नॉर्थ ईस्ट डायरी: केंद्र सरकार ने कहा, त्रिपुरा में एनआरसी लागू करने की कोई योजना नहीं

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, मिज़ोरम, असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

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Agartala: Home Minister Rajnath Singh addresses a gathering during the Tripura assembly election campaign, at Agartala on Saturday. PTI Photo (PTI2_3_2018_000169B)
Agartala: Home Minister Rajnath Singh addresses a gathering during the Tripura assembly election campaign, at Agartala on Saturday. PTI Photo (PTI2_3_2018_000169B)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, मिज़ोरम, असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

Agartala: Home Minister Rajnath Singh addresses a gathering during the Tripura assembly election campaign, at Agartala on Saturday. PTI Photo (PTI2_3_2018_000169B)
गृहमंत्री राजनाथ सिंह. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भाजपा के तमाम नेताओं द्वारा देश भर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने के बयानों के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि उसकी त्रिपुरा में एनआरसी लागू करने की कोई योजना नहीं है.

गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि ‘इंडिजिनस नेशनलिस्ट पार्टी आफ त्रिपुरा’ (आईएनपीटी) के अध्यक्ष बिजॉय कुमार हरांगखावल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की लेकिन राज्य में एनआरसी लागू करने के संबंध में दल को कोई आश्वासन नहीं दिया गया.

बयान में कहा गया, ‘गृह मंत्री ने चार अक्टूबर को आईएनपीटी के अध्यक्ष बिजॉय कुमार हरांगखावल के नेतृत्व एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. गृह मंत्री ने त्रिपुरा में एनआरसी को लागू करने के संबंध में किसी तरह का कोई आश्वासन नहीं दिया. यह स्पष्ट किया जाता है कि त्रिपुरा में एनआरसी के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं किया गया है.’

मंत्रालय यह भी कहा कि त्रिपुरा में एनआरसी को लागू किये जाने की संभावना के बारे में आ रहे समाचार ‘पूरी तरह से अनुचित और गलत’ हैं.

मालूम हो कि शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की मध्य रात प्रकाशित हुआ था. तब 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे.

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा और अंतिम मसौदा 30 जुलाई को प्रकाशित किया गया था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे. इस मसौदे में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे.

इसके आने के बाद से ही भाजपा के कई नेताओं द्वारा लिस्ट में नहीं आए लोगों को ‘घुसपैठिया’ बताया जाने लगा और देश के विभिन्न राज्यों से ‘घुसपैठियों’ को निकालने की बात की जाने लगी.

मिज़ोरम: भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा, राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी भाजपा

आइजोल: भाजपा महासचिव राम माधव ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी मिज़ोरम विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी लेकिन चुनाव के बाद के परिदृश्य के अनुरूप वह समान विचार वाली पार्टियों के साथ गठबंधन कर सकती है.

मिज़ोरम पूर्वोत्तर में एकमात्र राज्य है जहां अभी कांग्रेस की सरकार है. भाजपा पूर्वोत्तर के राज्यों में अपने बल पर या गठबंधन कर बाकी तमाम राज्यों में सत्ता पर कब्जा कर चुकी है और मिज़ोरम को अपनी झोली में डालने के लिए प्रयास कर रही है.

माधव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर संभव हुआ तो भाजपा विधानसभा की सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. माधव भाजपा में पूर्वोत्तर के प्रभारी हैं.

दूसरी पार्टियां मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को भाजपा की ‘प्रॉक्सी’ पार्टी बता रही हैं, जिसे माधव ने ‘हास्यास्पद’ बताया. उन्होंने कहा कि एमएनएफ और नेशनल पीपुल्स पार्टी पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) का हिस्सा हैं, लेकिन भाजपा उनके खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं.

एनईडीए एक राजनीतिक गठबंधन है और भाजपा ने 2016 में उसकी स्थापना की थी. इसमें नगा पीपुल्स फ्रंट, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल, असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट जैसी पूर्वोत्तर की क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा मिजो लोगों की खाद्य आदतों, विशिष्ट संस्कृति और रीति-रिवाजों तथा उनके धर्म का सम्मान करती है. माधव ने मुख्यमंत्री लाल थनहवला नीत कांग्रेस सरकार पर भ्रष्ट और अक्षम होने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी मिज़ोरम में सत्ता में आयी तो राज्य में चार लेन का राजमार्ग बनाया जाएगा जो म्यांमार तथा बांग्लादेश दोनों को जोड़ेगा.

