जेएनयू में रविवार देर रात छात्रों और शिक्षकों पर हुए बर्बर हमले के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ ने वाइस चांसलर एम. जगदीश कुमार को इस घटना का ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि या तो वीसी इस्तीफ़ा दें या मानव संसाधन विकास मंत्रालय उन्हें पद से हटाए.
नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) कैंपस में रविवार देर रात नकाबपोश हमलावरों के छात्रों और शिक्षकों पर बर्बर हमले के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने वाइस चांसलर एम.जगदीश कुमार को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
जेएनयूएसयू ने बयान जारी कर जगदीश कुमार को ‘गुंडा’ बताया है, जो यूनिवर्सिटी में हिंसा भड़का रहे हैं. छात्रसंघ ने कुलपति जगदीश कुमार के इस्तीफे की मांग की है. जेएनयूएसयू का यह पूरा बयान नीचे पढ़ा जा सकता है.
‘यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एम. जगदीश कुमार गुंडे की तरह बर्ताव कर रहे हैं, जो यूनिवर्सिटी में हिंसा भड़का रहे हैं, उन्हें प्रशासक के तौर पर काम करना चाहिए. वह हर तरीके के उपायों का इस्तेमाल करते हैं कि छात्र, शिक्षक, कर्मचारी और पूरा जेएनयू समुदाय बाहर से आए अपराधियों की हिंसा का सामना करें. जेएनयूएसयू की अध्यक्ष एम्स के ट्रॉमा सेंटर में हैं, एबीवीपी के हमले में उनके सिर पर लोहे की छड़ से वार किया गया था.
वाइस चांसलर कायर हैं, जो पिछले दरवाजे से अवैध नीतियों को लागू करते हैं, छात्रों और शिक्षकों के सवालों से डरकर भाग जाते हैं और फिर जेएनयू को नीचा दिखाने के लिए एक तरह की स्थिति का निर्माण करते हैं.
उससे भी अधिक कायर, उनके चमचे और गुर्गे हैं, जिनकी संख्या वे थोक के आधार पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं की अवैध भर्तियां करके बढ़ा रहे हैं और जो खुद को जेएनयूटीएफ और एबीवीपी बताते हैं और जिन्हें विशेष रूप से कैंपस को युद्धक्षेत्र में तब्दील करने के लिए रखा गया है.
जेएनयू लगभग 70 दिनों से इस यूनिवर्सिटी को निजीकरण से बचाने की साहसिक लड़ाई लड़ रहा है. वाइस चांसलर जेएनयू की फीस बढ़ोतरी को लेकर अड़े हुए हैं, वे सिद्ध करना चाहते हैं कि आसानी से शिक्षा उपलब्ध नहीं की जा सकती. हम जेएनयू समुदाय के तौर पर अडिग हैं कि जेएनयू में फीस बढ़ोतरी नहीं होगी और किफायती सार्वजनिक शिक्षा का सपना जारी रहेगा.
रविवार को जो हिंसा हुई, वो वीसी और उनके गुर्गों की निराशा और कुंठा का नतीजा है लेकिन आज जो हुआ, वो दिल्ली पुलिस के लिए भी शर्मनाक है, जिन्होंने बाहर से बुलाए गए एबीवीपी के गुंडों का बाल भी बांका नहीं होने दिया.
अभी तक प्रशासन हमारे प्रदर्शन को खत्म नहीं कर पाया है. चार जनवरी से वीसी के इशारे पर एबीवीपी के लोग आकर छात्रों को पीटते हैं. उन्होंने चार तारीख को लाठियों और पाइप का इस्तेमाल किया था.
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पांच जनवरी को उन्होंने बाहर से गुंडे बुलाए विशेष रूप से हिस्ट्रीशीटर सतिंदर अवाना की अगुवाई में दिल्ली यूनिवर्सिटी से. इस बार एबीवीपी के गुंडे 2018 में चुनाव के बाद हुई हिंसा से एक कदम आगे बढ़ गए.
