नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने शुक्रवार सुबह संसद तक मार्च निकाला था लेकिन उन्हें विश्वविद्यालय के पास ही रोक लिया गया. इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई, जिसमें छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया और आंसू गैस के गोले छोड़े गए.
नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के चलते जामिया मिलिया इस्लामिया ने 14 दिसंबर 2019 से होने वाली सभी सेमेस्टर परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, जामिया में अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट की सेमेस्टर परीक्षाएं शनिवार से होनी थी लेकिन अब इन्हें स्थगित कर दिया है. जामिया के पीआरओ अहमद अजीम ने इसकी पुष्टि की. एक दिन पहले ही छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार करने की योजना बनाई थी.
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि वह परीक्षाओं की नई तारीखों का जल्द ऐलान करेगा. प्रशासन ने आगामी सोमवार यानी 16 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश का भी ऐलान किया है. विश्वविद्यालय पांच जनवरी 2020 तक बंद रहेगा और छह जनवरी से क्लासेस शुरू होंगी.
जामिया के छात्रों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यूनिवर्सिटी बंद को शनिवार को खत्म कर दिया. इससे एक दिन पहले परिसर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
इस बीच यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तनाव के मद्देनजर परीक्षाओं को रद्द करके पांच जनवरी तक छुट्टियों का ऐलान कर दिया. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि जिन लोगों ने शुक्रवार को हिंसा की और पुलिस के साथ संघर्ष किया, वे जामिया के छात्र नहीं बल्कि बाहरी लोग थे.
यूनिवर्सिटी के अधिकारी ने बताया, ‘यूनिवर्सिटी यह स्पष्ट करना और घटना को उचित परिप्रेक्ष्य में रखना चाहती है कि कौन लोग शामिल थे और यह क्यों हुआ. आस-पास के इलाकों के हजारों लोग प्रदर्शन स्थल पर छात्रों के साथ जमा हो गए.’
उन्होंने कहा, ‘जिन बाहरी लोगों का यूनिवर्सिटी से कुछ लेना देना नहीं था, उन्होंने पुलिस से संघर्ष किया, न कि छात्रों ने ऐसा किया. असल में छात्रों ने उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश की. छात्र संघर्ष में फंस गए जिस वजह से उनमें से कुछ जख्मी हो गए.’
जामिया के एक छात्र निहाल अशरफ (25) ने कहा, ‘परीक्षा सिर पर थी लेकिन इसे रद्द कर दिया गया. अगर देश में कुछ गलत होता है तो जामिया अपनी आवाज उठाएगा. हमने कक्षा और परीक्षाओं का बहिष्कार किया है. हम लोग अपने अधिकारों के लिए बार-बार मार्च निकालते रहेंगे.’
बीए राजनीति विज्ञान के छात्र वजाहत (22) ने कहा, ‘शुक्रवार को जब हम मार्च निकाल रहे थे तब दिल्ली पुलिस ने हम पर बर्बर हमला किया. हमले के दौरान कई छात्र घायल हो गए. उन्होंने छात्रों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े. हमने परीक्षा का बहिष्कार किया है.’
एक अन्य छात्र पप्पू यादव ने कहा, ‘हर व्यक्ति जीना चाहता है. यह इजराइल या सीरिया नहीं है. हमें बांग्लादेश से सीखना चाहिए कि उन्होंने कैसे चरमपंथियों को खत्म किया और आर्थिक लोकतंत्र का चयन किया. सरकार मुख्य मुद्दों पर फोकस नहीं कर रही है.’
जामिया शिक्षक संघ ने भी विवादित कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने से पहले चर्चा करने के लिए अपनी कार्यकारी समिति की आपात बैठक बुलाई थी.
इस बीच जामिया के विद्यार्थियों, शिक्षकों और पूर्व छात्रों ने कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए समन्वय समिति गठित की गई है. उन्होंने कहा कि यह कानून भेदभावपूर्ण है.
मालूम हो कि कानून के विरोध में छात्रों ने शुक्रवार को संसद की तरफ मार्च करने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस और छात्रों में संघर्ष हो गया. इससे यूनिवर्सिटी एक तरह से युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया.
छात्रों ने शनिवार को यूनिवर्सिटी को बंद करने का आह्वान किया था और परीक्षाओं का बहिष्कार करने की योजना बनाई थी.
पुलिस ने प्रदर्शन के सिलसिले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दंगा करने और सरकारी कर्मचारियों को ड्यूटी से रोकने के आरोप में मामला दर्ज किया है.
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शुक्रवार को जामिया मिलिया इस्मालिया विश्वविद्यालय के छात्र सड़कों पर उतर आए थे.
इस दौरान छात्र नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन करते हुए संसद भवन तक जाना चाह रहे थे लेकिन इस बीच पुलिस के साथ छात्रों की झड़प हो गई. यह प्रदर्शन हिंसक हो गया. पुलिस की तरफ छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया.
इस बीच पुलिस ने 50 छात्रों को हिरासत में ले लिया था लेकिन उन्हें बाद में रिहा कर दिया गया.
छात्रों पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए. छात्रों ने भी पथराव किया. हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पहले पुलिस ने पत्थर चलाए और छात्रों ने जवाब में पत्थरबाजी की.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 को लेकर देश के कई राज्य में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
इस कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत की शरण में आए गैर-मुस्लिम लोगों को आसानी से नागरिकता मिल सकेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)