बनेगी गैर-कांग्रेस सरकार

भाजपा महासचिव ने शुक्रवार को कोलकाता में बोलते हुए यह भरोसा जताया कि मिज़ोरम गैरकांग्रेस सरकार चुनेगा और इस तरह कांग्रेस मुक्त पूर्वोत्तर बनेगा. पूर्वोत्तर क्षेत्र में मिज़ोरम एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां अभी कांग्रेस का शासन है.

राज्य में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. राम माधव ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कहा, ‘हमें पूरा भरोसा है कि मिज़ोरम कांग्रेस को खारिज कर देगा और आगामी चुनाव में गैर कांग्रेस सरकार चुनेगा. इस तरह, यह सरकार के मामले में यह कांग्रेस मुक्त पूर्वोत्तर होगा. ’

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी रहेगी या नहीं, मेरे हाथ में नहीं है. यह राहुल गांधी (कांग्रेस अध्यक्ष) के हाथों में है.

असम: सेना द्वारा भूमि अतिक्रमण करना गंभीर मुद्दा, सख़्ती से निपटे सरकार- विधानसभा अध्यक्ष

असम विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी. (फोटो साभार: फेसबुक)
असम विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुवाहाटी: असम विधानसभा के अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी ने गुरुवार को कहा कि भारतीय सेना द्वारा भूमि अतिक्रमण करना एक ‘गंभीर मुद्दा’ है और सरकार को इससे सख्ती से निपटना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अतुल बोरा द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर गोस्वामी ने छोड़ी गई जमीन को सरकार को नहीं सौंपे जाने पर भी सेना पर नाराजगी जतायी.

अध्यक्ष ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, ‘सेना द्वारा भूमि का अतिक्रमण करना एक बेहद गंभीर मुद्दा है. अगर सेना जमीन ले रही है तो हमें इसे लेकर सख्त होना होगा.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी बहुमूल्य जमीन सेना को दी जा रही है. हम जब भी छोड़ी हुई भूमि वापस लेना चाहते हैं, वे इनकार कर देते हैं. हम सेना का सम्मान करते हैं लेकिन अतिक्रमण को रोका जाना चाहिए.’

जोरहाट सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले गोस्वामी ने कहा कि उन्होंने ‘इन्हीं मुद्दों’ के चलते अपने निर्वाचन क्षेत्र में अधिकारियों से सेना भूमि देने से रोका है.

उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार अतिक्रमण को लेकर गंभीर है. इसलिए हमें भी इसे गंभीरता से लेना चाहिए. अगर समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया, तो यह बहुत गंभीर हो सकता है.’

अरुणाचल प्रदेश: कई इलाकों में छह महीने के लिए बढ़ी आफ्स्पा की अवधि

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और असम से लगे आठ थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम की अवधि छह महीने के लिए और बढ़ा दी है. पूर्वोत्तर के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों की लगातार चल रहीं गतिविधियों को देखते हुए आफ्स्पा बढ़ाया गया है.

गृह मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी अधिसूचना के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगदिंग जिलों को और असम से लगे आठ थाना क्षेत्रों को सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफ्स्पा) के तहत अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है.

अधिसूचना के अनुसार, उक्त क्षेत्रों को सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 की धारा 3 के तहत एक अक्टूबर, 2018 के प्रभाव से 31 मार्च, 2019 तक ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया गया है.

इन आठ थाना क्षेत्रों में पश्चिम कामेंग जिले के बालेमू और भालुकपोंग, पूर्वी कामेंग जिले का सीजोसा, पापुमपारे जिले का बालिजान, नमसाई जिले के नमसाई और महादेवपुर, निचली दिबांग घाटी जिले में रोइंग और लोहित जिले में सुनपुरा थाने शामिल हैं.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि संबंधित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद यह फैसला किया गया.

अरुणाचल प्रदेश के इन इलाकों में प्रतिबंधित उग्रवादी समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन-के), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) सक्रिय हैं.

 असम: नाबालिग से बलात्कार एवं हत्या के दोषी को फांसी की सज़ा

Court Hammer (2)

हैलाकांडी: जिले की एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार को 13 वर्षीय आदिवासी बच्ची के बलात्कार एवं हत्या के दोषी को फांसी की सजा सुनाई.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश देबाशीष भट्टाचार्य ने जशीमुद्दीन बोरभुइयां को दोषी ठहराने के कुछ दिनों बाद सजा का ऐलान किया.

