भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की टिप्पणी इस संबंध में महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही जो करीब सात साल का न्यूनतम स्तर है.
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि आर्थिक वृद्धि में नरमी का कारण मौजूदा सरकार का अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने के बजाए अपने राजनीतिक और सामाजिक एजेंडे को पूरा करने पर अधिक जोर देना है.
उन्होंने कहा कि भारत प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देकर सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को पटरी पर ला सकता है.
यह पूछे जाने पर कि भारत की आर्थिक वृद्धि को कौन सी चीज रोक रही है, ‘यह दु:खद कहानी है. मुझे लगता है कि यह राजनीति है.’
ब्लूमबर्ग टीवी को दिये साक्षात्कार में राजन ने कहा कि दुर्भाग्य से मौजूदा सरकार ने पिछले साल आम चुनाव में भारी जीत के बाद आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देने के बजाए अपने राजनीतिक और सामाजिक एजेंडे को पूरा करने पर अधिक जोर दिया है.
राजन ने कहा, ‘दुर्भाग्य से इस प्रवृत्ति के कारण वृद्धि की गति धीमी हुई है. इसका कारण सरकार द्वारा शुरू में उठाये गये कुछ कदम भी है जिसमें नोटबंदी और खराब तरीके से लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का सुधार शामिल हैं.’
आधिकारिक आंकड़े के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही जो करीब सात साल का न्यूनतम स्तर है. वृद्धि दर का यह आंकड़ा 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद सबसे कम है.
बातचीत में राजन ने कहा कि भारत ने वित्तीय क्षेत्र की समस्या को दूर करने के लिये पर्याप्त कदम नहीं उठाये और दुर्भाग्य से इसके कारण वृद्धि में नरमी आ रही है.’ उनके इस साक्षात्कार का प्रसारण जीडीपी आंकड़ा आने से पहले किया गया.
शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस के वित्त के प्राफेसर राजन ने कहा, ‘अगर मामलों पर सही से ध्यान दिया और उपयुक्त कदम उठाये जाएं, चीजें बदल सकती हैं.’
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि आंकड़ों से स्पष्ट है कि ‘करो-ना’ वायरस ने इस सरकार को पंगु बना दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)