लोकसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देश भर में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है. कई राज्यों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सकों की कमी से जूझते हुए बिजली, पानी, शौचालय आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं के बगैर काम कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं देश में सबसे खराब स्थिति में हैं. द हिंदू की खबर के अनुसार लोकसभा में पेश डेटा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है.
मंत्रालय ने बीते हफ्ते लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है. उत्तर प्रदेश में 3,621 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन राज्य में केवल 1,344 डॉक्टर काम कर रहे हैं.
राज्य के 942 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बिजली, पानी की नियमित सप्लाई, सभी मौसमों में पहुंचने लायक सड़क के बगैर काम कर रहे हैं. राज्य में डॉक्टर-मरीज अनुपात और गरीब मरीजों को इलाज देने के लिए बुनियादी सुविधाएं सबसे ख़राब हैं.
मंत्रालय द्वारा ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी- 2018 के आधार पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश के बाद पीएचसी की सबसे ख़राब स्थिति अन्य जिन राज्यों में है, उनमें छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक और बिहार आते हैं. ज्ञात हो कि पीएचसी स्वास्थ्य सुविधाओं की बुनियादी जरूरत होते हैं.
मंत्रालय द्वारा दिए गए डेटा के मुताबिक उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों की अपेक्षित संख्या 3,621 है और प्रशासन द्वारा 4,509 डॉक्टर स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन इस समय केवल राज्य में केवल 1,344 डॉक्टर काम कर रहे हैं. यानी अपेक्षित आंकड़े से 2,277 कम. साथ ही 3,165 पद रिक्त हैं.
बिजली-पानी को मुहाल
अगर पीएचसी में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की बात करें, तब भी उत्तर प्रदेश का हाल बदहाल है. राज्य के 213 केंद्रों में बिजली नहीं है, 270 में पानी की नियमित सप्लाई नहीं है, वहीं 459 केंद्र ऐसे हैं, जहां सभी मौसमों में पहुंचने लायक सड़क नहीं हैं.
इन्हीं पैमानों पर जिन राज्यों की स्थिति खराब है, उनमें जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम और उत्तराखंड शामिल हैं.
मंत्रालय ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल राज्य का विषय हैं, स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की भर्ती सहित सभी प्रशासनिक और कार्मिकों के साथ जुड़े मामले राज्य सरकारों के पास हैं.
सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में चिकित्सकों की कमी उनकी नीतियों और संदर्भ के अनुसार अलग-अलग है.
72, 045 पीएचसी में स्टाफ के लिए शौचालय नहीं
मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब का डेटा बताता है कि देश के 72,045 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उपकेंद्र और सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्र ऐसे हैं जहां स्टाफ के लिए शौचालय सुविधा नहीं है, वहीं 1, 15, 484 केंद्र ऐसे हैं, जहां महिला और पुरुष मरीजों के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं हैं.
ऐसे राज्यों में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है, उसके बाद गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र हैं.