मोदी की भाजपा पर लिखे आडवाणी के ब्लॉग में इंदिरा के ख़िलाफ़ लिखे उनके लेखों की झलक है

भाजपा के संस्थापक ने विरोधियों को एंटी-नेशनल कहने पर आपत्ति जताई है, जो मोदी-शाह की रणनीति और अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. ऐसा ही कुछ लालकृष्ण आडवाणी ने 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के समय जेल में बंद होने के दौरान भी लिखा था.

/
New Delhi: Prime Minister Narendra Modi and BJP senior leader LK Advani during BJP National Executive Meeting, in New Delhi, Saturday, Sept 8, 2018. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI9_8_2018_000103B)
New Delhi: Prime Minister Narendra Modi and BJP senior leader LK Advani during BJP National Executive Meeting, in New Delhi, Saturday, Sept 8, 2018. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI9_8_2018_000103B)

भाजपा के संस्थापक ने विरोधियों को एंटी-नेशनल कहने पर आपत्ति जताई है, जो मोदी-शाह की रणनीति और अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. ऐसा ही कुछ लालकृष्ण आडवाणी ने 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के समय जेल में बंद होने के दौरान भी लिखा था.

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi and BJP senior leader LK Advani during BJP National Executive Meeting, in New Delhi, Saturday, Sept 8, 2018. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI9_8_2018_000103B)
सितंबर 2018 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लालकृष्ण आडवाणी (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: ब्लॉग पोस्ट शायद ही अब कभी खबर बनते हैं, लेकिन 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद लिखी गई लालकृष्ण आडवाणी की पहली ब्लॉग पोस्ट सत्ताधारी दल के शासनकाल की कहानी में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.

इस पोस्ट के जरिये पार्टी के एक संस्थापक- जो आपातकाल में जेल गए थे- भाजपा को दबे स्वर में वह राजनीतिक पार्टी बनते जाने पर चेता रहे हैं, जिसके खिलाफ वे कभी लड़े थे.

आडवाणी की पोस्ट संक्षिप्त है, लेकिन स्पष्ट है. यह 6 अप्रैल, जिस दिन पार्टी का स्थापना दिवस होता है, को ध्यान में रखकर लिखी गई है, जहां उन्होंने कहा- ‘यह हम सभी के लिए पीछे, आगे देखने और अपने भीतर देखने के लिए एक महत्वपूर्ण मौका है.’

इसके बाद उन्होंने अपनी पोस्ट में दो बातों को प्रमुखता दी है. सबसे पहले, राजनीति की भाषा के बारे में उन्होंने लिखा:

अपनी स्थापना के बाद से ही भाजपा ने उन लोगों को, जो राजनीतिक रूप से हमसे असहमत हैं , को अपना ‘दुश्मन’ नहीं माना हैं, बल्कि केवल अपने ‘विरोधी’ के बतौर देखा. इसी तरह, भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में भी जो लोग हमसे राजनीतिक असहमति रखते थे, उन्हें कभी देशद्रोही (एंटी-नेशनल) नहीं माना गया.

इसके बाद, संस्थाओं की अखंडता के बारे में वह लिखते हैं:

देश और पार्टी के दोनों के भीतर, लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा, भाजपा के लिए गर्व की बात रही है. इसलिए, भाजपा हमेशा मीडिया समेत हमारी सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं की आजादी, अखंडता, निष्पक्षता और मजबूती की मांग करने में सबसे आगे रही है.

ये दोनों ही बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन और संवाद की शैली पर अप्रत्यक्ष हमला है.

देश में चल रहा ‘एंटी-नेशनल’ शब्द मोदी-शाह की रणनीति और वर्तमान में चल रहे चुनावी अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. आडवाणी की पोस्ट से ठीक एक दिन पहले 3 अप्रैल को, मोदी ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दोनों को ‘एंटी-नेशनल’ कहा था.

