नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में किस राह पर चले न्यायाधीश?

वीडियो: पिछले दस बरस देश की विभिन्न संस्थाओं के लिए भी महत्वपूर्ण रहे हैं. नरेंद्र मोदी के पिछले दस सालों के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश किस राह पर चले, संविधान के अभिभावक संवैधानिकता की कितनी रक्षा कर पाए, इस बारे में क़ानूनी मामलों पर लिखने वाले पत्रकार सौरव दास से बात कर रहे हैं द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज.

अयोध्या आज एक कुरु-सभा बन गई है जिसके मंच पर भारतीय सभ्यता का चीरहरण हो रहा है

अयोध्या की सभा असत्य और अधर्म की नींव पर निर्मित हुई है, क्योंकि जिसे इसके दरबारीगण सत्य की विजय कहते हैं, वह दरअसल छल और बल से उपजी है. अदालत के निर्णय का हवाला देते हुए ये दरबारी भूल जाते हैं कि इसी अदालत ने छह दिसंबर के अयोध्या-कांड को अपराध क़रार दिया था.

क्या सीपीआर के ख़िलाफ़ मोदी सरकार की कार्रवाई का अडानी से कोई ‘संबंध’ है?

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने से पहले इसे मिले आयकर विभाग के नोटिस में संगठन के छत्तीसगढ़ में हसदेव आंदोलन में शामिल एनजीओ से जुड़ाव का प्रमुख तौर पर ज़िक्र किया गया है. हालांकि, नोटिस में जिस बात का उल्लेख नहीं है वो यह कि हसदेव क्षेत्र बीते क़रीब एक दशक से अडानी समूह के ख़िलाफ़ विराट आदिवासी आंदोलन का केंद्र है.