दंतेवाड़ा ज़िले के पोटाली गांव में खोले जा रहे नए पुलिस कैंप को लेकर नाराज़ स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इससे गांव वालों को फ़र्ज़ी मामलों में फंसाने के प्रकरण बढ़ेंगे. वहीं पुलिस के अनुसार ग्रामीण नक्सली दबाव में कैंप का विरोध कर रहे हैं.
दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के पोटाली गांव में खोले जा रहे नए पुलिस कैंप को लेकर पुलिस और ग्रामीणों आमने-सामने हो गए है.
पिछले तीन दिनों से ग्रामीण नवीन पुलिस कैंप का विरोध कर रहे है. दो दिन पहले यहां सीएएफ (छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स) का कैंप खोला गया है.
मंगलवार को हजारों की संख्या में नए पुलिस कैंप का विरोध कर रहे ग्रामीणों और पुलिस के बीच तनाव उतपन्न हो गया. मंगलवार को ही दंतेवाड़ा कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा और एसपी अभिषेक पल्लव विरोध कर रहे ग्रामीणों को समझाने वहां पहुंचे थे.
ग्रामीणों के न मानने पर उनके वहां से जाते ही ग्रामीण विरोध करते नए कैंप की ओर बढ़ने लगे. पारंपरिक तीर-कमान लिए हजारों आदिवासी नए कैंप स्थापित करने का विरोध कर रहे थे और वहां से कैंप हटाने की मांग कर रहे थे. पुलिस द्वारा विरोध कर रहे ग्रामीणों को खदेड़ने के लिए लाठी, डंडों का इस्तेमाल करते हुए हवाई फायरिंग की गई.
#WATCH Chhattisgarh: Villagers protested in Potali Village of Dantewada dist y'day, against a new police camp of Chhattisgarh Armed Force in the naxal affected area. Situation was brought under control by police. Dantewada SP says, "They had done this under pressure by naxals." pic.twitter.com/r2fKQ8hCX5
— ANI (@ANI) November 13, 2019
कैंप का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों को आशंका है कि सुरक्षा बलों की मौजूदगी से उनकी संस्कृति पर खतरा है. साथ ही उन्हें लगता है कि इससे गांव वालों को फर्जी मामलों में फंसाने के प्रकरण बढ़ेंगे. पोटाली में पुलिस कैंप का विरोध वहां के ग्राम पंचायत के ग्रामीण, पंच और सरपंच भी कर रहे हैं.
उनका कहना है कि क्षेत्र में बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं सरकार को उपलब्ध करानी चाहिए. इन सुविधाओं पर तो सरकार का ध्यान नहीं है, उल्टे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ाने के लिए पुलिस व सुरक्षा बलों के कैंप खोले जा रहे हैं. ग्रामीणों ने पिछले दिनों कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर नए कैंप न लगाने की मांग भी की थी.
पोटाली गांव के उपसरपंच जोगा कड़ियाम कहते है, ‘कैंप लगता है तो आस-पास कहीं भी नक्सली मुठभेड़ होगा, तो पुलिस हमें परेशान करेगी, गिरफ्तार कर लेगी. जंगल में लकड़ी-पत्ते लेने औरतें जाती हैं, तो उसे पकड़ लेंगे. हम इस कैंप का विरोध करते है. और यह किसी के दबाव में नहीं है, हम ही विरोध कर रहे है.’
विदित हो कि साल 2007 के बाद से पोटाली में सरकार या प्रशासन की पहुंच नहीं थी. करीब 12 साल पहले नक्सलियों ने पोटाली, नहाड़ी, बुरगुम के शैक्षणिक आश्रमों को तोड़कर अरनपुर से पोटाली जाने वाली सड़क को भी बंद कर दिया था. इस क्षेत्र में आने वाले दर्जनों गांव अभी भी वीरान हैं. क्षेत्र के हाट बाजारों में सन्नाटा पसरा रहता है.
अभी भी इस क्षेत्र में रास्ते दुर्गम है. पुलिस के अनुसार पोटाली वह क्षेत्र है, जिसे माओवादियों का एक सुरक्षित इलाका माना जाता है.
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान हुए एक नक्सली हमले में डीडी न्यूज़ के कैमरामैन और दो जवान निलावाया गांव में की मौत हो गई थी.
दंतेवाड़ा के निलावाया गांव के आस पास स्थित गांव नहाडी, पोटाली, तनेली, अंचेली, रेवाली, बुरगुम, बर्रेम, जबेली, मुलेर इन गांवो में अमूमन जीरो वोटिंग होती है. यहां मतदान करवाना प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है.
इन क्षेत्रों में पोलिंग बूथ भी नहीं लगता है. अगर वोट डालना हो तो ग्रामीणों को लंबी दूरी तय कर मतदान के लिए जाना पड़ता है.
दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव का कहना है कि ग्रामीणों नक्सली दबाव में नवीन पुलिस कैंप का विरोध कर रहे थे. वे कहते हैं, ‘विरोध कर रहे ग्रामीणों को समझाया गया, लेकिन वो तीर धनुष लिए अपना विरोध कर रहे थे. उनको उग्र होते देख हवाई फायरिंग और आंसू गैस छोड़कर उन्हें वहां से खदेड़ा गया.’
एसपी ने आगे कहा, ‘हम गांव वालों से समन्वय बनाकर वहां कैंप खोलेंगे. कैंप खुलने के बाद से नक्सली इस इलाके से कमजोर हो जाएगे. दरभा डिवीजन को पोटाली कैंप से बड़ा झटका मलांगीर कमेटी पूरी तरह से टूट जाएगी, इसलिए वे ग्रामीणों को विरोध करने भेज रहे हैं.’
वहीं कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा का कहना है कि कैंप का होना ग्रामीणों के लिए ही फायदेमंद साबित होगा. उन्होंने कहा, ‘जवानों का कैंप लगने के साथ अब यहां हर सप्ताह मेडिकल कैंप लगेगा. इसके साथ ही ग्रामीणों को मुर्गीपालन, बकरी पालन जैसे तमाम स्वरोजगार योजना से जोड़ा जायेगा.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)