बेहोश होकर गिर जाते हैं. सारे किसान दौड़कर उनके मुंह पर पानी के छीटें मारते हैं और एंबुलेंस से अस्पताल भेजते हैं.

प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कपड़ों के नाम पर सिर्फ धोती पहन रखी है और उस पर पत्ते बांध रखे हैं. वहीं, महिलाओं ने सिर्फ पेटीकोट पहन रखा है. कुछ पुरुषों के हाथ में आत्महत्या करने वाले किसानों के कंकाल हैं तो कुछ के हाथ में कटोरा है.

गौरतलब है कि जनवरी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने किसानों की लगातार मौत से चिंतित होकर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया था. द हिंदू अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार,’ मानवाधिकार आयोग ने तमिलनाडु में एक महीने में 106 किसानों की मौत की मीडिया खबरों पर स्वत: संज्ञान लेकर राज्य सरकार को नोटिस भेजा है.’

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जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान किसान रामालिंगा बेहोश होकर गिर जाते हैं. (फोटो: कृष्णकांत)
इसके एक महीने बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलनीसामी ने 2,247 करोड़ रुपये का सूखा राहत पैकेज दिया है. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक किसानों को 3,000 रुपये से लेकर 5,465 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की बात कही गई है.

वहीं जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे किसान रामास्वामी कहते हैं, ‘यहां पर प्रदर्शन करने वाले किसानों के पास ज्यादा खेत नहीं है. ऐसे में मुआवजे की रकम इतनी थोड़ी है कि गुजारा मुश्किल है. मामले की गंभीरता को समझते हुए केंद्र सरकार को तत्काल राहत पैकेज भेजना चाहिए. इसके अलावा हमारी कुछ और मांगे भी हैं. जैसेकि तमिलनाडु को रेगिस्तान बनने से रोकना. कावेरी नदी को सूखने से रोकना. कावेरी नदी के लिए प्रबंधन समिति का गठन. मदुरै इंजीनियर एसी कामराज के स्मार्ट जलमार्ग परियोजना द्वारा सभी नदियों को जोड़ना और कृषि उत्पादों के लिए उचित और लाभदायक मूल्य का निर्धारण करना प्रमुख है.’

जंतर-मंतर पर आत्महत्या कर चुके किसानों के कंकाल के साथ प्रदर्शन करते तमिलनाडु के किसान. Farmers
जंतर-मंतर पर आत्महत्या कर चुके किसानों के कंकाल के साथ प्रदर्शन करते तमिलनाडु के किसान.
गौरतलब है कि 10 मार्च को केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन ने राज्यसभा में बताया कि सूखे से निपटने के लिए तमिलनाडु को वित्तीय सहायता दी जाएगी. राज्य में सूखे की स्थिति का मुआयना करने के लिए केंद्रीय टीम ने दौरा कर लिया है. टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा.’

वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार ने केंद्र से सूखा राहत के लिए 39,565 करोड़ रुपये के पैकेज दिए जाने की मांग की है.