राजस्थान: 35 साल बाद राजा मानसिंह मुठभेड़ मामले में 11 पूर्व पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा

साल 1985 में राजस्थान के डीग में तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक सहित डेढ़ दर्जन पुलिसकर्मियों पर वहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजा मानसिंह को द्वारा घेरकर उनपर गोलियां बरसाने का आरोप लगा था. घटना में मानसिंह के साथ उनके दो अन्य साथियों की भी मौत हो गई थी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पीटीआई)

साल 1985 में राजस्थान के डीग में तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक सहित डेढ़ दर्जन पुलिसकर्मियों पर वहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजा मानसिंह को द्वारा घेरकर उनपर गोलियां बरसाने का आरोप लगा था. घटना में मानसिंह के साथ उनके दो अन्य साथियों की भी मौत हो गई थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पीटीआई)

मथुरा: राजस्थान के भरतपुर के राजा मान सिंह और उनके दो सहयोगियों के एक मुठभेड़ में मारे जाने के 35 साद बाद मथुरा की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक सहित दोषी 11 पूर्व पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, विशेष सीबीआई अदालत ने अभियोजन पक्ष के 61 और बचाव पक्ष के 17 गवाहों के बयान दर्ज किए.

इससे पहले मंगलवार को सुनवाई करते हुए विशेष सीबीआई अदालत ने आरोपी पुलिसकर्मियों में से तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक सहित 11 को दोषी करार दिया था जबकि तीन को बरी कर दिया था.

दोषी पाए गए सभी पुलिसकर्मियों को जमानत रद्द कर जेल भेज दिया गया था.

साल 1985 में इस कथित मुठभेड़ से एक दिन पहले भरतपुर के राजा मान सिंह ने कथित तौर पर अपनी जीप तत्कालीन मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शिव चरण माथुर के हेलीकाप्टर में भिड़ा दी थी.

मान सिंह कथित तौर पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा उनके पोस्टर फाड़े जाने को लेकर नाराज़ थे.

माथुर भरतपुर में रिटायर्ड नौकरशाह विजेंद्र सिंह के चुनावी अभियान में हिस्सा लेने आये  थे, जिन्हें कांग्रेस ने मान सिंह, जो डीग से सात बार निर्दलीय विधायक रह चुके थे, के खिलाफ टिकट दिया था.

इस बारे में डीग थाने में मान सिंह के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. अगले दिन जब मान सिंह अपने साथियों के साथ डीग में एक चुनावी रैली करने जा रहे थे, तब कर्फ्यू के आदेश के तहत रास्ता रोक रहे पुलिसकर्मियों ने उन्हें गोली मार दी थी.

जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध) शिवराम सिंह तरकर ने बताया, ‘35 वर्ष पूर्व भरतपुर में विधानसभा चुनाव के दौरान 21 फरवरी 1985 को एक घटना में डीग से स्वतंत्र चुनाव लड़ रहे राजा मानसिंह को उनके द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की चुनावी सभा के लिए तैयार किए गए मंच को अपनी जोंगा जीप से टक्कर मारकर तोड़ दिए जाने के कथित आरोप में तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक कानसिंह भाटी सहित डेढ़ दर्जन पुलिसकर्मियों ने घेरकर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी थीं.’

तरकर ने बताया कि इस घटना में राजा मानसिंह एवं उनके दो अन्य साथी सुमेर सिंह और हरि सिंह की मौत हो गई थी. घटना के बाद तीनों के शव जोंगा जीप में पड़े मिले थे.

राजा मानसिंह के साथ उस समय मौजूद उनके दामाद एवं उनकी पुत्री दीपा कौर के पति विजय सिंह सिरोही ने जैसे-तैसे अपनी जान बचाई थी.

उन्होंने अगले दिन इस मामले में डीएसपी कानसिंह भाटी सहित थानाध्यक्ष, निरीक्षक व उप निरीक्षक सहित 18 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था.

इसी दिन पुलिस ने भी राजा मानसिंह के विरुद्ध डीग थाने में पुलिस पर हमला एवं गोलीबारी करने का मामला दर्ज कराया था जबकि पुलिस एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री के लिए सजाया गया मंच तोड़ने का एक मुकदमा पहले ही दर्ज कर चुकी थी.

डीग की विधायक रहीं राजा मानसिंह की पुत्री कृष्णेंद्र दीपा कौर ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर इस मामले की जांच भरतपुर पुलिस द्वारा की गई तथा बाद में उनकी मांग पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गई.

सीबीआई ने जांच के पश्चात जयपुर स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में चार्जशीट पेश की. पर मुकदमे की सुनवाई भली प्रकार से न होते देख उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में फरियाद की जिससे यह मामला वर्ष 1990 में मथुरा के जिला न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया.

डीजीसी (क्राइम) ने बताया, ‘जिला एवं सत्र न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर ने मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद मंगलवार को 14 में से पुलिस उपाधीक्षक कानसिंह भाटी सहित 11 आरोपियों को दोषी करार दिया तथा तीन को बरी कर दिया. इन सभी के खिलाफ भादवि की धारा 147, 148, 149, 302 व 323 आदि के तहत कार्यवाही की गई थी.

चार्जशीट में आरोपी बनाए गए 18 पुलिसकर्मियों में से डीएसपी कानसिंह भाटी के चालक कांस्टेबल महेंद्र सिंह को पूर्व में ही बरी किया जा चुका था तथा तीन अन्य आरोपी सिपाही नेकीराम , सीताराम व कुलदीप सिंह की मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो चुकी है.

उन्होंने बताया, ‘अदालत ने न्यायालय में उपस्थित तत्कालीन डीएसपी कानसिंह भाटी, थानाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह, राजस्थान सशस्त्र बल के हेड कांस्टेबल जीवन राम, हेड कांस्टेबल भंवर सिंह , सिपाही हरि सिंह , शेर सिंह, छतर सिंह , पदमा राम, जगमोहन व डीग थाने के दूसरे अफसर इंस्पेक्टर रविशेखर मिश्रा आदि को दोषी करार देते हुए उनकी जमानत निरस्त कर जेल भेजने के आदेश कर दिए.’

तरकर ने बताया, ‘इनके अलावा अदालत ने जेल में बंद भरतपुर पुलिस के सिपाही सुखराम को भी दोषी माना है. जबकि भरतपुर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात अपराध सहायक निरीक्षक कानसिंह सीरवी, हेड कांस्टेबल हरिकिशन व सिपाही गोविंद प्रसाद को निर्दोष करार दिया है.’

सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर व उसके आसपास पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही. चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. किसी भी आम आदमी को कोर्ट परिसर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई.

सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी एवं बचाव पक्ष की ओर से नन्दकिशोर उपमन्यु ने सुनवाई में भाग लिया. राजा मानसिंह की पुत्री कृष्णेंद्र दीपा कौर एवं उनके पुत्र आदि भी उपस्थित थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)