वीडियो: दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस द्वारा बढ़ाई गई बैरिकेडिंग से किसानों और आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. तीनों ही राजधानी की तीनों सीमाओं को काफी दूर तक कंटीले तारों से घेर दिया गया है और टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने धरना स्थल तक जाने वाली सड़कों पर लोहे की कीलें भी गाड़ दी हैं.
हिंसा का एकाधिकार सरकार के पास होता है और उसे नियंत्रित रखने के लिए संवैधानिक सीमाएं हैं. लेकिन सरकार इनका अतिक्रमण करती रहती है. उसकी अनधिकार हिंसा पर कोई सवाल न उठे, इसलिए वह जनता के एक हिस्से को यह बताती है कि वह उसकी तरफ से हिंसा का प्रयोग कर रही है.
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट का यह बयान अमेरिकी गायिका रिहाना समेत कई हस्तियों के किसान आंदोलन के समर्थन पर भारतीय विदेश मंत्रालय की आलोचना पर आया है. विभाग ने यह भी कहा कि अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है जो भारतीय बाज़ार को बेहतर बनाते हैं और बड़े स्तर पर निजी निवेश आकर्षित करते हैं.
वीडियो: ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस द्वारा की गई सख़्त घेराबंदी से प्रदर्शनकारियों से लेकर आम जनता तक को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, सड़क पर गाड़ी गईं कीलों के कारण प्रदर्शनकारी घायल भी हो रहे हैं. मेडिकल कैंप के डॉक्टरों का दावा है कि अब तक कम से कम 20 प्रदर्शनकारी कीलों से घायल हो चुके हैं. विशाल जायसवाल की रिपोर्ट.
26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद से ग़ाज़ीपुर, टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैरिकेड और सीमेंट की दीवारों की संख्या बढ़ गई है. तीनों सीमाओं को काफ़ी दूर तक तारों से घेर दिया गया है और टिकरी और ग़ाज़ीपुर में पुलिस ने धरनास्थल तक जाने वाली सड़कों पर लोहे की कीलें भी गाड़ दी हैं.
किसान आंदोलन के मद्देनज़र हरियाणा सरकार ने तीन फरवरी शाम 5 बजे तक जींद सहित सात ज़िलों में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द इंटरनेट सेवाएं बहाल नहीं कीं, तो आगे की रणनीति बनाकर आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा ने यह आरोप भी लगाया कि सड़कों पर कीलें व कंटीले तार लगाना, आंतरिक सड़कें बंद कर अवरोधक बढ़ाना, इंटरनेट सेवाएं बंद करना और भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रदर्शन करवाना सरकार, पुलिस और प्रशासन की ओर से हो रहे नियोजित ‘हमलों’ का हिस्सा हैं.
स्वतंत्र पत्रकार मंदीप पुनिया को सिंघू बॉर्डर से शनिवार को हिरासत में लेने के बाद रविवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. अदालत ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि शिकायतकर्ता, पीड़ित, गवाह सब पुलिसकर्मी हैं. इस बात की संभावना है नहीं कि आरोपी किसी पुलिस अधिकारी को प्रभावित कर सकता है.
किसान नेताओं ने कहा कि वे आंदोलन स्थलों के निकट क्षेत्रों में इंटरनेट प्रतिबंध, अधिकारियों द्वारा कथित उत्पीड़न और अन्य मुद्दों के ख़िलाफ़ तीन घंटे तक राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर अपना विरोध दर्ज कराएंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए कपास पर 10 फ़ीसदी सीमा शुल्क की घोषणा की. कपास किसानों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता का मानना है कि इससे किसानों को कोई विशेष लाभ होने की संभावना नहीं है.
कृषि क़ानूनों पर किसानों के विरोध के बीच मोदी सरकार ने बार-बार दावा किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी व्यवस्था ख़त्म नहीं होगी, पर आम बजट में इसे दिलाने वाली योजनाओं के फंड में बड़ी कटौती की गई है, जिसके चलते किसानों को उतनी एमएसपी भी नहीं मिलेगी, जितनी सरकार तय करती है.
किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद लापता लोगों का पता लगाने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. मोर्चा ने अब तक 163 लोगों की पहचान की है, जो या तो जेल या फिर पुलिस हिरासत में हैं.
डिजिटल मीडिया आज़ाद आवाज़ों की जगह है और इस पर ‘सबसे बड़े जेलर’ की निगाहें हैं. अगर यही अच्छा है तो इस बजट में प्रधानमंत्री जेल बंदी योजना लॉन्च हो, मनरेगा से गांव-गांव जेल बने और बोलने वालों को जेल में डाल दिया जाए. मुनादी की जाए कि जेल बंदी योजना लॉन्च हो गई है, कृपया ख़ामोश रहें.
वरिष्ठ पत्रकार और कृषि मामलों के जानकार पी. साईनाथ ने कहा कि जब कॉरपोरेट की ज़रूरतों के लिए जीएसटी का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है तो किसानों के लिए संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता है, जहां कृषि संकट से समाधान के लिए चर्चा की जा सके.
स्वतंत्र पत्रकार और कारवां पत्रिका के लिए लिखने वाले मनदीप पुनिया और एक अन्य पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को शनिवार को हिरासत में लिया गया था. धर्मेंद्र सिंह को रविवार तड़के रिहा कर दिया गया. वहीं बताया जा रहा है कि पुनिया को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.