सबरीमाला: केरल सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने को संघ ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण 

आरएसएस ने कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार करते समय श्रद्धालुओं की भावना की अनदेखी नहीं की जा सकती.

सबरीमाला मंदिर (फोटो साभार: facebook.com/sabrimalaofficial)

आरएसएस ने कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार करते समय श्रद्धालुओं की भावना की अनदेखी नहीं की जा सकती.

सबरीमाला मंदिर (फोटो साभार: facebook.com/sabrimalaofficial)
सबरीमाला मंदिर (फोटो साभार: facebook.com/sabrimalaofficial)

नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मिली सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के फैसले पर आरएसएस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बुधवार को कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार करते समय श्रद्धालुओं की भावना की अनदेखी नहीं की जा सकती.

इसके साथ ही आरएसएस ने सभी संबंधित पक्षों से एक साथ आने और ‘न्यायिक विकल्प से भी’ मसले का हल करने का आह्वान किया.

आरएसएस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए. आरएसएस महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने एक बयान में कहा कि सबरीमाला देवस्थानम के संबंध में हालिया फैसले पर पूरे देश से प्रतिक्रियाएं आयी हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘हम भारत में श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न मंदिरों में अपनाई जा रही परंपराओं का सम्मान करते हैं और हमें माननीय सुप्रीम कोर्ट का भी सम्मान करना होगा.’

आरएसएस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए और आरएसएस आध्यात्मिक और सामुदायिक नेताओं सहित सभी पक्षों से एक साथ आने तथा मुद्दे के विश्लेषण और समाधान के लिए न्यायिक विकल्पों पर भी गौर करने का आह्वान करता है.

आरएसएस ने जोर दिया कि यह एक स्थानीय मंदिर परंपरा और विश्वास का मुद्दा है जिससे महिलाओं सहित लाखों भक्तों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं.

संघ ने रेखांकित किया कि फैसले पर विचार करते हुए भक्तों की इन भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. आरएसएस ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करने के राज्य सरकार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.

जोशी ने कहा, ‘दुर्भाग्यवश, केरल सरकार ने भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखे बिना तत्काल प्रभाव से फैसले को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं.’

बता दें कि बीते 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला दिया था कि सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को जाने की इजाजत है.

कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को मंदिर में घुसने की इजाजत ना देना संविधान के अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) का उल्लंघन है. लिंग के आधार पर भक्ति (पूजा-पाठ) में भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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