आपराधिक मामलों के आरोप पर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार को अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के सामने घोषित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी जानकारी अपनी वेबसाइटों पर डालेंगे.

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(फोटो: पीटीआई)

कोर्ट ने चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार को अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के सामने घोषित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी जानकारी अपनी वेबसाइटों पर डालेंगे.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि उम्मीदवारों को केवल इस आधार पर अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है क्योंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामले में आरोप लगाए गए हैं.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह और गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर ये फैसला दिया है.

पांच जजों की बेंच में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नारिमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थे.

पीठ ने ये भी कहा कि चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के समक्ष घोषित करें. कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों का रिकॉर्ड जानने का अधिकार है.

2011 में दायर अपनी याचिका में गैर-सरकारी संस्था ने मांग की थी कि राजनीति के आपराधिकरण से बचने के लिए एक दिशा-निर्देश तैयार किया जाना चाहिए और जो भी उम्मीदवार गंभीर मामलों में आरोपी हैं, उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.

शुरुआत में ये मामला तीन जजों की बेंच के पास गया था, जिनकों ये देखना था कि क्या अनुच्छेद 102(अ) से (ड) और अनुच्छेद 120(ई) के तहत संसद द्वारा बनाए गए कानून के दायरे से बाहर निकलकर कोर्ट द्वारा किसी को अयोग्य घोषित किया जा सकता है?

केंद्र सरकार ने इस मामले में कोर्ट से कहा कि जो सवाल तीन जजों की बेंच के सामने रखा गया है, उसका जवाब मनोज नरूला बनाम भारत संघ मामले में पांच जजों की संविधान पीठ ने दिया है.

हालांकि कोर्ट इस बात से संतुष्ट नहीं हुई और फिर इस मामले को पांच जजों की संविधान पीठ के पास हस्तांतरित किया गया.

इससे पहले राजनीति के अापराधीकरण को ‘सड़न’ करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह चुनाव आयोग को राजनीतिक पार्टियों से यह कहने का निर्देश देने पर विचार कर सकता है कि उनके सदस्य अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का खुलासा करें ताकि मतदाता जान सकें कि ऐसी पार्टियों में कितने ‘कथित बदमाश’ हैं.

अपने इस फैसले में कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी जानकारी अपनी वेबसाइटों पर डालेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के वकील ललित उपाध्याय ने कहा, ‘हमने ये मांग किया था कि जिन उम्मीदवार के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाए. इस पर कोर्ट ने संसद को निर्देश दिया है कि वे कानून बनाएं जिससे राजनीति में आपराधिकरण को रोका जा सके.’

वहीं फैसला पढ़ते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, ‘संसद को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराधी राजनीति में न आए. आपराधिक आरोप वाले राजनीतिक नेताओं पर कोई रोक नहीं, कानून बनाने के लिए संसद है.’

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