नगालैंड: क़ानून व्यवस्था के मुद्दे पर राज्यपाल और राज्य सरकार आमने-सामने क्यों हैं?

पिछले महीने नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि ने मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य में क़ानून व्यवस्था एकदम बिगड़ चुकी है और इसमें उन्हें हस्तक्षेप करना पड़ेगा. इस संबंध में राज्य सरकार ने एक विस्तृत बयान जारी कर कहा है कि नगालैंड में स्थिति सामान्य और शांतिपूर्ण बनी हुई है.

नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो. (फोटो साभार: ​ट्विटर/विकिपीडिया)

पिछले महीने नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि ने मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य में क़ानून व्यवस्था एकदम बिगड़ चुकी है और इसमें उन्हें हस्तक्षेप करना पड़ेगा. इस संबंध में राज्य सरकार ने एक विस्तृत बयान जारी कर कहा है कि नगालैंड में स्थिति सामान्य और शांतिपूर्ण बनी हुई है.

नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो. (फोटो साभार: ट्विटर/विकिपीडिया)
नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो. (फोटो साभार: ट्विटर/विकिपीडिया)

नई दिल्ली: नगालैंड में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर राज्यपाल आरएन रवि द्वारा उठाए गए सवाल के करीब दो हफ्तों बाद राज्य सरकार ने एक विस्तृत जवाब जारी किया है. नगालैंड सरकार ने कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के संबंध में राज्यपाल द्वारा उठाए गए सवालों को खारिज किया है.

इसके अलावा नगालैंड सरकार ने राज्यपाल आरएन रवि के उस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून एवं व्यवस्था के कार्य में लगे अधिकारियों की ट्रांसफर पर पोस्टिंग पर राज्यपाल की सहमति ली जानी चाहिए.

राज्य सरकार ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा है कि 17 दिसंबर 2013 को नगालैंड विधानसभा ने एक प्रस्ताव स्वीकार किया था, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग करते समय राज्यपाल की सहमति लेने के प्रावधान को हटा दिया गया है.

हाल ही में राज्यपाल आरएन रवि ने मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को एक पत्र लिखकर कहा था कि राज्य की स्थिति ठीक नहीं है और कानून एवं व्यवस्था एकदम बिगड़ चुकी है.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) की सरकार, जिसमें नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) और भाजपा का समर्थन प्राप्त है, ने कहा कि राज्यपाल की अगस्त 2019 से कानून व्यवस्था बिगड़ने की बात तथ्यात्मक प्रतीत नहीं होती है.

बीते 16 जून को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल ने कहा था कि संवैधानिक रूप से स्थापित राज्य सरकार को हर दिन भारत की एकता एवं अखंडता पर सवाल खड़े करने वाले हथियारबंद गिरोहों द्वारा चुनौती दी जा रही है और कानून व्यवस्था एकदम निष्प्रभावी बनी हुई है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति में मैं अब भारत के संविधान के अनुच्छेद 371ए (1)(बी) के तहत राज्य में कानून व्यवस्था के लिए अपने संवैधानिक दायित्वों से पीछे नहीं हट सकता.’

इसे लेकर राज्य सरकार ने कहा कि अनुच्छेद 371ए(1)(बी) के तहत अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के संबंध में राज्यपाल की मंजूरी लेने की प्रक्रिया नगालैंड विधानसभा द्वारा 17 दिसंबर 2013 को स्वीकार किए गए एक प्रस्ताव के तहत खत्म कर दी गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि नगालैंड राज्य का जन्म एक राजनीतिक समझौते के तहत हुआ था. हालांकि पिछले 57 सालों में राजनीतिक समस्यों का अभी भी हल नहीं निकला है. इस मुद्दे को एक राजनीतिक मुद्दे के रूप में स्वीकार किया गया है और भारत सरकार साल 1997 से नगा राजनीतिक समूहों (एनपीजी) के साथ बातचीत कर रही है.

राज्य सरकार ने अपने बयान में आगे कहा कि राज्यपाल पहले बातचीत के लिए वार्ताकार बनाए गए थे और बाद में उन्हें एक अगस्त 2019 को यहां का राज्यपाल बनाया गया. राज्य सरकार प्रसन्न है कि तीन अगस्त 2015 के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने और 31 अक्टूबर 2019 को वार्ता के समापन के साथ, एक राजनीतिक समाधान नजर आ रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि बयान में नेफ्यू रियो सरकार का कहना है, ‘सरकार को लगता है कि संगठनों (नगा) को हथियारबंद गिरोह कहना शांति प्रक्रिया के हित में नहीं हो सकता है और भारत सरकार और राज्य सरकार की क्षेत्र में स्थायी शांति की इच्छा के अनुकूल भी नहीं कहा सकता है.’

कहा गया है कि राज्य सरकार का विचार है कि 2015 के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने और 31 अक्टूबर 2019 को शांति वार्ता के समापन के साथ राजनीतिक संगठनों के निर्वाह के मुद्दे पर चर्चा कर उनका समाधान किया जाना चाहिए था.

राज्य सरकार की ओर से कहा गया है, ‘राज्य में समग्र कानून और व्यवस्था की स्थिति सामान्य और शांतिपूर्ण बनी हुई है. वास्तव में जबरन वसूली से संबंधित मामलों में से 95 प्रतिशत से अधिक मामलों में पुलिस द्वारा स्वत: मुकदमा दर्ज किया गया है और पर्याप्त सुपरवाइजर अधिकारी भी प्रदान किए जाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कार्रवाई तेजी से हो रही है. एसआईटी के अलावा, राजमार्गों और निर्माण को सुरक्षित करने के लिए नागालैंड पुलिस ने जनवरी, 2020 में राजमार्ग सुरक्षा बल का गठन किया है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की ओर से कहा गया है कि नगा नेताओं की हत्या की कोशिशों और संघर्ष के बीच चुनाव कराने की चुनौतियों के बाद भी राज्य में संविधान को हमेशा बरकरार रखा गया है. राष्ट्रीय चुनावों में नगालैंड का मतदान प्रतिशत हमेशा राष्ट्रीय औसत से अधिक रहा है.

राज्य सरकार के अनुसार, ‘नगालैंड पुलिस ने असम राइफल्स और अन्य सुरक्षा बलों के साथ विभिन्न गुटों के खिलाफ कुल 893 आपराधिक मामले दर्ज किए हैं और पिछले पांच वर्षों में कुल 1,238 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.’

राज्य सरकार के बयान में कहा गया है कि पिछले पांच सालों में जबरन वसूली के कुल 713 मामले दर्ज किए गए और जबरन वसूली करने वाले 1007 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

नेफ्यू रियो सरकार की ओर से जारी बयान में गिरफ्तारियों, छापों और यहां तक कि राज्यपाल द्वारा वन भूमि हड़पने के आरोपों के जवाब में भी विवरण दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि इन अतिक्रमणों को गंभीरता से लिया गया है और व्यापक निष्कासन अभियान चलाए गए हैं.