इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम और नगालैंड के प्रमुख समाचार.
असम: गुआलपाड़ा में पुलिस गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत
असम के गुआलपाड़ा जिले में संदिग्ध मतदाताओं के बारे में फैली अफवाहों को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 37 को अवरूद्ध करने का प्रयास करने और पुलिसकर्मियों पर पथराव करने वाले प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी में 30 जून को एक व्यक्ति की मौत हो गयी.
पुलिस अधीक्षक अमिताभ सिन्हा ने बताया कि खारबोकम में करीब 400 लोगों के एक समूह ने एनएच 37 को अवरूद्ध करने का प्रयास किया. पुलिस ने जब उन्हें ऐसा करने से रोका तो प्रदर्शनकारियों ने उन्हीं पर पथराव करना शुरू कर दिया. इसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया.
एसपी ने यह भी बताया कि पुलिस ने सबसे पहले लाठीचार्ज किया और उसके बाद हवा में गोली चलाई, जिसमें एक व्यक्ति ज़ख़्मी हो गया.
उन्होंने बताया कि घायल याकूब अली को गुआलपाड़ा के अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. जिला उपायुक्त ने घटना की मजिस्ट्रेट स्तरीय जांच का आदेश दिया है. सिन्हा ने बताया कि अब स्थिति नियंत्रण में है.
नगालैंड छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित
केंद्र सरकार ने देश के पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड को अशांत क्षेत्र घोषित किये जाने की अवधि को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 30 जून को इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी है.
मंत्रालय में पूर्वोत्तर मामलों से जुड़े संयुक्त सचिव सत्येन्द्र गर्ग द्वारा जारी अधिसूचना में नगालैंड की सीमा के भीतर आने वाले सम्पूर्ण क्षेत्र में अशांत और खतरनाक स्थिति का हवाला देते हुये पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है.
इससे पहले 30 दिसंबर 2016 को जारी पूर्व अधिसूचना में छह महीने के लिये नगालैंड को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था. इसकी समय सीमा 30 जून को खत्म हो रही थी.
इससे पहले 30 जून 2015 को सरकार ने एक साल के लिए नगालैंड को अशांत क्षेत्र घोषित किया था. जबकि जुलाई 2016 से छह छह महीने के लिये यह अवधि बढ़ाई जा रही है.
नई अधिसूचना के मुताबिक केंद्र सरकार का यह मत है कि सम्पूर्ण नगालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और खतरनाक स्थिति में है जिससे वहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिये सशस्त्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक है.
इसके मद्देनजर मंत्रालय ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम 1958 के तहत सम्पूर्ण नगालैंड राज्य को 30 जून से अगले छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया.
त्रिपुरा: रोज वैली चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने मंत्री से की पूछताछ
सीबीआई अधिकारियों ने रोज वैली चिटफंड घोटाले के सिलसिले में 29 जून को त्रिपुरा की समाज कल्याण मंत्री विजिता नाथ से सिविल सचिवालय में पूछताछ की.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसके त्रिपाठी और एक इंस्पेक्टर ने मंत्री के आधिकारिक कक्ष में उनसे करीब एक घंटे तक पूछताछ की. अधिकारियों ने पूछताछ के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार किया है वहीं मंत्री ने भी इस बाबत कोई टिप्पणी नहीं की.
सीबीआई नोटिस में कहा गया था, ‘ऐसा लगता है कि रोज वैली लिमिटेड के अध्यक्ष के ख़िलाफ़ दर्ज केस की परिस्थितियों से आप परिचित हैं और आपको 29 जून को खुद को उपलब्ध कराने की जरूरत है.
ऐसा पहली बार हुआ है कि सीबीआई ने त्रिपुरा के किसी मंत्री को नोटिस जारी किया है. मीडिया में आई ख़बरों की मानें तो विजिता नाथ रोज वैली चिटफंड घोटाले में कथित तौर पर शामिल रही हैं.
विजिता ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है. वहीं विपक्षी पार्टियों ने मुख्यमंत्री माणिक सरकार के इस्तीफे की मांग की.
असम के आठ जिलों में एक लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित
असम के आठ जिलों के एक लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जहां 13 अंचलों के 188 गांव इन दिनों बाढ़ की चपेट में हैं. राज्य की चार बड़ी नदियां खतरे की निशान से ऊपर बह रही हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक लखीमपुर, जोरहाट, करीमगंज, कार्बी आंगलोंग, काछार, गोलाघाट, शिवसागर और सोनितपुर जिले बाढ़ से प्रभावित हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ की वजह से करीब 1,126 हेक्टेयर कृषि भूमि पूरी तरह से जलमग्न है. सोनितपुर व जोरहाट ज़िले इसमें बुरी तरह से प्रभावित हैं.
गोलाघाट जिले में धनसिरी नदी, सोनितपुर में जिया भरली, काछार और करीमगंज में बराक नदी और करीमगंज जिले में कुशियारा नदी ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
रिपोर्ट के अनुसार इन जिलों में तकरीबन 4,400 लोग विस्थापित हुए हैं. उन लोगों ने जिला प्रशासन द्वारा स्थापित किए गए छह राहत शिविरों में शरण ली हुई है.
नगालैंड: लिजित्सू ने बेटे को सलाहकार नियुक्त किया, दिया कैबिनेट का दर्जा
नगालैंड के मुख्यमंत्री शुरहोज़ेले लिजित्सू ने अपने बेटे ख्रेइहू लिजित्सू को मंत्रिमंडल के दर्जे के साथ सरकार का सलाहकार नियुक्त किया है. ख्रेइहू उत्तरी अंगामी से विधायक हैं, जिन्होंने बीती मई में अपनी सीट छोड़ी थी ताकि उस सीट से उनके पिता विधायक बन सकें. सलाहकार के दर्जे के साथ उनसे मल्टी टास्क फोर्स के संसदीय सचिव पद पर बने रहने के लिए भी कहा गया है, जिस पर वे विधानसभा से इस्तीफा देने से पहले थे.
28 जून को जारी एक सरकारी आदेश के अनुसार मुख्यमंत्री के बेटे को एक कैबिनेट मंत्री के समान वेतन और भत्ते के अधिकार होंगे. ज्ञात हो कि राज्य में कैबिनेट मंत्री को 55,000 रुपये हर महीने के अलावा इतनी ही राशि की सुविधाएं दी जाती हैं.
मुख्यमंत्री के इस फैसले पर राजनीतिक विपक्षियों और जनता की आलोचना शुरू हो गई है. फैसले की आलोचना करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बयान जारी करते हुए कहा है, ‘पिता-पुत्र मिलकर राज्य में परिवारवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. नगालैंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी को पिता-पुत्र की जोड़ी के नगा पीपुल फ्रंट को पारिवारिक जागीर की तरह चलाने से कोई परेशानी नहीं है, पर सरकार के मुद्दों को पिता-पुत्र के हितों के अनुरूप मोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती.’
ज्ञात हो कि 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री और एनपीएफ नेता नेफ्यू रियो को अपना पद प्रतिद्वंद्वी टीआर जेलियांग के लिए छोड़ना पड़ा था पर पिछले साल फरवरी में स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं को 33% आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगाने के सरकार के फैसले के बाद जेलियांग को भी मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और एनपीएफ अध्यक्ष शुरहोज़ेले लिजित्सू मुख्यमंत्री बने थे.