पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों का गणित, जहां पहले चरण में होना है मतदान

ग्राउंड रिपोर्ट: 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, बागपत, ग़ाज़ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बिजनौर सीटों पर भाजपा जीती थी. हालांकि, कैराना में हुए उपचुनाव में गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने रालोद से जीत हासिल की थी. धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया की रिपोर्ट.

/
Meerut: Voters wait in queues to cast their votes during the first phase of UP Assembly polls in Meerut district on Saturday. PTI Photo (PTI2_11_2017_000240B) *** Local Caption ***

ग्राउंड रिपोर्ट: 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, बागपत, ग़ाज़ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बिजनौर सीटों पर भाजपा जीती थी. हालांकि, कैराना में हुए उपचुनाव में गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने रालोद से जीत हासिल की थी. धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया की रिपोर्ट.

Meerut: Voters wait in queues to cast their votes during the first phase of UP Assembly polls in Meerut district on Saturday. PTI Photo     (PTI2_11_2017_000240B) *** Local Caption ***
प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: पीटीआई)

मुज़फ़्फ़रनगर/मेरठ: पश्चिम उत्तर प्रदेश की पहले चरण वाली 8 सीटों में से पांच- मेरठ, मुजफ्फरनगर, कैराना, सहारनपुर और बिजनौर में करीब 33 से लेकर 42% तक मुस्लिम आबादी है. ऐसे में जातिगत समीकरण पर सवार सपा, रालोद और बसपा की काट के लिए भाजपा के पास विकास, राष्ट्रवाद और एचएम फैक्टर यानी हिंदू-मुस्लिम अहम हथियार साबित होता है.

सबसे प्रतिष्ठापूर्ण मुकाबला मुजफ्फरनगर में है, जहां रालोद प्रमुख अजित सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. अजीत सिंह पिछली बार बागपत से उतरे थे और तीसरे नंबर पर रहे थे. वे गठबंधन के उम्मीदवार हैं. इस सीट पर करीब 38% मुसलमान और करीब 14% दलित वोटर हैं. इसके साथ ही दो लाख जाट मतदाता हैं. जिसके सहारे अजित सिंह यहां मजबूत हैं.

लेकिन यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान की ताकत क्षेत्र में उनकी सक्रियता है. महावीर चौक स्थित सपा के कार्यालय में बैठे रालोद के जिला अध्यक्ष अजीत राठी कहते हैं कि मुजफ्फरनगर दंगों में जाट और मुस्लिम एकता को तोड़ने काम भाजपा ने किया था. लेकिन भाईचारा सम्मेलन कर चौधरी साहब (अजित सिंह) ने इस खाई को पाट दिया है.

मेरठ की बात करें तो सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मेजर हिमांशु कहते हैं कि गठबंधन के बसपा उम्मीदवार हाजी याकूब की सभी वर्गों में सहज स्वीकार्यता नहीं है. भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल तीसरी बार चुनाव में हैं, क्षेत्र में उनकी सक्रियता कम रही, बावजदू इसके याकूब की कट्‌टर छवि ही राजेंद्र अग्रवाल की सबसे बड़ी ताकत बन गई है.

याकूब वही हैं जिन्होंने मोहम्मद साहब का कार्टून बनाने वाली पत्रिका के कार्टूनिस्ट का सिर कलम करने पर 51 करोड़ का इनाम देने की घोषणा की थी. गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार डाॅ. महेश शर्मा ने मंत्री रहते कई विकास कार्य करवाए हैं, जिनमें जेवर हवाई अड्‌डा भी शामिल है.

लेकिन 3 लाख गुर्जर, 1.5 लाख यादव और दो लाख मुसलमान वोटों वाली इस सीट पर बसपा के सत्यवीर नागर अपनी बढ़त मान रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने अरविंद सिंह को उतारा है, वे राजपूत वोट काट सकते हैं, जो कि भाजपा का वोट है.

गाजियाबाद में जनरल वीके सिंह सुरक्षित नजर आ रहे हैं. करीब दो लाख राजपूत वोट और मिडिल क्लास वोटर्स की बड़ी संख्या जनरल के पक्ष में दिखती है. यह पश्चिमी यूपी की सबसे बड़ी सीट है, जहां करीब 27 लाख मतदाता हैं.

