नए फैसले के अनुसार, सिंगल रूम का किराया 200 रुपये जबकि डबल रूम का किराया 100 रुपये होगा. इसके साथ ही विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सहायता मुहैया कराएगा.
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) कार्यकारी परिषद ने हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी के फैसले को आंशिक तौर पर वापस लेने का फैसला किया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नए फैसले के अनुसार, सिंगल रूम का किराया 200 रुपये जबकि डबल रूम के कमरे का किराया 100 रुपये होगा. वहीं, हॉस्टल के लिए डिपॉजिट फीस 5,500 रुपये होगा. सर्विस चार्ज 1700 रुपये लगेगा. इसके साथ ही विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) छात्रों को सहायता मुहैया कराएगा.
इससे पहले, सिंगल रूम के लिए किराया 20 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये और डबल रूम का किराया 10 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया था. इसके साथ ही 1700 रुपये का सर्विस चार्ज भी लगाया गया था.
#JNU Executive Committee announces major roll-back in the hostel fee and other stipulations. Also proposes a scheme for economic assistance to the EWS students. Time to get back to classes. @HRDMinistry
— R. Subrahmanyam (@subrahyd) November 13, 2019
इस फैसले की जानकारी देते हुए भारत सरकार के शिक्षा सचिव आर. सुब्रमण्यम ने कहा, ‘जेएनयू कार्यकारी समिति ने हॉस्टल फीस और अन्य शर्तों को बड़ी संख्या में वापस ले लिया है. इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए एक योजना भी पेश की है. अब कक्षा में वापस जाने का समय है.’
विश्वविद्यालय प्रशासन के इन प्रावधानों के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने सोमवार को सड़क पर उतरकर भारी विरोध प्रदर्शन किया था.
इससे पहले एक बयान में जेएनयू के रजिस्ट्रार ने कहा कि विश्वविद्यालय पर पानी, बिजली और सर्विस चार्ज के रूप में हर साल 10 करोड़ रुपये का बिल आता है, जिसे वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मिली राशि से देता है.
जेएनयू प्रशासन का कहना था कि पिछले 19 साल में फीस नहीं बढ़ा था, जबकि छात्र संघ का कहना था कि फीस बढ़ोतरी से पहले उनसे बातचीत की जानी चाहिए.
बीते सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक तब एआईसीटीई कैंपस में बंधक बन गए थे जब कैंपस के बाहर फीस बढ़ोतरी को वापस किए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
कुलपति पर मुलाकात न करने का आरोप लगाते हुए जेएनयू छात्र संघ के नेतृत्व में छात्रों ने नारा दिया था कि ‘सस्ती शिक्षा के बिना दीक्षांत समारोह नहीं.’