सीजेआई एसए बोबडे ने निजी कारण बताते हुए 2012 के निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में एक दोषी की याचिका पर हो रही सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया है.
नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने 2012 के निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में एक दोषी की याचिका पर हो रही सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.
उन्होंने इसकी निजी वजह बताई है. सीजेआई ने कहा कि वे इस मामले के लिए एक और बेंच का गठन किया है जो बुधवार को सुबह 10.30 बजे इस मामले को सुनेगा.
#Nirbhaya rape case: Chief Justice of India (CJI) SA Bobde said, we will constitute another bench for hearing at 10:30 am tomorrow. https://t.co/dXlI9Fy0V7
— ANI (@ANI) December 17, 2019
इससे पहले मंगलवार को सीजेआई की अध्यक्षता वाली की तीन जजों जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर. भानुमति की पीठ ने निर्भया मामले के एक दोषी अक्षय की याचिका की सुनवाई शुरू की, तब प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इसकी सुनवाई दूसरी उचित पीठ करेगी.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उनके एक रिश्तेदार इस मामले में पीड़ित की मां की ओर से पहले पेश हो चुके हैं और ऐसी स्थिति में उचित होगा कि कोई अन्य पीठ पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे विचार करे.
निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के एक दोषी अक्षय ने इस मामले में उसके मृत्युदंड को बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले की समीक्षा करने की मांग की है.
अक्षय के वकील ने यह दलील देते हुए दया की मांग की है कि दिल्ली में बढ़ते वायु एवं जल प्रदूषण के चलते वैसे ही आयु छोटी हो रही है. पीठ निर्भया की मां के वकील का पक्ष भी सुनेगी. निर्भया की मां ने (अक्षय की) इस अर्जी का विरोध करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है.
पिछले साल नौ जुलाई को शीर्ष अदालत ने तीन अन्य दोषियों- मुकेश (30), पवन गुप्ता (23) और विनय शर्मा (24) की पुनर्विचार याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि 2017 के फैसले की समीक्षा के लिए कोई आधार नहीं बनाया गया है.
सोलह दिसंबर, 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और उस पर नृशंस हमला किया था और उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था.
29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गयी थी. मामले के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी. एक अन्य आरोपी किशोर था और उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था. उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था.
शीर्ष अदालत ने 2017 में इस मामले के बाकी चार दोषियों को निचली अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सुनाये गये मृत्युदंड को बरकरार रखा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)