मुस्लिम देशों के संगठन ने रामनवमी पर मुसलमानों को निशाना बनाने वाली हिंसा पर चिंता जताई

रामनवमी पर धार्मिक जुलूसों के दौरान मुसलमानों को निशाना बनाने वाली हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए 57 देशों के समूह ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ ने भारतीय अधिकारियों से मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने का आह्वान किया है. भारत ने ‘सांप्रदायिक मानसिकता’ का उदाहरण बताते हुए इसकी निंदा की है.

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बीते 2 अप्रैल को बंगाल के रिशरा में निकाली गई रामनवमी की रैली का वीडियोग्रैब, इस दौरान यहां पर हिंसा हुई थी.

रामनवमी पर धार्मिक जुलूसों के दौरान मुसलमानों को निशाना बनाने वाली हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए 57 देशों के समूह ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ ने भारतीय अधिकारियों से मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने का आह्वान किया है. भारत ने ‘सांप्रदायिक मानसिकता’ का उदाहरण बताते हुए इसकी निंदा की है.

बीते 2 अप्रैल को बंगाल के रिशरा में निकाली गई रामनवमी की रैली का वीडियोग्रैब, इस दौरान यहां पर हिंसा हुई थी.

नई दिल्ली: इस्लामिक देशों के 57 सदस्यीय गुट इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने मंगलवार को पिछले सप्ताह रामनवमी पर धार्मिक जुलूसों के दौरान मुसलमानों को निशाना बनाने वाली हिंसा की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की. हालांकि भारत ने ओआईसी की बयान को ‘सांप्रदायिक मानसिकता’ का उदाहरण बताते हुए निंदा की.

ओआईसी के प्रधान सचिवालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘संगठन 31 मार्च 2023 को बिहार शरीफ में एक चरमपंथी हिंदू भीड़ द्वारा एक मदरसा और उसके पुस्तकालय को जलाने के अलावा रामनवमी के जुलूसों के दौरान भारत के कई राज्यों में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाली हिंसा और बर्बरता की गतिविधियों पर गहरी चिंता व्यक्त करता है.’

संगठन ने हिंसा और बर्बरता के उत्तेजक कृत्यों को बढ़ते इस्लामोफोबिया और भारत में मुस्लिम समुदाय को व्यवस्थित तरीके से निशाना बनाने की स्पष्ट अभिव्यक्ति के रूप में उल्लेखित किया.

बयान में कहा गया है, ‘ओआईसी प्रधान सचिवालय भारतीय अधिकारियों से इस तरह के कृत्यों के लिए उकसाने वालों और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और देश में मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा, अधिकार और सम्मान सुनिश्चित करने का आह्वान करता है.’

इसके जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ओआईसी के बयान की कड़ी निंदा की है.

उन्होंने कहा, ‘यह उनकी सांप्रदायिक मानसिकता और भारत विरोधी एजेंडे का एक और उदाहरण है. ओआईसी भारत विरोधी ताकतों के प्रभाव में आकर सिर्फ अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है.’

मालूम हो कि बीते वर्षों की तरह ही इस वर्ष भी रामनवमी के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में गुरुवार (30 मार्च) को हिंसा और झड़प की घटनाएं देखी गईं.

पुलिस ने बताया है कि देश भर में रामनवमी के जुलूसों के दौरान हिंसा और झड़प की घटनाओं में कम से कम 22 लोग घायल हो गए और 54 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

बीते 28 मार्च की रात महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पालधी में एक मस्जिद के सामने डीजे के साथ एक धार्मिक जुलूस निकाले जाने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी.

पुलिस ने बताया था कि इस संबंध में दो एफआईआर दर्ज ​की गई है, इसमें हिंदू समुदाय के 9 और मुस्लिम समुदाय से 63 लोगों को नामजद किया गया है. वहीं, 56 लोग गिरफ्तार किए गए थे.

इस घटना के बाद अज्ञात लोगों द्वारा एक प्रतिमा को तोड़े जाने के बाद जलगांव जिले के ही अतरवाल गांव में दो समूहों के बीच झड़प हो गई थी. इस संबंध में पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया था.

बिहार और पश्चिम बंगाल में भी इस दौरान सांप्रदायिक झड़पों की खबरें हैं. बिहार के सासाराम और बिहार शरीफ में भी हिंसा की घटनाएं हुई थीं.

बीते 1 अप्रैल की रात बिहार शरीफ में दो समूहों के बीच हुई गोलीबारी में एक 16 वर्षीय लड़के की मौत हो गई. लड़का सब्जी खरीदने निकला था जब गोलीबारी की चपेट में आ गया था.

वहीं बीते 3 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिशरा में रामनवमी की दो रैलियों को रोके जाने के बाद फिर से झड़पें हुई थीं. दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात राज्यों से भी दो समुदायों के बीच तनाव की खबरें आई थीं.

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