शीर्ष मुस्लिम नेताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदू पूजा की अनुमति देने वाले वाराणसी अदालत के फैसले पर निराशा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि (अब ध्वस्त) बाबरी मस्जिद स्थल को हिंदू पक्ष को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हिंदुत्ववादी ताक़तों को देश भर में मुस्लिम पूजा स्थलों पर दावा करने का रास्ता दिखा दिया है.
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नई दिल्ली नगर निगम ने सुनहरी मस्जिद को हटाने को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है और यातायात व्यवस्था का हवाला देते हुए मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर जनता से राय मांगी जा रही है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.
भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा संसद में बसपा के सांसद दानिश अली पर सांप्रदायिक टिप्पणी को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा कि आम मुसलमानों की बात तो छोड़िए, अब चुना हुआ प्रतिनिधि भी संसद में सुरक्षित नहीं है. अगर यह नए भारत की तस्वीर है तो यह ख़तरनाक है.
स्मृति शेष: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के लीगल सेल के सेक्रेटरी गुलज़ार आज़मी नहीं रहे. आज़मी की देखरेख में ही जमीयत एक सामाजिक-धार्मिक संगठन से क़ानूनी मदद देने वाला संगठन बना, जिसने आतंकवाद से जुड़े मामलों में फंसाए गए लोगों की न्याय तक पहुंच बनाने का काम किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिए एक भाषण में समान नागरिक संहिता की पुरज़ोर वकालत की थी. इस पर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने कहा है कि वे कई मोर्चों पर उनकी सरकार की विफलता से ध्यान भटकाने के लिए विभाजनकारी राजनीति का सहारा ले रहे हैं.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में दावा किया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में धर्मांतरण-विरोधी क़ानूनों को अंतर-धार्मिक जोड़ों को ‘परेशान’ करने और उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए लागू किया गया है.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नज़र है. मदरसा सर्वेक्षण के नाम पर क़ौम के चंदे पर चलने वाले निजी मदरसों में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास हो रहा है, जबकि सरकार को सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों के बदतर हाल को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए.
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है, जिसे लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि मदरसे साप्रंदायिक लोगों की आंखों में खटकते हैं और इन्हें बदनाम नहीं किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव से भीड़ हिंसा और नफ़रत भरे भाषण जैसी अप्रिय स्थितियों को रोकने के लिए निवारक, सुधारात्मक और उपचारात्मक उपायों के संबंध में उसके पूर्व के दिशानिर्देशों के अनुपालन को लेकर राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से सूचना एकत्रित कर कोर्ट को इसकी जानकारी देने को कहा है.
मध्य प्रदेश के उज्जैन निवासी भाजपा के पूर्व सासंद चिंतामणि मालवीय ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए दावा किया गया है कि ये धाराएं धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं. उन्होंने कहा है इन धाराओं के माध्यम से बर्बर आक्रांताओं द्वारा अवैध रूप से बनाए गए ‘पूजा स्थलों’ को मान्य करने का प्रयास किया गया है.
उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं द्वारा एक ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था. इसी तरह दिल्ली में हिंदु युवा वाहिनी के एक कार्यक्रम में सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके ने कहा था कि वह भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लिए ‘लड़ने, मरने और मारने’ के लिए तैयार हैं.
कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है. कई मुस्लिम पक्ष, 40 कार्यकर्ता, हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विवादित ढांचे पर मुसलमानों का कोई अधिकार या मालिकाना हक़ नहीं है और इसलिए उन्हें पांच एकड़ ज़मीन आवंटित नहीं की जा सकती तथा किसी भी पक्षकार ने इस तरह की कोई ज़मीन मुसलमानों को आवंटित करने के लिए कोई अनुरोध या कोई दलील नहीं दी थी.