हैदराबाद में महिला डॉक्टर के सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोपियों को पुलिस एनकाउंटर में मार दिए जाने की घटना पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह एनकाउंटर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में पुलिस की नाकामी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया गया है.
नई दिल्ली: हैदराबाद में एक महिला पशु चिकित्सक के सामूहिक बलात्कार और फिर उसकी हत्या के चारों आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं. कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस किसी भी हालत में पीट-पीटकर हत्या करने वाली भीड़ की तरह व्यवहार नहीं कर सकती.
कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह एनकाउंटर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में पुलिस की नाकामी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया गया है.
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सचिव कविता कृष्णन ने कहा, ‘यह न्याय नहीं है बल्कि पुलिस, न्यायपालिका एवं सरकारों से जवाबदेही और महिलाओं के लिए न्याय एवं उनकी गरिमा की रक्षा की मांग करने वालों को चुप करने की ‘साजिश’ है.’
कृष्णन ने कहा, ‘महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में सरकार की नाकामी के बारे में हमारे सवालों का जवाब देने और अपने काम के लिए जवाबदेह बनने के बजाए तेलंगाना के मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस ने पीट-पीटकर हत्या करने वाली भीड़ के नेताओं की तरह काम किया है.’
उन्होंने कहा कि यह घटना अपराध के खिलाफ पूरी राजनीतिक एवं पुलिस प्रणाली की अयोग्यता एवं असफलता को स्वीकार करती है. उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पर पूरे मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश का आरोप लगाया.
कृष्णन ने कहा, ‘हम पुलिस और सरकार से कड़े सवाल कर रहे हैं. इन प्रश्नों का उत्तर देने से बचने के लिए यह कार्रवाई यह बताने की कोशिश है कि न्याय दे दिया गया है.’
उन्होंने कहा कि इस मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ अभियोग चलाया जाना चाहिए.
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआईडब्ल्यू) की महासचिव एनी राजा ने कहा, ‘देश में सभी कानून मौजूद होने के बावजूद सरकारें इन्हें लागू करने में नाकाम हो रही हैं. निश्चित ही यह मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश है. इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता है.’
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर ने इस घटना को पूरी तरह अस्वीकार्य करार दिया. उन्होंने इस मामले में एक स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है. एक फेसबुक पोस्ट में ग्रोवर ने जनता से अपील की है कि वे ‘ट्रिगर ट्रैक इनजस्टिस’ को अस्वीकार करें.
उन्होंने चेताया, ‘तो अब सरकार महिलाओं को एक स्वतंत्र नागरिक का जीवन देने के आश्वास देने के नाम पर इस तरह की असीमित एकपक्षीय हिंसा करेगी.’
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश हैं कि एनकाउंटर के हर मामले में पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज और जांच होनी चाहिए. उन्होंने इस एनकाउंटर की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है.
ग्रोवर ने यह भी कहा कि इस तरह की हत्याएं जनता का ध्यान बंटाती हैं और पुलिस और सरकार को किसी भी तरह की जवाबदेही से बचाती हैं.
‘अनहद’ (एक्ट नाउ फॉर हारमनी एंड डेमोक्रेसी) की संस्थापक सदस्य शबनम हाशमी ने भी इस बात पर सहमति जताई कि यह लोगों का ध्यान खींचने की सरकार की कोशिश हो सकती है.
एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्त रेबेका मेमन जॉन ट्वीट कर कहा, ‘महिलाओं के नाम पर पुलिस एनकाउंटर नहीं होना चाहिए.’
चारों आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद देश के अलग अलग हिस्सों में जश्न मनाए जाने पर सवाल उठाते हुए रेबेका ने कहा, ‘भीड़ द्वारा किए गए न्याय का हम जश्न कैसे मना सकते है? पुलिस फोर्स जिस पर कोई भरोसा नहीं करता, उसने चार निहत्थे लोगों को मार दिया, क्यों? क्योंकि वे कोई महत्व नहीं रखते थे. क्या हमारे पास कभी ऐसा कोई सबूत होगा जो बता सके कि उन्होंने (पुलिस) अपराध किया है? क्या कोई अदालत इन्हें सजा देगी?’
एनएचआरसी ने हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर का संज्ञान लिया, जांच का दिया आदेश
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कहा कि आज हुआ यह एनकाउंटर चिंता का विषय है और इसकी सावधानी से जांच होनी चाहिए. एनएचआरसी ने शुक्रवार को मामले की जांच के आदेश दिए.
एनएचआरसी ने कहा, ‘आयोग का यह मानना है कि इस मामले की बड़ी सावधानी से जांच किए जाने की आवश्यकता है, इसीलिए आयोग ने अपने महानिदेशक (जांच) से तथ्यों का पता लगाने के लिए घटनास्थल पर तत्काल एक टीम भेजने को कहा है.’
आयोग ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की अगुवाई में आयोग की जांच शाखा के दल द्वारा तत्काल हैदराबाद के लिए निकलने और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देने की संभावना है.
आयोग की ओर से कहा गया कि मृतकों को पुलिस ने जांच के दौरान गिरफ्तार किया था और इस मामले पर फैसला अभी सुनाया जाना था. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति यदि वास्तव में दोषी थे तो कानून के अनुसार सजा दी जाती.
इससे पहले भी एनएचआरसी ने कहा था कि आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई करने के लिए पुलिस के पास कोई ‘मानक संचालन प्रक्रिया’ नहीं है.
आयोग ने कहा, ‘जीवन का अधिकार और कानून के समक्ष समानता मौलिक मानवाधिकार हैं जो उन्हें भारत के संविधान ने दिए हैं.’
उसने स्वीकार किया कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन उत्पीड़न और हिंसा की घटनाओं ने लोगों में डर और आशंका का माहौल पैदा कर दिया है.
आयोग ने कहा कि भले ही किसी आरोपी को पुलिस ने ही गिफ्तार क्यों न किया हो, हर परिस्थिति में मानव जीवन की क्षति समाज को गलत संदेश देगी.
आयोग ने कहा कि एनएचआरसी ने यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय केंद्र तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है और उनसे ऐसे मामलों से निपटने के मानक तौर-तरीकों तथा निर्भया फंड के इस्तेमाल के बारे में जानकारी मांगी.
उल्लेखनीय है कि हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या करने के मामले के सभी चारों आरोपी शुक्रवार सुबह पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए.
जांच के लिए पुलिस आरोपियों को घटनाक्रम की पुनर्रचना के लिए घटनास्थल पर ले गई थी. पुलिस के अनुसार, ‘उन्होंने (आरोपियों) पुलिस से हथियार छीने और पुलिस पर गोलियां चलाईं. आरोपियों ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने जवाब में गोलियां चलाईं. इस दौरान चारों आरोपी मारे गए.’
पुलिस ने बताया कि इस घटना में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)