बीते दो जुलाई को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर बदमाशों ने हमला कर दिया था, जिसमें डिप्टी एसपी, एक थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिसकमियों की मौत हो गई थी.
लखनऊः उत्तर प्रदेश पुलिस हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी के बीच कथित संबंधों को लेकर डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार मिश्रा द्वारा लिखे गए एक कथित पत्र की जांच कर रही है.
डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार मिश्रा उन आठ पुलिसकर्मियों में से एक हैं, जिनकी दो जुलाई को कानपुर के बिकरु गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उनके गुर्गों के साथ हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी.
कानपुर में चौबेपुर पुलिस थाने के स्टेशन ऑफिसर विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया है. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है कि क्या तिवारी ने ही दुबे के घर पर होने वाली पुलिस छापेमारी की सूचना दी थी
वहीं, सोमवार को चौबेपुर पुलिस थाने के तीन और पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि पुलिस ने मुठभेड़ के संबंध में हिस्ट्रीशीटर दुबे के तीन कथित सहयोगियों को गिरफ्तार किया है?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बिल्हौर के डिप्टी एसपी मिश्रा द्वारा कथित तौर पर लिखा गया यह पत्र सोमवार से ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
इस पर मिश्रा के दस्तख्त हैं और उन्होंने यह पत्र जिला पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अनंत देव को लिखा गया है, जिसमें सस्पेंड किए गए चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी के विकास दुबे के साथ करीबी संबंधों के बारे में बताते हुए कहा गया है कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
इस पत्र में उगाही के लिए हिस्ट्रीशीटर दुबे के खिलाफ 13 मार्च को दर्ज एफआईआर का भी उल्लेख करते हुए कहा गया है कि एसओ तिवारी ने दुबे पर लगाई गई उगाही और धमकियों की धारा हटा दी और इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की.
इस एफआईआर में छह लोग नामजद हैं, जिनमें से चार दो जुलाई को हुई मुठभेड़ में भी आरोपी हैं.
कानपुर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल मोहित अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने इस पत्र पर संज्ञान लिया था. उन्होंने कहा, ‘हमने मौजूदा एसएसपी से रिपोर्ट जमा करने कहा है. हम देखेंगे कि यह पत्र कब भेजा गया और इस पर क्या संज्ञान लिया गया.’
मौजूदा एसएसपी दिनेश कुमार पी. ने सोमवार देर रात जारी वीडियो बयान में कहा कि उन्हें कई कार्यालयों की जांच के बाद इस तरह के पत्र का कोई साक्ष्य नहीं मिला. शुरुआती जांच में पता चला है कि डिस्पैच और रिसिविंग रजिस्टर की जांच करने के बाद भी हमें इस पत्र का कोई उल्लेख नहीं मिला.
उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी कोई फाइल नहीं मिली, जिससे यह संकेत मिले कि एफआईआर दर्ज होने के बाद एसओ तिवारी के खिलाफ कोई शिकायत आई थी.
एसएसपी ने कहा, ‘हम अभी भी इसकी जांच कर रहे हैं और हम इस पत्र की सत्यता को लेकर पुष्टि करेंगे.’
रिपोर्ट के अनुसार इंडियन एक्सप्रेस के पास 13 मार्च को दर्ज एफआईआर की कॉपी है, जिसका पत्र में उल्लेख किया गया है.
यह एफआईआर बिकरु गांव की रहने वाली रोली शुक्ला ने दर्ज कराई थी, जिसमें विकास दुबे सहित छह लोगों पर रोली शुक्ला के घर में हथियारों के साथ जबरन घुसने, उन्हें पीटने और दो लाख रुपये नहीं देने पर उसके परिवार को जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया गया है.
दुबे के अलावा महिला ने तीन और नाम बताए हैं, जिसमें शिवम दुबे, अमर दुबे और गोपाल सैनी हैं, जिनका नाम दो जुलाई को हुई घटना के मामले में पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में है.
पत्र में कहा गया, ‘हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उनके सहयोगियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 386, 147, 147, 323, 504 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई. मैंने चौबेपुर पुलिस थाने के थानाध्यक्ष विनय तिवारी को इस तरह के अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए क्योंकि आम लोगों में दुबे के खिलाफ शिकायत करने का साहस नहीं है. मैंने आपको भी इस घटना की सूचना दी थी, अभी तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.’
पत्र में कहा गया, ‘अगले दिन मैंने जनरल डायरी चेक की और पता चला कि जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर अजहर इरशाद ने आईपीसी की धारा 386 हटा दी है और इस मामले को पुरानी रंजिश के तौर पर बताया है. डायरी से यह भी पता चला कि वरिष्ठ अधिकारियों को इसके बारे में बताया गया था. जब मैंने जांच अधिकारी से पूछा तो उसने कहा कि उसने थाना प्रभारी के निर्देश पर धारा हटाई है और बदलाव किए हैं.’
कानपुर के पूर्व एसएसपी देव जिन्हें यह पत्र लिखा गया था. उन्होंने रविवार को स्वीकार किया कि डिप्टी एसपी मिश्रा ने तिवारी के संबंध में उनसे शिकायत की थी लेकिन उन्होंने कहा कि जूनियर और सीनियर अधिकारियों के बीच इस तरह के मतभेद आम हैं और जो कुछ हुआ है, इसका उससे सीधा कोई संबंध नहीं है.
बता दें कि चौबेपुर पुलिस थाने के तीन पुलिसकर्मियों सब इंस्पेक्टर कुंवर पाल सिंह, कृष्णा कुमार वर्मा और कॉन्स्टेबल राजीव को सोमवार को सस्पेंड कर दिया गया था.
एसएसपी दिनेश कुमार ने कहा, ‘जांच रिपोर्ट के आधार पर इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’
वहीं, जिन तीन लोगों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया, उनमें से दो विकास दुबे के पड़ोसी सुरेश वर्मा और क्षमा दुबे हैं जबकि एक विकास दुबे की घरेलू सहायिका रेखा अग्निहोत्री है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने विकास दुबे पर ढाई लाख रुपये का ईनाम रखा है. वह फिलहाल फरार है.