बोरभुइयां को सोमवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) एवं 302 (हत्या) के साथ ही पॉक्सो कानून की धारा चार के तहत दोषी ठहाराया गया.

यह घटना हैलाकांडी जिले के बेतचेरा पूरबश्री गांव में इसी साल 14 मार्च को हुई थी. घटना वाले दिन पीड़ित बच्ची घर पर अकेली थी.

पुलिस ने बताया कि बच्ची के परिजन ने जमीरा पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया था जिसके बाद 16 मार्च को आरोपी को पकड़ा गया और उसके पास से हत्या में इस्तेमाल हथियार, एक कुल्हाड़ी बरामद की गई थी.

इस घटना के कारण स्थानीय लोगों में आक्रोश फैला और वे सड़कों पर उतर आए थे. पुलिस अधीक्षक मोहनीश मिश्रा और उनकी टीम को बधाई देते हुये हैलाकांडी के उपायुक्त आदिल खान ने बताया, ‘एसपी और उनकी टीम ने वह काम पूरा किया जिसका उन्होंने छह महीने पहले हैलाकांडी के लोगों से वादा किया था.’

त्रिपुरा: सरकार ने दो उग्रवादी समूहों पर नए प्रतिबंध लगाए

नई दिल्ली: सरकार ने हिंसक और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने को लेकर त्रिपुरा में दो उग्रवादी समूहों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं. दोनों समूहों का लक्ष्य एक स्वतंत्र देश स्थापित करना है.

गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार की राय है कि नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) विध्वंसक और हिंसक गतिविधियों में शामिल हैं तथा वे सरकार के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं. इसके साथ ही वे अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लोगों के बीच आतंक और हिंसा फैला रहे हैं.

मंत्रालय ने कहा कि एनएलएफटी और एटीटीएफ का मकसद राज्य के अन्य सशस्त्र अलगाववादी समूहों के सहयोग से सशस्त्र संघर्ष के जरिए त्रिपुरा को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना है. इसके अलावा उनका मकसद ऐसे अलगाव के लिए त्रिपुरा के मूल लोगों को भड़काना है.

अधिसूचना के अनुसार गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून,1967 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत केंद्र सरकार घोषणा करती है कि एनएलएफटी और एटीटीएफ तथा उनके सभी गुट तथा संबद्ध संगठन गैरकानूनी संगठन हैं.

एक अधिकारी ने कहा कि विद्रोही संगठनों की स्थापना 1990 में हुयी थी और उनका उद्देश्य ‘1956 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले सभी विदेशियों का निष्कासन’ था. उन संगठनों पर पहली बार 1997 में प्रतिबंध लगा था.

नए प्रतिबंध और पांच साल के लिए होंगे. उल्लेखनीय है कि 1997 में त्रिपुरा के खोवै अनुमंडल में जनजातीय लोगों और गैर-जनजातीय लोगों के भी बड़े पैमाने पर जातीय दंगे हुए थे.

उन दंगों में दोनों संगठनों ने जनजातीय लोगों की ओर से हस्तक्षेप किया था. त्रिपुरा की 856 किलोमीटर सीमा बांग्लादेश के साथ लगती है.

असम: 33 में से 24 जिलों के भूजल में आर्सेनिक मिला

गुवाहाटी: असम के 24 जिलों में भूजल में आर्सेनिक का तथा 13 जिलों में फ्लोराइड मिला है. विधानसभा में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गयी. असम में 33 जिले हैं.

विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान असम गण परिषद (अगप) के रामेंद्र नारायण कालिता के प्रश्न के उत्तर में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रिहोन दैमरी ने बताया कि 24 जिलों के 6,881 क्षेत्रों में भूजल में आर्सेनिक मिला हुआ है जबकि 13 जिलों के 930 क्षेत्रों में पानी में फ्लोराइड पाया गया है.

दैमरी ने बताया कि सरकार ने विभिन्न स्थानों पर आर्सेनिक और फ्लोराइड से मुक्त पानी की आपूर्ति के लिए क्रमश: 227 और 40 योजनाएं स्थापित की हैं.

उन्होंने कहा, ‘केंद्र ने राज्य में आर्सेनिक मुक्त पानी के लिए 122 योजनाएं मंजूर भी की हैं. लेकिन हम उसे लागू नहीं कर पाए क्योंकि हमें उसके लिए जमीन नहीं मिली. मैं विधायकों से इसके लिए जमीन अधिग्रहण करने में मदद करने का अनुरोध करता हूं.’