वी.के. सिंह के पक्ष में एक बात और जाती है कि स्थानीय राजनीति में हस्तक्षेप से उन्होंने खुद को दूर रखा. इस कारण सभी भाजपाई प्रचार में लगे हैं. बसपा ने सुरेश बंसल को टिकट दिया है. यहां करीब दो लाख वैश्य वोट हैं, पर बंसल की चुनौती यही होगी कि वे भाजपा के परंपरागत वैश्य वोट को कितना खींच पाएंगे.

बागपत में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की तीसरी पीढ़ी के जयंत चौधरी मैदान में हैं. जयंत 2009 में मथुरा से सांसद रहे हैं, पर पिछला चुनाव वहीं से हारे थे. जयंत रालोद के टिकट पर गठबंधन के उम्मीदवार हैं.  ऐसे में यहां केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह का सीधा मुकाबला जयंत से है. जातीय गणित के कारण सत्यपाल के लिए यह चुनाव मुश्किल हो सकता है.

सहारनपुर में गठबंधन उम्मीदवार बसपा के फजलुर्रहमान ने कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. 2014 की प्रचंड मोदी लहर में भी इमरान 64 हजार वोटों से हारे थे, जो इस क्षेत्र की सबसे छोटी हार थी. लेकिन इस बार बसपा प्रत्याशी के कारण वे परेशानी में है.

39% मुस्लिम मतदाताओं का रुख ही इमरान की हार-जीत तय करेगा. उनका मुकाबला भाजपा के सौम्यछवि के नेता और वर्तमान सांसद राघव लखन पाल से है. इमरान को भीम आर्मी के चंद्रशेखर का भी समर्थन हासिल है. ऐसे में इमरान को दलित वोट की भी आस है.

बिजनौर में राजपूत अपेक्षाकृत अधिक हैं, जाट वोट भी हैं जिन पर चौधरी अजीत सिंह का असर दिखता है. यहां कभी बसपा में रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने इस बार कांग्रेस टिकट पर मुकाबले को रोचक बना दिया है. भाजपा ने वर्तमान सांसद भारतेंद्र सिंह और बसपा ने मलूक नागर को फिर से मैदान में उतारा है.

कैराना में गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन सपा से लड़ रही हैं. उपचुनाव में वे रालोद से जीती थीं. भाजपा ने दिग्गज गुर्जर नेता स्वर्गीय हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को नजरअंदाज कर सहारनपुर जिले के विधायक प्रदीप चौधरी को टिकट दिया है. जिन्हें अपेक्षाकृत कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा है. कांग्रेस के हरेंद्र मलिक के कारण भाजपा को जाट वोट कटने का खतरा बढ़ गया है.

मेरठ के सपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह कहते हैं कि केंद्र जीएसटी, नोटबंदी, रोजगार, मेक इन इंडिया की चर्चा तक नहीं कर रहा है. यहां प्रचार में बात हो रही है हिंदू-मुसलमान, पाकिस्तान, एयरस्ट्राइक की. विकास की बात करें तो एयरपोर्ट और दिल्ली-डासना-मेरठ हाईवे अधूरा ही पड़ा है.

2014 की स्थिति:

सभी 8 सीटों-सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बिजनौर में भाजपा जीती थी.

सबसे बड़ा फैक्टर क्या रहेगा?

मुद्दे: सांप्रदायिकता, गन्ने का भुगतान, बेरोजगारी

चीनी मिलों द्वारा गन्ने का भुगतान देरी से दिए जाने से क्षेत्र के 5 लाख से अधिक किसान परेशान हैं. कानून व्यवस्था, सांप्रदायिक तनाव और बेरोजगारी भी असरदार है.  मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग, गाजियाबाद-गौतमबुद्ध नगर, नोएडा में बड़े आवासीय प्रोजेक्ट में फंसे लोग मुद्दा है.

जाति: मुस्लिम, जाट, दलित और गुर्जर असरदार रहेंगे

बिजनौर, सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ में मुसलमानों की संख्या 32.6 से लेकर 41.7% है. गाजियाबाद, नोएडा, बागपत में भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से पांच लाख तक है. जाट, गुर्जर, दलित वोट भी अच्छी खासी तादाद में हैं. त्यागी, सैनी, राजपूत वोट भी बड़ी संख्या में हैं इन्हें भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है.

गठबंधन: चौधरियों के लिए कांग्रेस ने छोड़ी दो सीटें

सपा+बसपा+राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन है. रालोद मुजफ्फरनगर, बागपत तो सपा गाजियाबाद, कैराना वहीं बसपा सहारनपुर, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर और बिजनौर में लड़ रही है. भाजपा अकेले चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है.

(दैनिक भास्कर से विशेष अनुबंध के तहत प्रकाशित)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq