भारतीय संविधान के 70 साल पूरे होने के अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाली हस्तियों ने रविवार को एक पत्र जारी कर स्पष्ट सवाल किया कि क्या ‘संविधान सिर्फ प्रशासन चलाने की नियमावली है?
नागरिकता क़ानून को लेकर 2003 और उसके बाद हुई बहस में न केवल कांग्रेस और वाम बल्कि भाजपा नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भी धार्मिक रूप से प्रताड़ित शरणार्थियों को लेकर धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की पैरवी की थी.
पत्र में पूर्व नौकरशाहों की ओर से कहा गया है कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी व्यर्थ की कवायद है, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को दिक्कतें होंगी, सार्वजनिक व्यय होगा. बेहतर होगा कि उसे गरीबों और समाज के वंचित वर्गों की लाभकारी योजनाओं पर ख़र्च किया जाए.
हिंसा के सबसे ज्यादा, सबसे ताकतवर और कारगर हथियार किसके पास हैं? किसके पास एक संगठित शक्ति है जो हिंसा कर सकती है? उत्तर प्रदेश में किसने आम शहरियों के घर-घर घुसकर तबाही की? किसने कैमरे तोड़कर चेहरे ढंककर लोगों को मारा? गोलियां कहां से चलीं? अदालत से यह कौन पूछे और कैसे? जब उसके पास ये सवाल लेकर जाते हैं तो वह हिंसा से रूठ जाती है.
जो लोग ‘हम देखेंगे’ को हिंदू विरोधी कह रहे हैं, वो ईश्वर की पूजा करने वाले 'बुत-परस्त' नहीं, सियासत को पूजने वाले ‘बुत-परस्त’ हैं.
केरल के भाजपा प्रवक्ता बी. गोपालकृष्णन ने राज्य सरकार के नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर से जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगाने पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री विजयन ने एनपीआर लागू नहीं किया तो केंद्र द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्य को मिलने वाला राशन नहीं दिया जाएगा.
तमिलनाडु के नादुर गांव में दो दिसंबर को दीवार गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई थी. उस दीवार को एक व्यक्ति खुद के घर को दलितों से अलग करने के लिए बनाया था. उसके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं होने से दलित समुदाय के लोगों ने यह फैसला लिया है.
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने साबरमती आश्रम में नागरिकता कानून के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जब आजादी मिली तब भारत में मुस्लिमों की आबादी कुल जनसंख्या का महज नौ फीसदी थी, जो 70 साल में बढ़कर 14 फीसदी हो गई है.
अगर नागरिकता संशोधन क़ानून दूसरे देशों के मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, तो एनआरसी भारत के मौजूदा नागरिकों के प्रति शत्रुतापूर्ण है, जिसके कारण यह कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है.
आईआईटी मद्रास से फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जर्मन छात्र जैकब लिंडेनथल ने कहा है कि वे नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ कैंपस में हुए एक प्रदर्शन में शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्हें चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से भारत छोड़ने के निर्देश मिले.
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शुरू हुए आंदोलन का हासिल यह है कि आज हर कोई यह सवाल कर रहा कि आख़िर इस क़ानून की ज़रूरत क्या थी, एनआरसी क्यों लाई जाएगी. इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि अगर वोटर कार्ड है, आधार है तो अब रजिस्ट्रेशन किस बात का.
कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है. कई मुस्लिम पक्ष, 40 कार्यकर्ता, हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विवादित ढांचे पर मुसलमानों का कोई अधिकार या मालिकाना हक़ नहीं है और इसलिए उन्हें पांच एकड़ ज़मीन आवंटित नहीं की जा सकती तथा किसी भी पक्षकार ने इस तरह की कोई ज़मीन मुसलमानों को आवंटित करने के लिए कोई अनुरोध या कोई दलील नहीं दी थी.
भारतीय लोकसभा में पारित किए गए नागरिकता संशोधन विधेयक पर पाकिस्तान ने कहा है कि इसके पीछे बहुसंख्यक एजेंडा है. इस विधेयक ने आरएसएस-भाजपा की मुस्लिम विरोधी मानसिकता को दुनिया के सामने ला दिया है.
इससे पहले मूल वादकारियों में शामिल एम. सिद्दीक के वारिस और उत्तर प्रदेश जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने बीते दो दिसंबर को पुनर्विचार याचिका दायर की थी.