झारखंड: रघुबर दास के मंत्री के घर के बाहर धरना दे रहे शिक्षक की मौत

रांची में प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज में घायल हुए एक अन्य शिक्षक की भी मौत. झारखंड में अनुबंधित शिक्षक अपनी सेवा को नियमित करने एवं अन्य मांगों को लेकर पिछले तीन महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं.

झारखंड में प्रदर्शनरत शिक्षक. (फाइल फोटो साभार: ​फेसबुक/Indian City News)

रांची में प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज में घायल हुए एक अन्य शिक्षक की भी मौत. झारखंड में अनुबंधित शिक्षक अपनी सेवा को नियमित करने एवं अन्य मांगों को लेकर पिछले तीन महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं.

झारखंड में प्रदर्शनरत शिक्षक. (फाइल फोटो साभार: फेसबुक/Indian City News)
झारखंड में प्रदर्शनरत शिक्षक. (फाइल फोटो साभार: फेसबुक/Indian City News)

झारखंड: झारखंड के दुमका में एक मंत्री के घर के बाहर रातभर धरने पर बैठे 40 वर्षीय एक शिक्षक की मौत हो गई. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि शिक्षक की मौत ठंड लगने से हुई. अधिकारियों ने बीते सोमवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि मृतक की पहचान कंचन कुमार दास के तौर पर हुई है. वह अनुबंधित शिक्षक थे. अन्य प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि शनिवार रात ठंड लगने से दास की मौत हुई.

दुमका के सिविल सर्जन एके झा ने बताया कि उन्हें यह सूचना मिली है कि शनिवार को प्रदर्शन के दौरान एक शिक्षक की मौत हो गई.

राज्य भर में अनुबंधित-शिक्षक अपनी सेवा को नियमित करने एवं अन्य मांगों को लेकर पिछले तीन महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं.

16 नवंबर से राज्यभर में शुरू हुए इस धरना प्रदर्शन के तहत ‘घेरा डालो डेरा डालो’ कार्यक्रम के दौरान ये शिक्षक विधायक और मंत्रियों के घरों का घेराव कर रहे हैं.

ये शिक्षक झारखंड की बाल विकास एवं कल्याण मंत्री लुईस मरांडी के हथियापार स्थित घर के बाहर 25 नवंबर से अनिश्चितकाल के लिए बारी-बारी से धरने पर बैठे थे.

प्रदर्शनरत अन्य शिक्षकों ने बताया कि छह शिक्षकों के साथ दास शनिवार को धरने में शामिल हुए. इन सभी ने मंत्री के घर के बाहर रात बितायी, लेकिन अगले दिन रविवार सुबह जब दास नहीं उठे तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

मौत का कारण पूछे जाने पर डा. एके झा ने कहा, ‘हम लोग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं. तभी मौत के सही कारण की पुष्टि कर सकते हैं.’

झा ने बताया कि फॉरेंसिक विशेषज्ञ वाले एक मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमॉर्टम किया. बोर्ड का गठन जिला प्रशासन ने रविवार को किया था.

दुमका के पुलिस अधीक्षक (एसपी) वाईएस रमेश ने कहा कि धरना-प्रदर्शन रविवार दोपहर को ख़त्म हो गया.

इस बीच मंत्री लुईस मरांडी ने शिक्षक की मौत पर संवेदना प्रकट की और दुमका के उपायुक्त मुकेश कुमार से इस संबंध में बात की. अनुबंधित शिक्षकों की समस्या का ज़िक्र करते हुए मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री रघुबर दास अभी विदेश में हैं. मुख्यमंत्री के आने पर वह उनसे बात करेंगी.

उन्होंने कहा, ‘अनुबंधित शिक्षकों की समस्या पर हम रचनात्मक चर्चा करना चाहते हैं.’

प्रभात ख़बर की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक शिक्षक कंचन कुमार दास दुमका ज़िले के रामगढ़ प्रखंड के भदवारी गांव के रहने वाले थे. वह मध्य विद्यालय चीनाडंगाल में कार्यरत है.

रिपोर्ट के अनुसार, पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने कंचन कुमार दास के परिजनों को 25 लाख रुपये का मुआवज़ा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है.

एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संजय दुबे ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि आंदोलन के दौरान तीन पारा शिक्षकों की मौत हो चुकी है. इससे पहले रामगढ़ की पारा शिक्षक जीनत खातून की भी धरना के दौरान तबीयत खराब हो गई थी, जिनकी बाद में मौत हो गई. हजारीबाग के पारा शिक्षक बहादुर ठाकुर की भी मौत आंदोलन के क्रम में हो गई.

राज्य के अनुबंधित शिक्षकों ने अपने आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया है. वे 24 दिसंबर से विधायक आवास के समक्ष भूख हड़ताल करेंगे. अनुबंधित शिक्षकों का दावा है कि राज्य के सभी 67 हजार अनुबंधित शिक्षक हड़ताल पर हैं.

शिक्षक कंचन की मौत के बाद मंत्री डॉ. लुईस मरांडी के आवास के समक्ष सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद विजय हांसदा ने कहा कि रघुबर दास सरकार और उनके मंत्री संवेदनहीन हो गए हैं. एक मंत्री के घर के बाहर एक पारा (अनुबंधित) शिक्षक की मृत्यु हो गई, लेकिन किसी ने उसे दाना-पानी नहीं दिया. सरकार का रवैया दर्शाता है कि वह लोगों के बारे में क्या सोचती है. उसकी मनोदशा क्या है. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पारा शिक्षकों के आंदोलन में पूरी तरह उनके साथ.

लाठीचार्ज में घायल अनुबंधित शिक्षक की भी मौत

15 नवंबर को रांची में प्रदर्शन कर रहे अनुबंधित शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था. लाठीचार्ज में घायल शिक्षक उज्ज्वल कुमार राय की 17 दिसंबर को मौत हो गई. वह सारठ थानाक्षेत्र के पारबाद के रहने वाले थे. वह उत्क्रमित मध्य विद्यालय बस्की में कार्यरत थे.

प्रभात ख़बर की रिपोर्ट के अनुसार, रांची लौटने पर उन्हें सारठ सीएचसी में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. उन्हें रिफर कर दिया गया था, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए वेल्लुरु भी ले जाया गया था लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वे अपना समुचित इलाज नहीं करा सके.

प्रभात ख़बर की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में आंदोलनरत इन दो शिक्षकों को मिलाकर अब तक चार शिक्षकों की मौत हो चुकी है. इसमें रामगढ़ में हुपु गोला स्थित उर्दू विद्यालय की शिक्षक ज़ीनत ख़ातून और हजारीबाग में चलकुसा मध्य विद्यालय में कार्यरत बहादुर ठाकुर शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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