निर्मल वर्मा: साहित्य में एक जीवन

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विनीत गिल की किताब निर्मल जीवन और लेखन का सूक्ष्म-सजग-संवेदनशील पाठ है. हर बखान या विवेचन, हर खोज या स्थापना के लिए प्राथमिक और निर्णायक साक्ष्य उनका लेखन है.

अज्ञेय: वो विद्रोही लेखक, जिसने साहित्य और जीवन दोनों ही में परंपराओं को तोड़ा

पुस्तक समीक्षा: हिंदी कविता और नई कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर रहे अज्ञेय की अक्षय मुकुल द्वारा लिखी जीवनी ‘राइटर, रेबेल, सोल्‍जर, लवर: द मैनी लाइव्ज़ ऑफ अज्ञेय’ उनके जीवन के अनगिनत पहलुओं को तो उभारती ही है, साथ ही 1925 से 1980 के भारत के राजनीतिक-सामाजिक इतिहास का भी दस्तावेज़ बन जाती है.

अज्ञेय: ‘लेखक, विद्रोही, सैनिक, प्रेमी’

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अज्ञेय के लिए स्वतंत्रता और स्वाभिमान ऐसे मूल्य थे जिन पर उन्होंने कभी समझौता नहीं किया. अक्षय मुकुल की लिखी उनकी जीवनी इस धारणा का सत्यापन करती है.

रोहज़िन: इंसानी रूहों की आंतरिक व्यथा और बरसों से ठहरी उदासी की कहन…

पुस्तक समीक्षा: लेखक रहमान अब्बास के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उर्दू उपन्यास 'रोहज़िन' का अंग्रेज़ी तर्जुमा कुछ समय पहले ही प्रकाशित हुआ है. यह उपन्यास किसी भी दृष्टि से टाइप्ड नहीं है. यह लेखक के अनुभव और कल्पना का सुंदर मिश्रण है, जिसे पढ़ते हुए पाठक एक साथ यथार्थ और अतियथार्थ के दो ध्रुवों में झूलता रहता है.

तंजानियाई लेखक अब्दुलरजाक गुरनाह को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

इंग्लैंड में रहने वाले तंजानियाई मूल के अब्दुलरजाक गुरनाह यूनिवर्सिटी ऑफ केंट के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं. स्वीडिश अकादमी ने इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, 'सत्य के प्रति गुरनाह की निष्ठा और सरलीकरण को लेकर उनका विरोध अद्भुत है. उनके उपन्यास रूढ़िबद्ध विवरणों से परे हैं और सांस्कृतिक रूप से वैविध्यपूर्ण पूर्वी अफ्रीका को हमारे सामने लाते हैं, जिससे दुनिया के अन्य हिस्सों के लोग अपरिचित हैं.'

द मिनिस्ट्री आॅफ अटमोस्ट हैपीनेस: प्रेम, हिंसा और भय का आख्यान

अरुंधति रॉय आज के भारत के सीमांत पर उपज रही कल्पनाओं, हसरतों, प्रतिरोधों और गरिमा से जीने की ललक को इस नये उपन्यास में उकेरने का प्रयास करती हैं.