अधिकांश देशवासी यह भूल गए होंगे, लेकिन आडवाणी को वह दौर याद होगा, जब एक अन्य सरकार द्वारा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ इसी शब्द का इस्तेमाल किया जाता था- यह था इंदिरा गांधी का शासन काल. आपातकाल के दौरान, इंदिरा सरकार ने विपक्षी कार्यकर्ताओं को ‘भारत-विरोधी’ और ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार दिया था.

यह भी पढ़ें: जो आज दूसरों को ‘एंटी नेशनल’ बता रहे हैं, कभी वे भी ‘देशद्रोही’ हुआ करते थे

चालीस साल बाद, उनमें से कई कार्यकर्ता (जैसे सुब्रमण्यम स्वामी) जब सत्ता में आए, तब उन्होंने छात्रों, सिविल सोसाइटी और विपक्षी नेताओं के खिलाफ इसी शब्द को अपना हथियार बनाया.

आडवाणी ने खुद आपातकाल की अवधि बेंगलुरू की जेल में बिताई थी. वे वहां 19 महीने रहे और बाद में अपनी कई किताबों में सत्ता के बारे में उनकी सोच और लोकतंत्र के खतरों के बारे में लिखा.

जिस तरह आपातकाल जैसी बयानबाज़ी वर्तमान भाजपा के बयानों से मेल खाती हैं, उसी तरह मोदी शासन में लिखी इस नई ब्लॉग पोस्ट में उनके 1970 के दशक में लिखे गए विद्रोही लेखों की झलक मिलती है.

‘ए टेल ऑफ टू इमर्जेंसीज’ [A Tale of Two Emergencies] नाम के एक लेख में उन्होंने सत्ताधारियों की आलोचना करने के अधिकार का बचाव किया था:

Advani Essay 1

प्रेस के बारे में उन्होंने लिखा था कि कि प्रेस आलोचना की स्वस्थ संस्कृति के लिए मुख्य होती है.

Advani Essay 2

उन्होंने मुखिया के प्रति ‘वफादारी के प्रदर्शन’ की इच्छा रखने वाली राजनीतिक संस्कृति का मजाक उड़ाया था.

Advani Essay 3

दिसंबर 1975 में उन्होंने चंडीगढ़ में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों को एक खुला पत्र लिखा, जिसका शीर्षक था, ‘जब कानून की अवज्ञा एक कर्तव्य है’ [When Disobedience to Law is a Duty]. इसमें आडवाणी ने  ‘नागरिक स्वतंत्रता पर हमला’ को लेकर जवाहरलाल नेहरू के शब्दों को दोहराया था.

Advani Essay 4

साथ ही उन्होंने सरकार के प्रचार और निंदा के लिए प्रेस पर कब्ज़ा कर लेने की निंदा की थी.

Advani Essay 5

एक तीसरा पर्चा, एनाटॉमी ऑफ फासीज्म [Anatomy of Fascism], जो अप्रैल 1976 में आपातकाल के चरम पर लिखा गया था, में आडवाणी ने एक मुखर विपक्ष की आवश्यकता को बेहद जरूरी बताया.

Advani Essay 6

और आखिर में वे शब्द, जिन्हें 2019 में हर टेलीविजन पर दिखाया जाना चाहिए, उन्होंने भारतीय जनता को एडोल्फ हिटलर के ‘खेल के नियमों’ की याद दिलाई.

Advani Essay 7

ऐसा नहीं है कि आडवाणी की यह ब्लॉग पोस्ट पूरी तरह से सिद्धांत पर आधारित है- जिस तरह की बयानबाज़ियों और शासन की शैली के बारे में वे चेता रहे हैं, वह बीते पांच सालों से चल रही है. हां, ऐसा हो सकता है कि इसके पीछे उनका दो हफ्ते पहले हुआ वह अपमान हो- जब 1998 के बाद से लगातार उनके द्वारा जीती जा रही गांधीनगर लोकसभा सीट पर अमित शाह को टिकट दिया गया.

शायद उनके करिअर के इस तख्तापलट ने ही उनके नजरिए को साफ किया और उनकी याददाश्त को झटका दिया, साथ ही, कुछ साल बाद ही सही पर उन्हें कलम उठाने के लिए मजबूर कर दिया.

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq