विरोध प्रदर्शन के चलते 1,369 लोगों की गिरफ़्तारी के अलावा 717 लोगों को हिरासत में लिया गया और 801 केस भी दर्ज किए जा चुके हैं.
तिरुवनंपुरम: केरल के सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश के बाद चल रहे विरोध में शुक्रवार सुबह तक 1,369 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. मंदिर में महिलाओं के प्रवेश करने के बाद से राज्य में स्थिति तनावपूर्ण है और कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए.
बताया जा रहा है कि राज्य में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं जिसमें 21 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की भी खबरें आई हैं. मामले में 1369 लोगों की गिरफ्तारी के अलावा 717 लोगों को हिरासत में लिया गया और 801 केस भी दर्ज किए जा चुके हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार कोच्चि शहर से 125 गिरफ्तारियां, एर्नाकुलम ग्रामीण में 233 और आलप्पुझा जिले में 174 गिरफ्तारियां हुई हैं. हिरासत में लिए गए अधिकांश लोग इडुक्की जिले से हैं. पलक्कड़ जिले में भी विरोध प्रदर्शन ने हिंसक मोड़ ले लिया और माकपा, भाकपा और भाजपा के कार्यालयों पर हमला किए जाने के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई.
तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए उत्तरी केरल के कासरगोड जिले के मंजेश्वरम तालुक और पलक्कड़ शहर में कर्फ्यू लगा दी गई.
मालूम हो केरल के सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में बुधवार तड़के 44 और 42 वर्ष की दो महिलाओं ने प्रवेश किया. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘यह सच है कि महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया.’
कनकदुर्गा (44) और बिंदु (42) बुधवार को तड़के 3.38 बजे मंदिर पहुंचीं थीं. विरोध प्रदर्शनों की आशंका के कारण दोनों महिलाओं को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी.
इससे पहले दोनों महिलाओं ने 24 दिसंबर को भी मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी, लेकिन विरोध के कारण उन्हें लौटना पड़ा था. चेन्नई के एक संगठन ने 11 महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था और अयप्पा मंत्रोच्चारण कर रहे श्रद्धालुओं ने उन्हें वहां से लौटा दिया था.
मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद मुख्य पुजारी ने ‘शुद्धिकरण’ समारोह के लिए मंदिर के गर्भ गृह को बंद करने का फैसला किया है. मंदिर को तड़के तीन बजे खोला गया था और ‘शुद्धिकरण’ के लिए उसे सुबह साढे 10 बजे बंद कर दिया गया.
गौरतलब है कि पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का आदेश दिया था. इसके बावजूद विभिन्न श्रद्धालुओं और दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के कारण कोई भी महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थी.
प्रदर्शनों के चलते बढ़ाई जाएगी मुख्यमंत्री की सुरक्षा
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद विरोश प्रदर्शन की ख़बरें लगातार आ रही हैं. महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ केरल के विभिन्न हिस्सों में बुधवार को प्रदर्शन हुए.
भाजपा कार्यकर्ताओं ने गुरुवयूर में एक समारोह में भाग लेने पहुंचे देवाश्म ओम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन को काले झंडे दिखाए. वहीं स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को भी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं की नाराजगी का शिकार होना पड़ा.
पार्टी की युवा शाखा ने कन्नूर में उन्हें काले झंडे दिखाए. भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य की राजधानी में भी विरोध में मार्च निकाला. उन्होंने कासरगोड में राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित किया था.
नवभारत टाइम्स की ख़बर के अनुसार विरोध प्रदर्शन के चलते केरल पुलिस मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सुरक्षा भी बढ़ाएगी.
गुरुवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह मुठभेड़ भी हुई. प्रदर्शनकारियों ने मीडिया को भी निशाना बनाया. हिंसा को देखते हुए राज्यपाल पी. सदाशिवम ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगी है.
राज्य में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं जिसमें 21 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
नवभारत टाइम्स की एक अन्य ख़बर के अनुसार, ‘प्रदर्शन के दौरान संघ परिवार से जुड़े संगठन राज्यभर में सड़कों पर उतर आए और मुख्य सड़कों पर ट्रैफिक जाम कर दिया, टायर जला दिए और बसों पर पत्थर फेंककर निशाना बनाया. तिरुवनंतपुरम में सीपीआई (एम) और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प को रोकने और उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारें की और आंसू गैस के गोले छोड़े. हिंसा की शुरुआत के बाद बुधवार को सीपीआई (एम) और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में घायल हुए 55 साल के सबरीमाला कर्म समिति (एसकेएस) कार्यकर्ता की पंडलम में मौत हो गई.’
