लंबी बीमारी के बाद प्रख्यात ग़ज़ल गायक पंकज उधास का निधन

फिल्म नाम से ‘चिट्ठी आई है’, मोहरा फिल्म से ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘एक तरफ़ उसका घर’ और ‘आहिस्ता’ जैसी यादगार ग़ज़लों के लिए प्रसिद्ध पंकज उधास अपनी मख़मली आवाज़ के लिए जाने जाते थे. उनका पहला ग़ज़ल एलबम ‘आहट’ साल 1980 में आया था. 2006 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

लता मंगेशकर: वक़्त से परे अगर मिल गए कहीं…

स्मृति शेष: लता मंगेशकर की अविश्वसनीय सफलता के पीछे उनकी आवाज़ की नैसर्गिक निश्छलता और सरलता का बहुत बड़ा हाथ है. जिस प्रकार उनकी आवाज़ हर व्यक्ति, समुदाय और वर्ग के लोगों को समान रूप से प्रभावित करने में सफल होती है वह इस बात का सूचक है कि वो आवाज़ अपने दैहिक कलेवर से उठकर आत्मा में निहित मानवीयता को स्पंदित करने में सक्षम हो जाती है.

प्रख्यात पार्श्व गायिका लता मंगेशकर का निधन

भारत में लता मंगेशकर को व्यापक रूप से सबसे महान और सबसे सम्मानित पार्श्व गायिकाओं में से एक माना जाता था. भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ जैसी उपाधियां भी दी गई थीं.

एक उदास और ख़ाली दौर में अज़ीज़ की आवाज़ सावन की तरह थी

मोहम्मद अज़ीज़ के कई गानों में अमीरी और ग़रीबी का अंतर दिखेगा. हम समझते हैं कि गायक को गाने संयोग से ही मिलते हैं फिर भी अज़ीज़ उनके गायक बन गए जिन्हें कहना नहीं आया, जिन्हें लोगों ने नहीं सुना.