दिल्ली पुलिस के पास ताहिर हुसैन को दंगों से जोड़ने का कोई सबूत नहीं: वकील

बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में शामिल होने की बात स्वीकार ली है. हुसैन के वकील जावेद अली का कहना है कि उनके मुवक्किल ने कभी इस तरह का कोई बयान नहीं दिया. पुलिस के पास अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं.

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ताहिर हुसैन. (फोटो: द वायर/वीडियोग्रैब)

बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में शामिल होने की बात स्वीकार ली है. हुसैन के वकील जावेद अली का कहना है कि उनके मुवक्किल ने कभी इस तरह का कोई बयान नहीं दिया. पुलिस के पास अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं.

ताहिर हुसैन. (फोटो: द वायर/वीडियोग्रैब)
ताहिर हुसैन. (फोटो: द वायर/वीडियोग्रैब)

नई दिल्लीः बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने अपनी इंटेरोगेशन रिपोर्ट में दावा किया कि आम आदमी पार्टी (आप) से निष्काषित स्थानीय पार्षद ताहिर हुसैन ने दिल्ली दंगों में अपनी भूमिका स्वीकार ली है.

हालांकि उनके वकील जावेद अली का कहना है कि उनके मुवक्किल खुद दिल्ली दंगों के पीड़ित हैं और दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट के साथ हुसैन का जो कुबूलनामा संलग्न किया है, वह स्वीकार्य नहीं है.

जावेद अली ने दिल्ली पुलिस के पास मौजूद ताहिर हुसैन के इस कथित कुबूलनामे के बारे में द वायर  से बातचीत की.

इस कुबूलनामे के संदर्भ में अली ने कहा, ‘इस तरह के इकबालिया बयान संबंधित व्यक्ति के हस्ताक्षर लेने से पहले पुलिस द्वारा लिखे और टाइप किए जाते हैं. इनकी कोई कानूनी वैधता नहीं है.’

उन्होंने कहा कि कानून की नजर में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने लिया गया इकबालिया बयान ही स्वीकार्य है.

वह कहते हैं, ‘ताहिर हुसैन ने कभी इस तरह का कोई बयान नहीं दिया.’ उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस के पास अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं.

‘हुसैन ने हमेशा कहा है कि वह खुद दिल्ली हिंसा का पीड़ित है’

नेहरू विहार से आम आदमी पार्टी के पार्षद रह चुके ताहिर हुसैन पर दिल्ली दंगों के दौरान आईबी के कर्मचारी अंकित शर्मा के अपहरण और हत्या का मामला भी दर्ज है.

पुलिस ने उन पर दंगा भड़काने और आगजनी का मामला भी दर्ज किया है क्योंकि दावा है कि खजूरी खास में उनके घर की छत से पत्थर और पेट्रोल बम फेंके गए थे.

हुसैन ने खुद को बार-बार निर्दोष बताते हुए कहा था कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि उनके घर से किसने आसपास के इलाकों में हमले किए. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मामले में फंसाने में भाजपा नेता कपिल मिश्रा का हाथ है.

हालांकि पुलिस हुसैन के इनकार के बाद भी उस पर लगाए गए आरोपों पर कायम है.

जावेद अली ने कहते हैं कि हुसैन द्वारा बताए गए सिलसिलेवार घटनाक्रमों की शुरुआत से यह स्पष्ट था कि जब उनके घर का इस्तेमाल शरारती तत्वों ने हमले के लिए किया, वह घर पर नहीं थे.

ताहिर को आईबी अधिकारी की हत्या, दंगा मामले में गिरफ्तार किया गया

वास्तव में द वायर ने हुसैन का पक्ष भी सबके सामने रखा था, जिसमें उन्होंने बताया था कि वह किस तरह बार-बार पुलिस से मदद को कह रहे थे और कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को फोन करने के बाद उसी शाम पुलिस के उनके घर पर पहुंचने के बाद वह वहां से चले गए थे.

जब पुलिस उनके घर पहुंची तो हुसैन और उनके परिवार को सुरक्षित बाहर निकाला गया. हालांकि, वह अगले दिन अपनी पत्नी के साथ घर लौटे और पुलिस के वहां मौजूद होने पर दोबारा लौट गए.

 


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हुसैन ने कहा कि पुलिस के जाने के बाद परिसर पर दंगाइयों ने कब्जा कर लिया था.

