असम: ममता बनर्जी ने गृह युद्ध की दी चेतावनी, मायावती ने एनआरसी को बताया अनर्थ

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक फ़ायदे के लिए असम में लाखों लोगों को राज्य विहीन करने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने कहा, भारी संख्या में भारतीयों को अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया गया.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फोटो: रॉयटर्स)

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक फ़ायदे के लिए असम में लाखों लोगों को राज्य विहीन करने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने कहा, भारी संख्या में भारतीयों को अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया गया.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फोटो: रॉयटर्स)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में 40 लाख लोगों को शामिल नहीं किए जाने से देश में खूनखराबा और गृह युद्ध हो सकता है.

ममता ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक फायदे के लिए असम में लाखों लोगों को राज्य विहीन करने की कोशिश कर रही है.

हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ममता के आरोपों को खारिज करते हुए असम के एनआरसी को राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीयों के अधिकारों से जुड़े मुद्दे के तौर पर पेश किया और सभी विपक्षी पार्टियों से साफ करने को कहा कि वे एनआरसी का समर्थन करती हैं या नहीं.

ममता और कई विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार पर यह हमला तब बोला है जब एक दिन पहले ही जारी किए गए एनआरसी के अंतिम मसौदे में 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए.

एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नामों को शामिल किया जाएगा जो 25 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं. असम में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों की पहचान के लिए एनआरसी तैयार करने की कवायद पिछले कई साल से चल रही है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राजनीतिक मंशा से एनआरसी तैयार किया जा रहा है. हम ऐसा होने नहीं देंगे. वे (भाजपा) लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. इस हालात को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. देश में गृह युद्ध, खूनखराबा हो जाएगा.’

इस मुद्दे पर संसद में भी हंगामा हुआ. कई राजनीतिक पार्टियों ने संसद के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया और भाजपा पर समाज को बांटने और भारतीय नागरिकों को अपने ही देश में शरणार्थी बनाने की कोशिश करने के आरोप लगाया.

असम की एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि एनआरसी का संबंध देश की सुरक्षा और देशवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़ा है. कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.

एनआरसी के मुद्दे पर जनता को गुमराह करने का विपक्ष पर आरोप लगाते हुए शाह ने कहा, ‘अलग-अलग प्रकार की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं. प्रांत-प्रांत के बीच झगड़े जैसा एक माहौल खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है. मैं इसकी घोर निंदा करता हूं.’

एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भाजपा के मन में बांग्लादेशी घुसपैठियों के विषय पर कोई दुविधा नहीं है और इसलिए हम नागरिकता विधेयक लेकर आए हैं. लोकसभा में यह पारित हो चुका है और राज्यसभा में अभी लंबित है.

भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि हमारा पहले भी मत था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है और अब भी मानते हैं कि एनआरसी को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों के विषय पर कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी दलों को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. उन्हें हां या नहीं में इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.’

वहीं कांग्रेस ने भी कहा कि बीजेपी असम के एनआरसी मुद्दे पर राजनीति कर रही है और शाह जानबूझकर मामले को शरारत भरे अंदाज में मोड़ रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार को राष्ट्रहित और एकता के इस मुद्दे पर जिम्मेदाराना बर्ताव करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक बड़ी संख्या में भारतीयों को अपने ही देश में शरणार्थी की तरह छोड़ दिए जाने का मुद्दा उठा रही है और यह अस्वीकार्य है. बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने 40 लाख से ज्यादा लोगों को एनआरसी में शामिल नहीं किए जाने का मुद्दा उठाते हुए इस पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की.

एक प्रेस विज्ञप्ति में मायावती ने कहा, ‘भाजपा ने 40 लाख से अधिक धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग समाप्त करके केंद्र और असम की भाजपा सरकारों ने अपना संकीर्ण और विभाजनकारी लक्ष्य प्राप्त कर लिया है.’

मायावती ने कहा कि इस अनर्थकारी घटना से देश में एक ऐसा उन्माद उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत मुश्किल होगा. शाह ने कहा कि अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए शुरू की गई एनआरसी तैयार करने की प्रक्रिया 2005 में उस वक्त शुरू हुई थी जब यूपीए की सरकार सत्ता में थी, लेकिन उनमें अवैध बांग्लादेशियों को निकाल बाहर करने की हिम्मत नहीं थी.

ममता ने भाजपा को चुनौती दी कि वह पश्चिम बंगाल में एनआरसी तैयार करके दिखाए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर भाजपा राज्य की सत्ता में कभी नहीं आ पाएगी. उन्होंने कहा, ‘भाजपा में यह कहने का दुस्साहस है कि वह बंगाल में एनआरसी लागू करेगी और सोचती है कि वे और उनके समर्थक भारत में रहेंगे और बाकी को देश छोड़ना होगा.’

ममता ने कहा कि मौजूदा हालात जारी नहीं रह सकते हैं. उन्होंने सभी समुदायों के लोगों से अपील की कि वे सरकार के फैसले के खिलाफ माहौल तैयार करें. उन्होंने कहा, ‘कोई हमें निर्देश नहीं दे सकता. यह भारत की राजनीति नहीं है. भारतीय राजनीति में सहिष्णुता है.’

ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या केंद्र सरकार असम की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) तैयार करने की कवायद चाह रही है.

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