सुप्रीम कोर्ट गुजरात की एक रेप सर्वाइवर की 27 सप्ताह से अधिक के भ्रूण के गर्भपात की इजाज़त मांगने की याचिका सुन रहा था. कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट को महिला की याचिका को बारह दिन के लिए स्थगित करने के लिए फटकारते हुए कहा कि ऐसे मामलों में वक़्त ख़राब न करते हुए तत्परता बरती जानी चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन शोषण के चलते गर्भवती हुई 14 साल की लड़की द्वारा 25 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात कराने का अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न पीड़िता पर मातृत्व की ज़िम्मेदारी थोपना उसके सम्मानित जीवन जीने के मानवाधिकार के उल्लंघन के समान है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, क़ानूनी उम्र से पहले महिलाओं के विवाह के संबंध सबसे ख़राब स्थिति पश्चिम बंगाल की है, जहां ऐसी स्त्रियों की संख्या 42 फ़ीसदी है. सबसे बेहतर स्थिति लक्षद्वीप की है, जहां महज़ चार फ़ीसदी महिलाओं का विवाह 18 साल की आयु से पहले हुआ है.
बीते 10 जनवरी को महाराष्ट्र के वर्धा ज़िले में स्थित अस्पताल की एक महिला डॉक्टर को 13 साल की लड़की का कथित रूप से गर्भपात कराने के मामले में गिरफ़्तार किया गया था. आरोप है कि बलात्कार के बाद गर्भवती लड़की पर आरोपी लड़के के माता-पिता गर्भपात का दबाव बना रहे थे. पुलिस ने मामले में महिला डॉक्टर, लड़के के माता-पिता समेत पांच लोगों को गिरफ़्तार किया है.
दलित युवती से छह माह पूर्व कथित रूप से बलात्कार हुआ था, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी. युवती के पिता ने बलात्कार के आरोपी युवक, उसके परिवार और एक डॉक्टर के ख़िलाफ़ बलात्कार और अन्य संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कराया था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले से यह गिरफ़्तारी हुई है.
सुप्रीम कोर्ट ने 20 सप्ताह से ज्यादा अवधि के अवांछित गर्भ के समापन के मामलों में निर्णय लेने के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में मेडिकल बोर्ड गठित करने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 की धारा तीन के तहत 20 सप्ताह के बाद गर्भपात कराना प्रतिबंधित है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2013 से 2017 के बीच भारत में हर साल क़रीब साढ़े चार लाख बच्चियां जन्म के समय ही लापता हो गईं. प्रतिवर्ष लापता होने वाली अनुमानित 12 से 15 लाख बच्चियों में से 90 प्रतिशत से ज़्यादा चीन और भारत की होती हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी महिला के जीवन को ख़तरा हो तो कोई पंजीकृत डॉक्टर अदालत की अनुमति के बिना भी 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ का गर्भपात करा सकते हैं.
आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार राजधानी दिल्ली में प्रसव के चलते पिछले पांच सालों में 2305 महिलाओं की मौत हुई है.