बता दें बुधवार को लैंगिक समानता और समान मूल्यों को बनाए रखने के लिए केरल में बनाई गई ‘वीमेन वॉल’ (महिलाओं द्वारा बनाई श्रृंखला) के समर्थन में मुंबई की 1,000 से अधिक महिलाओं ने मानव श्रृंखला बनाई.
इससे पहले केरल में मंगलवार को 35 लाख से अधिक महिलाओं ने कासरगोड के उत्तरी क्षेत्र से राज्य के दक्षिणी छोर तक करीब 620 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई थी.
मंदिर में महिलाओं के दाखिल होने के बाद ‘शुद्धिकरण’ के खिलाफ याचिका
सबरीमाला में दो महिलाओं के प्रवेश के बाद शुद्धिकरण करवाए जाने के बाद अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जल्द सुनवाई से इनकार किया है.
एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार, ‘सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि 22 जनवरी को पुनर्विचार याचिकाओं पर भी सुनवाई होनी है. चीफ जस्टिस ने कहा कि इसके लिए अलग से बेंच बनाना मुश्किल है.’
बता दें मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद मुख्य पुजारी ने ‘शुद्धिकरण’ समारोह के लिए मंदिर के गर्भ गृह को बंद करने का फैसला किया है. मंदिर को तड़के तीन बजे खोला गया था और ‘शुद्धिकरण’ के लिए उसे सुबह साढे 10 बजे बंद कर दिया गया.
मंदिर आमतौर पर दोपहर साढ़े 12 बजे बंद होता है.
सबरीमला में श्रीलंकाई महिला के प्रवेश पर असमंजस
केरल के सबरीमला में बृहस्पतिवार रात भगवान अयप्पा के मंदिर में 46 वर्षीय श्रीलंकाई तमिल महिला के प्रवेश को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी है क्योंकि महिला मंदिर में प्रवेश की बात से इनकार कर रही है जबकि आधिकारिक सूत्र इसका दावा कर रहे हैं.
शशिकला नामक महिला ने कहा कि उसे मंदिर में अंदर नहीं जाने दिया गया और पुलिस ने उसे वापस भेज दिया जबकि आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि महिला ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया और वहां पूजा-अर्चना की.
शशिकला अपने पति सरवानन और बेटे के साथ दर्शन के लिए आई थीं. उन्होंने पंबा में पत्रकारों से कहा कि उन्हें मंदिर के अंदर जाकर पूजा करने की अनुमति नहीं मिली.
सरवानन ने बताया कि केवल वह और उनका बेटा ही बृहस्पतिवार को पूजा कर पाए. बीती रात कुछ टेलीविजन चैनलों ने ‘इरुमुदीकेट्टू’ (पवित्र प्रसाद) और उनके साथ सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों की तस्वीरें दिखायी थीं.
मीडिया को देखकर पुलिसकर्मी वहां से चले गए. शशिकला ने दावा किया कि मराकूटम में पुलिस ने उसे आगे जाने से रोक दिया.
सबरीमला की तलहटी में स्थित पंबा लौट कर उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘श्रद्धालुओं ने कोई प्रदर्शन नहीं किया. लेकिन पुलिस ने मुझे वापस भेज दिया. मैं अयप्पा की भक्त हूं. उन्होंने मुझे मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी. मुझे किसी का डर नहीं है.’
शशिकला ने दावा किया कि उन्होंने 41 दिन तक व्रत रखा था.
पुलिस ने बताया कि शुक्रवार सुबह करीब छह बजे पंबा पहुंची ट्रांसजेंडर समुदाय की कायल को पुलिस ने लौटा दिया और श्रद्धालुओं के प्रदर्शन के कारण उन्हें मंदिर परिसर के अंदर नहीं जाने दिया.
उन्होंने बताया कि कायल साड़ी में आई थीं और बाद में उन्होंने पुरुषों के कपड़े पहन लिए और ‘इरुमुदीकेट्टू’ के साथ मंदिर के अंदर जाने की कोशिश करने लगीं. चार ट्रांसजेंडरों ने हाल में सबरीमला में पूजा की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)