मणिपुर: मणिपुर विश्वविद्यालय के चार प्रोफेसर ‘कदाचार’ के आरोप में निलंबित

मणिपुर विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: manipuruniv.ac.in)
मणिपुर विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: manipuruniv.ac.in)

इम्फाल: मणिपुर विश्वविद्यालय के चार प्रोफेसरों को कदाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है.

रजिस्ट्रार प्रभारी एम श्यामेशो के दस्तखत वाले आदेश में कहा गया है कि अर्थशास्त्र विभाग के वाई अमर, एन निमाई (भौतिकी), एम रंजीत (गणित) और एन देवनंदा (जैवविज्ञान) पर कदाचार का आरोप है.

निलंबन आदेश पर 29 सितंबर के दस्तखत है. चारों प्रोफेसर मणिपुर विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन (एमयूटीए) के सदस्य थे.

विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के युगिंद्र सिंह द्वारा 20 सितंबर को दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में अमर को छोड़कर अन्य का नाम है. उन्होंने उन सभी पर अगवा करने, गलत तरीके से रोकने, हत्या की कोशिश समेत अन्य आरोप लगाए थे.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आदेश के तहत सिंह केंद्रीय विश्वविद्यालय में कार्यवाहक वीसी का कार्यभार संभालने गए थे लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनका घेराव किया था.

पूर्व कुलपति एपी पांडे और छात्रों तथा अध्यापकों के बीच चले गतिरोध के कारण करीब 84 दिनों से ज्यादा समय से विश्वविद्यालय में शैक्षाणिक गतिविधियां प्रभावित हुई.

त्रिपुरा: राज्य में ब्रू शरणार्थियों को दी जाने वाली सभी सहायता रोकी गईं

आइजोल: मिज़ोरम के गृह विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि पड़ोसी त्रिपुरा में राहत शिविरों में रह रहे ब्रू शरणार्थियों को दिए जा रहे सभी तरह के जीवन निर्वाह भत्ते बंद कर दिये गए हैं. इनमें राशन आपूर्ति और नकदी सहायता भी शामिल हैं.

अधिकारियों ने कहा कि गृह मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि उत्तरी त्रिपुरा जिले के छह शरणार्थी शिविरों में रह रहे मिज़ोरम ब्रू शरणार्थियों को एक अक्टूबर से नकदी और राशन आपूर्ति समेत सभी तरह की सहायता दिया जाना बंद किया जाए.

कंचनपुर के उप जिलाधिकारी अवेदानंद बैद्य ने मिज़ोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) के अध्यक्ष ए सवीबुंगा को शनिवार को लिखे खत में कहा कि इन राहत शिविरों में रहने वालों को दी जा रही खाद्य और नकद सहायता एक अक्टूबर से बंद कर दी जाएगी.

बैद्य ने कहा कि गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा 25 सितंबर को उन्हें यह जानकारी दी गई थी.

असम: पिछले पांच वर्षों में राज्य में लापता हुए 8400 से अधिक बच्चे

गुवाहाटी: असम सरकार ने सोमवार को बताया कि राज्य में पिछले पांच वर्षों के दौरान 8,400 से अधिक बच्चे लापता हुए और इनमें से लगभग आधे बच्चों का अब तक पता नहीं चल सका है.

राज्य विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक नुमाल मोमिन के सवाल का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री चन्द्रमोहन पटवारी ने बताया कि 2013 से 2017 तक 8,443 बच्चों के लापता होने की खबर है.

उन्होंने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की तरफ से बताया कि बच्चों के लापता होने के सबसे अधिक 1839 मामले 2017 में सामने आये थे. इसके बाद 2016 में 1,733 मामले और 2015 में 1,674 मामले सामने आये थे.

पटवारी ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में 4,377 लापता बच्चों को बचाया गया जबकि शेष बच्चों का अभी तक पता नहीं चल सका है.

उन्होंने बताया कि 2017 में 1,086 बच्चों को बचाया गया जबकि 2015 में 911 बच्चों और 2016 में 901 बच्चों को बचाया गया.

