सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में बच्चे की मौत पर लिया संज्ञान, सोमवार को होगी सुनवाई

दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन के दौरान चार महीने के बच्चे की मौत के बाद बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित बारह साल की छात्रा जेन गुनरत्न सदावर्ते ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर कहा कि इस तरह के धरना-प्रदर्शन में बच्चों को शामिल करने की मंजूरी नहीं दी जाए.

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New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन के दौरान चार महीने के बच्चे की मौत के बाद बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित बारह साल की छात्रा जेन गुनरत्न सदावर्ते ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर कहा कि इस तरह के धरना-प्रदर्शन में बच्चों को शामिल करने की मंजूरी नहीं दी जाए.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में 30 जनवरी को एक बच्चे की मौत के मद्देनजर प्रदर्शनों और धरनों में बच्चों और शिशुओ को लाने करने से रोकने को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे की अध्यक्षता में 10 फरवरी को सुनवाई होगी.

बता दें कि 30 जनवरी को शाहीन बाग से लौटने के बाद चार महीने के एक बच्चे की मौत हो गई थी. बच्चे के परिजन उसे शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन में ले गए थे.

इस पर मुंबई की 12 साल की जेन गुनरत्न सदावर्तेने भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बच्चों के प्रदर्शनों में हिस्सा लेने को क्रूरता के समान बताते हुए इस पर रोक लगाने का निर्देश देने की अपील की थी.

इस पत्र में चार महीने के बच्चे की मौत के मामले की छानबीन करने करने को कहा गया क्योंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण ज्ञात नहीं है.

सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली सदावरते ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘चार महीने के बच्चे के जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया गया है. उसे सर्दी और बुखार हुआ था. उसकी मां रोजाना शाहीन बाग प्रदर्शन में जाती थी और बच्चे की जान चली गई. प्रदर्शन के दौरान बच्चों को ले जाया जा रहा है और बच्चों का जीवन खतरे में पड़ रहा है. प्रदर्शन के दौरान उन्हें खतरा है और उन्हें उनके जीने के अधिकार के साथ-साथ बच्चों के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है. बच्चों को ऐसी जगह पर जाने से रोकने की जरूरत है. भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में गाइडलाइन बनाए.’

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए पत्र को याचिका मानकर बच्चे की मौत के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है. अब शाहीन बाग में सड़क से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग वाली याचिका के साथ इस मामले पर भी सोमवार को सुनवाई होगी.

याचिकाकर्ता सदावर्ते को राष्ट्रपति से इस साल बहादुरी का पुरस्कार मिला था. सदावरते ने 2018 में मुंबई में क्रिस्टल टावर अग्निकांड में अपने परिजनों समेत 17 लोगों की जान बचाई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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