पेरियार, एसएसएस 2, माही मंडावी और साबरमती में हमलों के दौरान लाठियों, रॉड और बड़े पैमाने पर पत्थरों का इस्तेमाल किया गया. बाहर से आए गुंडों ने न सिर्फ शीश तोड़े, कारें भी तोड़ी और ढाबे में काम करने वाले लोगों के साथ मारपीट की.
इससे भी अधिक शर्मनाक ये कि वे साबरमती हॉस्टल में महिलाओं के विंग में घुसे और वहां कई छात्राओं से मारपीट की. वीसी के इशारे पर सिक्योरिटी ने इन पुरूष गुंडों को वुमेन हॉस्टल में घुसने दिया. इससे अधिक चिंताजनक और शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता.
जेएनयूटीए ने कैंपस में शांति मार्च का आह्वान किया था, उन्हें भी नहीं बख्शा गया. सीएसआरडी की प्रोफेसर सुचरिता सेन के सिर पर रॉड से हमला किया गया और कई शिक्षकों को घायल किया गया.
जामिया में हिंसा को भड़काने वाली दिल्ली पुलिस ने अपनी भूमिका बदल दी लेकिन इरादे नहीं. जब गुंडें छात्रों को डंडों और रॉड से पीट रहे थे तब पुलिस मूक दर्शक बनकर खड़ी थी.
चार जनवरी को गुंडों ने जेएनयूएसयू के महासचिव से मारपीट की थी और रविवार को उन्होंने जेएनयूएसयू के अध्यक्ष को लोहे की रॉड से पीटा. एबीवीपी ने गर्ल्स हॉस्टल के भीतर और बाहर छात्राओं को भी पीटा और पत्थरबाजी की. चार जनवरी को एबीवीपी के गुंडों के हमले में कुछ छात्राओं को गंभीर चोटें आई हैं और कुछ को फ्रैक्चर हुआ है.
इस तरह की कायराना हरकतें दिखाती हैं कि ये लोग छात्र एकता से कितना डरे हुए हैं. हम इसमें अमित शाह के इशारे पर काम करने वाली पुलिस की भूमिका का भी उल्लेख करते हैं, जो इस तरह की स्थितियों में अपनी भूमिका के लिए बदनाम हो चुकी है.
बीते चार साल से वाइस चांसलर जेएनयू को बर्बाद करने के संघ परिवार के प्रोजेक्ट से शिद्दत से जुडे़ हुए हैं. वीसी जगदीश कुमार की 2016 में जेएनयू को बदनाम करने में प्रमुख भूमिका थी. उन्होंने नजीब के साथ मारपीट करने वाले एबीवीपी के गुंडों पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसकी बाद नजीब गायब हो गए.
वाइस चांसलर ने सीटों में कटौती और सामाजिक न्याय की हत्या कर छात्रों के भविष्य को नष्ट करने की कोशिश की. उन्होंने जीएसकैश को भंग कर दिया और अतुल जौहरी जैसे उत्पीड़कों को संरक्षण दिया.
उन्होंने ढाबे बंद कर दिए और नाइट कर्फ्यू लगाकर असहमति और बहस की संस्कृति को खत्म करने की कोशिश की. उन्होंने एमबीए और इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रमों की फीस बढ़ा दी. वह बिना योग्यता के अपने आकाओं को खुश करने के लिए राजनीतिक नियुक्तियां कर रहे हैं.
वह छात्राओं पर हमले और यूनिवर्सिटी को नष्ट करने के लिए गुर्गों का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने हर समय यूनिवर्सिटी की संस्कृति और अकादमिक को नष्ट करने की कोशिश की. मामिडाला जगदीश कुमार के जाने का समय आ गया है.
जेएनयू समुदाय की एकसूत्रीय मांग है, या तो वाइस चांसलर इस्तीफा दे दें या मानव विकास मंत्रालय उन्हें पद से हटाए. जो लोग यूनिवर्सिटी को बदनाम और नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होंगे.’