असम: सरकार ने कहा, मॉब लिंचिंग के 23 मामले सामने आए

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

चंद्र मोहन पटवारी ने विधानसभा को यह भी बताया कि इस साल राज्य में भीड़ की हिंसा और पीटकर मार डालने की घटनाएं बढ़ गयी. पिछले साल इस तरह के दो मामले हुए थे जबकि इस साल इस तरह की 23 घटनाएं हुई.

कांग्रेस विधायक नंदिता दास के एक सवाल के लिखित जवाब में पटवारी ने कहा कि इस साल जनवरी और सितंबर के बीच भीड़ की हिंसा और पीटकर मार डालने की 23 घटनाएं हुई जबकि 2017 में इस तरह की दो और 2016 में छह घटनाएं हुईं थी.

गृह विभाग संभाल रहे मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की ओर से जवाब देते हुए पटवारी ने कहा कि जनवरी 2018 से भीड़ की हिंसा के मामले में आठ लोग (पांच पुरूष और तीन महिलाएं) मारे गए.

उन्होंने बताया कि इस साल इन मामलों में 162 गिरफ्तारी की गयी है. वर्ष 2017 में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया लेकिन 2016 में ऐसे मामले में 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

त्रिपुरा: आईपीएफटी ने आदिवासियों के कल्याण के लिए समिति बनाने के केंद्र के कदम का स्वागत किया

अगरतला: त्रिपुरा में भाजपा के गठबंधन सहयोगी इंडीजनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने राज्य की आदिवासी आबादी के सामाजिक, आर्थिक और भाषायी विकास पर गौर करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने के केंद्र के कदम का स्वागत किया है.

केंद्र ने गत 27 सितंबर को एक अधिसूचना जारी कर 13 सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा की थी. गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा के विशेष सचिव को समिति का प्रमुख बनाया गया है.

इस समिति में शामिल किये गए नौ सदस्यों में आदिवासी मामलों, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयों के संयुक्त सचिवों और नीति आयोग तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विभाग के सलाहकार शामिल हैं.

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि समिति में तीन अन्य सदस्यों को राज्य सरकार की ओर से शामिल किया जाएगा. आईपीएफटी प्रवक्ता मंगल देववर्मा ने कहा कि पार्टी को यह देखकर प्रसन्नता है कि उसका गठबंधन साझेदार अपने चुनावी वादे पर कायम है.

यह पूछे जाने पर कि समिति में आईपीएफटी का कोई प्रतिनिधित्व क्यों नहीं है, देववर्मा ने कहा कि राज्य की कार्यकारी समिति की 30 सितंबर को होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी.

मणिपुर: मुख्यमंत्री ने कहा, मां-बाप को बेसहारा छोड़ने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो: पीटीआई)
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो: पीटीआई)

इम्फाल:  मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी जो अपने माता-पिता की देखभाल करने में विफल साबित होंगे.

अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस के मौके पर खुमान लामपाक में उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने मां-बाप के आशीर्वाद के बिना सफल नहीं हो सकता.

सिंह ने कहा कि उनकी मासिक जन मुलाकात के दौरान कई बुजुर्ग अपने बच्चों की शिकायत लेकर उनके पास पहुंचते हैं.

उन्होंने कहा, ‘जो लोग अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करते हैं वह कभी अपने जीवन में सफल नहीं हो सकते. इसके उलट जिन लोगों को अपने मां-बाप का आशीर्वाद प्राप्त होता है वह निश्चित तौर पर सफल होते हैं.’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी अपने मां-बाप को बेसहारा छोड़ता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी.’

असम: अंतरराष्ट्रीय सीमा को सील करना केंद्र की ज़िम्मेदारी

गुवाहाटी: असम सरकार ने सोमवार को राज्य विधानसभा को बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा को सील करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है.

भारत-बांग्लादेश सीमा को सील करने के संबंध में एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए राज्य के जल संसाधन मंत्री केशव महंत ने सीमा सील करने की कोई संभावित समय सीमा नहीं बताई.

उन्होंने कहा कि सीमा को सील करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की ओर से उत्तर दे रहे महंत ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र से इस काम को जल्द से जल्द पूरा करने का अनुरोध कर रही है.

महंत ने बताया कि असम की बांग्लादेश से लगी 263 किलोमीटर सीमा में से 214.89 किलोमीटर सीमा जमीनी और 48.11 किलोमीटर नदी पर है.

जमीनी सीमा को सील करने का 93.77 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, वहीं बाकी हिस्से में एनबीसीसी और सीपीडब्ल्यूडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां काम कर रही हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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