पतंजलि आयुर्वेद की कोरोना किट को लेकर चंडीगढ़ की एक अदालत में मिलावटी दावा बेचने और धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करवाया गया है. वहीं राजस्थान सरकार ने इस दवा के ‘क्लीनिकल ट्रायल’ को लेकर निम्स अस्पताल से स्पष्टीकरण मांगा है.
कोरोना वायरस के शत-प्रतिशत इलाज का दावा करने वाली पतंजलि कोरोना किट लॉन्च करने के बाद योग गुरु रामदेव और यह दवाई सवालों के घेरे में है.
अब चंडीगढ़ जिला अदालत में रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, चंडीगढ़ की नेशनल कंज्यूमर वेलफेयर काउंसिल महासचिव बिक्रमजीत सिंह ने आईपीसी की धारा 275 (मिलावटी दवाई बेचना) 276 (गलत जानकारी देकर दवा बेचना) 468 (धोखाधड़ी के इरादे से फर्जीवाड़ा) और 307 (हत्या का प्रयास) के अलावा ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 4 के तहत शिकायत दर्ज करवाई है.
चंडीगढ़ की अदालत में सोमवार को इस मामले की सुनवाई होगी. अपनी शिकायत में सिंह ने कहा है कि ऐसे मेडिकल उत्पाद जैसे गोलियां, कैप्सूल जिसे किसी बीमारी के इलाज के बतौर मानव उपभोग के लिए इस्तेमाल किया जाना हो, को बिना सरकार द्वारा अधिकृत इकाई की इजाज़त के बिना प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए.
साथ ही यह इजाज़त मेडिकल काउंसिल और प्राधिकरणों द्वारा दावा की गुणवत्ता और प्रमाणिकता जांचने के बाद दी जानी चाहिए.
इससे पहले शुक्रवार को जयपुर के ज्योतिनगर थाने में आईपीसी की धारा 420 सहित विभिन्न धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई है.
इसमें भ्रामक प्रचार के आरोप में रामदेव और बालकृष्ण के अलावा वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, निम्स के अध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह तोमर और निदेशक डॉ. अनुराग तोमर को आरोपी बनाया गया है.
वहीं, दूसरी ओर राजस्थान के चिकित्सा विभाग ने पंतजलि आयुर्वेद द्वारा बनाई गई दवा के ‘क्लीनिकल ट्रायल’ करने को लेकर निम्स अस्पताल को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है.
जयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरोत्तम शर्मा ने बताया कि हमने बुधवार को अस्पताल को नोटिस जारी कर तीन दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा है.
अस्पताल ने कथित ‘क्लीनिक्ल ट्रायल’ के बारे में राज्य सरकार को कोई सूचना नहीं दी और न ही इस बारे में सरकार से कोई अनुमति ली गई.
उन्होंने बताया कि अस्पताल के जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है. राज्य सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि आयुष मंत्रालय की बिना स्वीकृति के किसी दवा का उपयोग नहीं किया जा सकता है.
इससे पहले शुक्रवार को निम्स के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर ने सफाई देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी के अस्पताल में कोरोना की किसी दवा का ट्रायल नहीं हुआ है.
दवा लॉन्च करते समय डॉ. तोमर मंच पर रामदेव ओर आचार्य बालकृष्ण के साथ मौजूद थे. दैनिक जागरण के अनुसार, उन्होंने कहा कि अस्पताल में कोरोनिल दवा का ट्रायल नहीं हुआ, केवल इम्युनिटी बढ़ाने के काम आने वाले उत्पाद मरीजों का दिए गए थे.
उन्होंने यह भी बताया कि कहा कि निम्स में भर्ती कोरोना के बिना लक्षण वाले 100 मरीजों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत पतंजलि की स्पांसरशिप से अश्वगंधा, गिलोय व तुलसी का का काढ़ा दिया गया था. इनमें अति गंभीर रोगी एक भी नहीं था.
उनका कहना है कि इस बारे में राज्य के चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को जानकारी दी गई थी. साथ ही, पतंजलि को पत्र भी लिखा गया कि जिसमें कहा गया है कि रिसर्च का उपयोग किसी व्यावसायिक काम के लिए नहीं होना चाहिए, यह केवल पायलट प्रोजेक्ट है.
इससे पहले बुधवार को राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कोरोना वायरस के उपचार के लिए बनाई गई आयुर्वेदिक दवा बेचने पर दवा विक्रताओं को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी.
योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने मंगलवार को ‘कोरोनिल’ नामक दवा बाजार में उतारकर दावा किया था कि यह दवा कोरोना संक्रमण के उपचार में काम आ सकती है, हालांकि इसके फौरन बाद ही इसकी प्रमाणिकता पर सवाल उठने लगे थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)