प्रवासी श्रमिक: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों के अनुपालन पर राज्यों से तीन सप्ताह में जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी श्रमिकों को 15 दिन के भीतर उनके घर पहुंचाने, उन पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के मामले वापस लेने और रोज़गार की व्यवस्था करने का आदेश दिया था.

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New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी श्रमिकों को 15 दिन के भीतर उनके घर पहुंचाने, उन पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के मामले वापस लेने और रोज़गार की व्यवस्था करने का आदेश दिया था.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन के दौरान अपने घर पहुंचने वाले कामगारों का रिकॉर्ड और इसे रखने के तरीके का विवरण तीन सप्ताह के भीतर पेश करें.

शीर्ष अदालत ने कहा कि रास्ते में फंसे हुए सभी कामगारों को 15 दिन के भीतर ट्रेन या दूसरे साधनों से पहुंचाने के बारे में उसके नौ जून के आदेश के बावजूद अब भी महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में कामगार फंसे हुए हैं.

न्यायालय ने कहा कि एक भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने शीर्ष अदालत के पिछले महीने आदेश के अनुपालन में हलफनामे पर विवरण पेश नहीं किया है.

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘राज्यों को कामगारों के अपने पैतृक स्थानों पर पहुंचने के बारे में रखे गए रिकॉर्ड और उनके कौशल तथा रोजगार से संबंधित अन्य विवरण पेश करना है. राज्य और केंद्र शासित प्रदेश तीन सप्ताह के भीतर इस विवरण के साथ हलफनामे दाखिल करें.’

पीठ ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नौ जून के आदेश पर अनुपालन के बारे में पूर्ण विवरण भी देना चाहिए.

शीर्ष अदालत ने नौ जून के आदेश में कामगारों के बारे में अनेक निर्देश दिए थे. न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा था कि अपने घर जाने के इच्छुक श्रमिकों की पहचान कर 15 दिन के भीतर उन्हें ट्रेन और यातायात के दूसरे साधनों से उनके पैतृक स्थान पहुंचाया जाए.

शीर्ष अदालत ने इन कामगारों की दयनीय स्थिति और समस्याओं का संज्ञान लेते हुए पिछले महीने प्राधिकारियों से कहा था कि सामाजिक दूरी के मानदंडों का उल्लंघन करने वाले कामगारों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले वापस लेने पर विचार किया जाए.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन कामगारों के कौशल का आकलन करने के बाद उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इनके आंकड़ों का संग्रह करें.

न्यायालय ने शुक्रवार को अपने 12 पेज के आदेश में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे का जिक्र किया और कहा कि इससे संकेत मिलता है कि राज्य में अभी भी कुछ कामगार अपने पैतृक स्थान लौटने के इंतजार में है.

न्यायालय ने कहा कि हमारा मानना है कि महाराष्ट्र सरकार को उन कामगारों को वापस भेजने के लिए जल्द से जल्द उचित कदम उठाने चाहिए जो अभी भी अपने पैतृक स्थान लौटना चाहते हैं.

न्यायालय ने इस मामले को अब चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है.

इसी बीच, पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना के मसले पर पहले से लंबित एक अन्य याचिका के साथ विचार किया जाएगा, जिसमें सुनवाई पूरी हो चुकी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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