इस मामले में तीन जून को दायर चार्जशीट में पुलिस ने हुसैन और नौ अन्य पर अंकित शर्मा की हत्या का आरोपी लगाया था. अंकित शर्मा का शव 26 फरवरी को चांदबाग के नाले से बरामद किया गया था.

पुलिस ने किस तरह सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को दंगों से जोड़ा

दिल्ली पुलिस ने अदालत में पेश इंटेरोगेशन रिपोर्ट में बताया है कि एक परिचित खालिद सैफी के जरिए ताहिर हुसैन आठ जनवरी को शाहीन बाग में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ऑफिस में उमर खालिद से मिले और वहीं पर दिल्ली में दंगों की साजिश रची.

पुलिस के मुताबिक, हुसैन अपने राजनीतिक ओहदे और पैसों के दम पर हिंदुओं को सबक सिखाना चाहते थे.

इससे पहले दर्ज चार्जशीट में कहा गया कि इन तीनों ने आठ जनवरी की मुलाकात में यह फैसला किया था कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे का इस्तेमाल भारत सरकार को शर्मिंदा करने के लिए करेंगे.

हालांकि एक तथ्य यह भी है कि ट्रंप के भारत आने की आधिकारिक सूचना 13 जनवरी को जारी की गई थी.

पुलिस की इंटेरोगेशन रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हुसैन कथित तौर पर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज थे.

दिल्ली पुलिस ने हुसैन को सीएए विरोधी प्रदर्शनों से भी जोड़ा. पुलिस का कहना है कि इस मुलाकात के दौरान यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक सैफी ने कहा था कि पीएफआई का एक सदस्य दानिश हिंदुओं के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए वित्तीय मदद करने को तैयार है.

पुलिस के खुद के आंकड़ों के मुताबिक, इन दंगों में मारे गए 53 लोग मुस्लिम थे और दंगों में नष्ट हुए 80 फीसदी से अधिक दुकानें और घर मुस्लिमों के थे.

दिल्ली पुलिस का कहना है कि ताहिर हुसैन का काम उसके चांदबाग के घर की छत पर पेट्रोल, एसिड, पत्थर और कांच की बोतलें इकट्ठा करना था.

पुलिस ने शाहीन बाग के पास खुरेजी में सीएए विरोधी प्रदर्शनों को हिंसा से जोड़ते हुए कहा कि सैफी ने अपनी दोस्त इशरत जहां की मदद से इन प्रदर्शनों का आयोजन किया था.

इस इंटेरोगेशन रिपोर्ट में खालिद के लिए कहा गया कि उसने आश्वासन दिया था कि वह पीएफआई, जामिया समन्वय समिति (जेसीसी), कुछ वकीलों, मुस्लिम संगठनों और कुछ राजनीतिक लोगों से पैसा इकट्ठा करेंगे.

पुलिस का यह भी कहना है कि हुसैन ने कुबूल किया है कि वह दंगों की योजना के लिए चार फरवरी को सैफी से दोबारा मिला था और उन्होंने केंद्र सरकार पर अधिक दबाव बनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान दंगा कराने की योजना बनाई थी.

‘ए प्लान’

ताहिर हुसैन का कहना है कि उसके परिवार ने खुद चांदबाग का घर छोड़ दिया था और कहीं और शरण ली थी.

दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्होंने (हुसैन) ने परिवार को एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था ताकि उन्हें कोई हानि नहीं पहुंचे.

पुलिस ने कहा कि ताहिर हुसैन ने सभी सीसीटीवी कैमरे हटा दिए थे ताकि उनके खिलाफ कोई सबूत न बचे.

पुलिस ने आरोप है कि वह (हुसैन) दंगों के दिन लगातार दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को फोन करते रहे ताकि किसी को उन पर शक नही हो.

अली ने पुलिस की इस पूछताछ रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस से पास अपने दावों की पुष्टि के लिए सबूत नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि ताहिर हुसैन ने दिल्ली दंगे से संबंधित किसी मामले में कुछ भी स्वीकार नहीं किया है. वह खुद पीड़ित हैं, जिन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है.

ताहिर हुसैन जेल में हैं. तीन हफ्ते पहले दिल्ली की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा था, ‘उन्होंने (ताहिर हुसैन) अपने हाथों और मुट्ठी का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि मानव हथियारों के रूप में दंगाइयों का इस्तेमाल किया, जो उनके उकसावे पर किसी को भी मार सकते थे.’

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