ईरान में 2017 में सरकार विरोधी रैलियों के लिए प्रेरित करने वाले पत्रकार को मौत की सज़ा

पत्रकार रूहुल्ला ज़म टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर ‘आमदन्यूज़’ नाम का चैनल संचालित किया करते थे, जिस पर ईरानी अधिकारियों के बारे में ऐसी जानकारी और वीडियो पोस्ट किए जाते थे, जो शर्मसार करने वाले होते थे.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

पत्रकार रूहुल्ला ज़म टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर ‘आमदन्यूज़’ नाम का चैनल संचालित किया करते थे, जिस पर ईरानी अधिकारियों के बारे में ऐसी जानकारी और वीडियो पोस्ट किए जाते थे, जो शर्मसार करने वाले होते थे.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

तेहरान: ईरान में अपने ऑनलाइन कार्यों से 2017 में आर्थिक मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए लोगों को प्रेरित करने वाले निर्वासन से तेहरान लौटे एक पत्रकार को मौत की सजा सुनाई गई है.

न्यायपालिका के प्रवक्ता गुलाम हुसैन इस्माइली ने पत्रकार रूहुल्ला ज़म को मौत की सजा सुनाए जाने की मंगलवार को यह घोषणा की.

इस्माइली ने बताया कि अदालत ने पत्रकार के खिलाफ एक साथ 13 आरोपों को ‘करप्शन ऑन अर्थ’ का उदाहरण मानते हुए मौत की सजा सुनाई है.

‘करप्शन ऑन अर्थ’ का आरोप का इस्तेमाल कथित तौर पर जासूसी और ईरान सरकार के उखाड़ फेंकने के प्रयासों को लेकर किया जाता है.

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें सजा कब दी जाएगी.

रूहुल्ला टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर ‘आमदन्यूज’ नाम का चैनल संचालित किया करते थे, जिस पर ईरानी अधिकारियों के बारे में ऐसी जानकारी और वीडियो पोस्ट किए जाते थे, जो शर्मसार करने वाले होते थे.

ज़म पेरिस में रह रहे थे और वहीं काम कर रहे थे. उन्हें ईरान लौटने के लिए मनाया गया, जिसके बाद उन्हें अक्टूबर 2019 में गिरफ्तार कर लिया गया.

तेहरान से अल जज़ीरा के पत्रकार असद बेग ने बताया, ऐसी खबरें हैं कि उन्हें इराक तक कोई प्रलोभन देकर बुलाया गया था और फिर ईरान को सौंप दिया गया था.

ज़म पर साल 2017-2018 की सर्दियों के दौरान ईरान में आर्थिक कठिनाइयों के दौर में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप अधिकारियों ने लगाया था.

अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में खाने की कीमतों में उछाल के बाद प्रदर्शन शुरू हुए थे.

कई लोगों का मानना है कि ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी के कट्टर विरोधियों ने पूर्वी शहर मशहद में पहले प्रदर्शनों को उकसाया, ताकि राष्ट्रपति के खिलाफ सीधे जनता का गुस्सा भड़क उठे. हालांकि जैसे जैसे प्रदर्शन एक शहर से दूसरे शहर फैलता गया, यह ईरान के पूरे शासक वर्ग के खिलाफ हो गया.

साल 2017 में हुए इन प्रदर्शनों के संबंध में पांच हजार लोगों को हिरासत में लिया गया था और तकरीबन 25 लोगों की मौत हो गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)