उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में 27 अगस्त 2013 को छह लोगों ने शाहनवाज़ की चाकू मारकर हत्या कर दी थी. शाहनवाज़ की हत्या और एक अन्य घटना में दो युवकों की मौत के बाद मुज़फ़्फ़रनगर और आसपास के इलाके में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसमें 60 लोग मारे गए थे और तकरीबन 40,000 लोग बेघर हुए थे.
पुलिस के अनुसार, शनिवार शाम जब रामनवमी का जुलूस सिलनी गांव से होकर गुजर रहा था उसी समय दूसरे संप्रदाय के लोगों ने यह सोचकर कि जुलूस में शामिल लोग अपना रास्ता बदल रहे हैं उन पर पथराव शुरू कर दिया जबकि जुलूस अपने निर्धारित मार्ग पर ही था.
बहराइच के खैरा बाजार में दुर्गा पूजा विसर्जन के समय हुए तनाव के मामले में पुलिस ने अब तक 50 लोगों को गिरफ़्तार किया है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि यूएपीए लगाना ग़लत था, इसे अब एफआईआर से हटा दिया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों पक्षों में टकराव की नौबत एक समुदाय विशेष के लोगों के अवैध नल कनेक्शन काटने को लेकर आई.
नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने वाले सांसदों/विधायकों की संख्या के लिहाज से भाजपा शासित उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के मामलों में भी वृद्धि हुई है.
बीते छह मार्च को कैंडी और अम्पारा जिलों में हुए बौधों और मुस्लिमों के बीच हुई हिंसा के बाद 10 दिनों के लिए श्रीलंका में आपातकाल घोषित कर दिया था.
पिछले दो-तीन दशकों में ‘सांप्रदायिक चेतना का ग्रामीणीकरण’ हुआ है. परंपरागत भारतीय समाज में हमारे बुज़ुर्गों ने सांप्रदायिकता से निपटने के लिए अपनी एक प्रणाली विकसित की थी.
दो समुदायों के बीच हुई हिंसा में तीन घायल, एक की हालत गंभीर, पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले.