जब देश का प्रधानमंत्री ही गाली-गलौज करने वालों को फॉलो करेगा तो उन पर लगाम कौन लगाएगा

आॅनलाइन गुंडागर्दी: ट्रोलिंग पर द वायर हिंदी की विशेष सीरीज़ की पहली कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विद्या सुब्रमण्यम अपना अनुभव साझा कर रही हैं.

आॅनलाइन गुंडागर्दी: ‘संघ पर लेख लिखने के बाद मुझे सैकड़ों धमकी भरे फोन आए’

ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: पहली कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विद्या सुब्रमण्यम बता रही हैं कि कैसे साल 2013 में आरएसएस पर उनके एक लेख की वजह से उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी.

फ़र्ज़ी ट्वीट कर परेश रावल ने कराई फ़ज़ीहत, मांगी माफ़ी

भाजपा सांसद ने लिखा, ‘मुंबई ताज हमले में शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन बेंगलुरु से हैं. उन्हें राज्य सरकार द्वारा 21 बंदूकों की सलामी नहीं दी गई!’

जनता को झूठे सपनों, निराधार तथ्यों और धर्म की भांग ने मदमस्त कर रखा है

कभी-कभी मोमबत्तियां लेकर, मानव श्रृंखला बनाकर खड़ा होने वाला भारत का बौद्धिक वर्ग छोटे-छोटे स्वार्थों, छोटी-छोटी नौकरियों और बड़े-बड़े पैकेजों के चक्कर में अपना दायित्व भूल गया है.

#BlockNarendraModi: क्यों ​ट्विटर पर नरेंद्र मोदी को ब्लॉक करने का अभियान चल रहा है?

गुरुवार सुबह से ही हैशटैग ‘ब्लॉकनरेंद्रमोदी’ ट्रेंड कर रहा है. कई लोगों ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्लॉक करके प्रतिक्रियाएं लिखी हैं.

असहिष्णु आवाज़ों को हमारी ख़ामोशी से ही ताकत मिलती है: गौरी लंकेश

गौरी का अख़बार उनके तेज़तर्रार और तर्कवादी पिता की ही तरह धर्मनिरपेक्षता, दलितों, महिलाओं और समाज में पिछड़े लोगों के अधिकारों के प्रति मुखर रहता था.

ट्विटर पर मोदी जिन्हें फॉलो करते हैं वो लोग गौरी लंकेश की हत्या का ‘जश्न’ मना रहे हैं

हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक राजनीति की कट्टर विरोधी गौरी लंकेश कर्नाटक से निकलने वाली साप्ताहिक पत्रिका ‘गौरी लंकेश पत्रिके’ की संपादक थीं.

ममता बनर्जी से पूछा जाना चाहिए कि सांप्रदायिकता से निपटने का आपका बेंचमार्क क्या है?

ममता न तो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के आरोपों-अफवाहों पर लगाम कस पा रही हैं और न ही बहुसंख्यक उग्रता पर. आखिर सांप्रदायिकता को रोकने में बहुसंख्यक वोटों की सरकारों की तरह अल्पसंख्यक वोटों की सरकारें भी क्यों लाचार नज़र आती हैं?

‘जब भी कोई दल बहुमत से सत्ता में होता है, तब प्रेस की आज़ादी पर हमले होते हैं’

वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने प्रेस की आज़ादी और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा समर्थित प्रेस और मीडिया को ही एकमात्र उपाय बताया.