एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि देश में हो रही घटनाओं की ज़िम्मेदार कवरेज के लिए मीडिया की प्रतिबद्धता पर इस तरह के परामर्श से सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए. सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी टीवी चैनलों से कहा था कि वे ऐसी सामग्री दिखाने से परहेज करें जो ‘राष्ट्र विरोधी रवैये’ को बढ़ावा दे सकती है.
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से शनिवार को उस परामर्श को वापस लेने की मांग की, जिसमें सभी निजी टीवी चैनलों से कहा गया था कि वे ऐसी सामग्री दिखाने से परहेज करें जो हिंसा भड़का सकती है या ‘राष्ट्र विरोधी रवैये’ को बढ़ावा दे सकती है.
गिल्ड ने कहा कि वह मानता है कि देश में घटित होने वाली घटनाओं की जिम्मेदार कवरेज के लिए मीडिया की समग्र प्रतिबद्धता पर इस तरह के परामर्श से सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए.
The Editors Guild of India has issued a statement pic.twitter.com/WZEs8E7tVx
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) December 14, 2019
इस हफ्ते के शुरू में मंत्रालय ने एक परामर्श जारी करके सभी निजी टीवी चैनलों से कहा था कि वे खास तौर पर ऐसी सामग्री को प्रसारित करने के दौरान सतर्क रहें, जिससे हिंसा भड़क सकती है, ‘राष्ट्र विरोधी रवैये’ को बढ़ावा मिल सकता है और राष्ट्र की अखंडता प्रभावित हो सकती है
गिल्ड ने एक बयान में कहा कि मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से रिपोर्ट करे. गिल्ड इस तरह के परामर्श की निंदा करता है जो स्वतंत्र मीडिया के कामकाज में दखल देती हैं और अनुरोध करता है कि सरकार इसे वापस ले.
यह परामर्श संसद द्वारा बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित करने के बाद पूर्वोत्तर में भड़के हिंसक प्रदर्शनों की तस्वीरें कुछ टीवी चैनलों के दिखाने के बाद जारी किया गया था.
इसके साथ ही गिल्ड ने असम के समाचार चैनल प्राग न्यूज के कर्मचारियों के साथ पुलिस द्वारा हिंसक व्यवहार करने की भी निंदा की और घटना की जांच की मांग की.
गिल्ड ने सोशल मीडिया पर आए हुए उस वीडियो, जहां एक पुलिसकर्मी प्राग न्यूज़ के परिसर में एक कैमरामैन के पीछे लाठी लेकर भागते दिख रहा है, का जिक्र करते हुए दोषियों को सजा देने की मांग की है.
बता दें कि चैनल के मैनेजिंग एडिटर प्रणय बारदोलोई का आरोप है कि पुलिस गुरुवार शाम लगभग छह बजे उलुबारी में ‘प्राग न्यूज’ के परिसर में पहुंची और इमारत के बाहर बैठे कर्मचारियों से मारपीट की. प्रणय ने पुलिस से बिना शर्त माफ़ी मांगने की भी मांग की है.
इससे पहले भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय कई मौकों पर निजी टीवी चैनलों के लिए परामर्श जारी करता रहा है, जिसमें कार्यक्रम एवं प्रसारण संहिता के तहत निर्धारित सामग्री के प्रसारण को लेकर सख्त पालन की मांग की जाती रही है.
सरकार के इन हालिया दिशानिर्देशों का विपक्ष ने विरोध किया था. राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बृहस्पतिवार को मंत्रालय के इन निर्देशों के खिलाफ शून्य काल का नोटिस दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)